जीएसटी फ्राड का बड़ा नेटवर्क उजागर, मुरादाबाद से शुरू हुई जांच का पूरे प्रदेश में असर, 3,000 व्यापारी रडार पर
मुरादाबाद से शुरू हुई जीएसटी फ्राड की जांच पूरे प्रदेश में फैल गई है। इस मामले में लगभग 3,000 व्यापारी शक के दायरे में हैं। जीएसटी विभाग की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं, जिससे कर चोरी का बड़ा नेटवर्क उजागर होने की संभावना है। जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। मुरादाबाद में 24 अक्टूबर को पकड़े गए लोहे से भरे दो ट्रकों से खुला जीएसटी चोरी का मामला अब प्रदेशभर के व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ाने वाला बन गया है। जांच में सामने आई 144 बोगस फर्मों के जरिए 1,970 करोड़ रुपये के टर्नओवर से करीब 368 करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) चोरी हुई।
जीएसटी चोरी के बाद विशेष अनुसंधान शाखा (एसआइबी) और विशेष जांच दल (एसआइटी) ने कार्रवाई तेज कर दी है। अब इस नेटवर्क में जुड़े करीब तीन हजार कारोबारी जांच के दायरे में आएंगे। टीम ने ई-वे बिल समेत अन्य जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। बैंक खातों का विवरण भी निकलवाया जा रहा है।
वहीं एसआइटी ने दोनों ट्रक चालक और दो ट्रांसपोर्टरों को पूछताछ के लिए बुलाया था। इसमें इन्होंने बाहर होने की बात बताकर शुक्रवार को आने के लिए बताया है। अधिकारियों के अनुसार, राज्यकर विभाग की टीम उन सभी व्यापारियों की कुंडली खंगाल रही है जिनका इन बोगस फर्मों से किसी भी स्तर पर माल या बिलों के लेनदेन से संबंध रहा है।
जांच अधिकारी हर व्यापारी के ई-वे बिल, इनवायस और पोर्टल पर दर्ज खरीद-बिक्री का मिलान कर रहे हैं। यह देखा जा रहा है कि किसने कितना माल वास्तव में खरीदा और कितने का सिर्फ कागजों में लेनदेन दिखाया गया। जितनी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) फर्जी तरीके से ली गई है, उतनी राशि ब्याज सहित वसूली की तैयारी है।
व्यापारियों ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात की कंपनियों से माल की खरीद दिखाई। टीम अब यह पता लगा रही है कि ये कंपनियां जमीन पर अस्तित्व में भी थीं या सिर्फ बिल जनरेट करने के लिए खोली गई थीं। कई नंबरों पर एक ही पता, एक ही मोबाइल और फर्जी आधार नंबर मिलने की पुष्टि हुई है।
इसमें असली माल की खरीद कम, लेकिन कागजों पर खरीद ज्यादा दिखाई गई। बोगस फर्मों से आइटीसी क्लेम कर टैक्स भुगतान से बचा गया। माल ज्यादातर कागजों में इधर-उधर हुआ, ट्रांसपोर्टर भी जांच में निशाने पर हैं। लेनदेन में आनलाइन पेमेंट की जगह कैश लेने की संभावना जताई जा रही है।
चार हजार व्यापारियों पर पड़ेगा असर
144 बोगस फर्मों की फर्जी बिलिंग नेटवर्क की जांच में फर्में कागजों पर चलने वाली हैं। जो केवल फर्जी जीएसटी बिल जारी करने और इनपुट टैक्स टैक्स क्रेडिट पास करने के लिए बनाई थी। अधिवक्ता गौरव गुप्ता के अनुसार, एक बोगस फर्म औसतन 25 से 30 व्यापारियों को बिल जारी करती है। इस आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि फर्जी बिलिंग की यह बड़ी चेन है।
उदाहरण के तौर पर 144 फर्म गुणा 25 व्यापारी बराबर 3600 व्यापारी। इस प्रकार लगभग 3,000 से 4,000 व्यापारियों तक फर्जी बिलिंग चेन का सीधा प्रभाव पड़ने की संभावना है। उदाहरण एक, इसमें वे व्यापारी जिन्होंने सीधे इन फर्जी फर्मों से बिल लेकर आईटीसी लिया। यह व्यापारी सबसे पहले जांच और नोटिस की श्रेणी में आएंगे।
इनकी अनुमानित संख्या 3,000 से 4,000 हो सकती है। उदाहरण दो, एक व्यापारी जो यह माल आगे बेचते रहे। इनके स्टाक रजिस्टर, बिल्टी और बैंक भुगतान की पड़ताल होगी। इनकी संभावित संख्या 10, 000 तक हो सकती है। उदाहरण तीन, रिटेल और अंतिम विक्रेता, अंतिम स्तर के वे व्यापारी जो सामान्य बिक्री में शामिल रहे। इनकी जांच सीमित है, पर यदि माल का प्रमाण नहीं मिला तो कार्रवाई संभव।
किसने कितना लाभ उठाया, किसकी भूमिका कितनी रही। एक-एक बिंदु पर जांच कराई जा रही है। फर्जी आइटीसी लेने वालों को ब्याज और जुर्माने समेत रकम लौटानी पड़ेगी। जरूरत पड़ी तो एफआइआर और गिरफ्तारी भी होगी।
- अशोक कुमार सिंह, अपर आयुक्त ग्रेड वन राज्यकर
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