Famous Temple in Moradabad: सिद्धपीठ काली मंदिर... जमीन खाली कराने आए ब्रिटिश अफसरों ने भी टेक दिए थे घुटने
Famous Temple in Moradabad एक बार ब्रिटिश शासन के अधिकारी जब मठ से महंत को हटाने के लिए पहुंचे तो महंत ने टीले की मिट्टी उठाते हुए कहा कि यह मिट्टी जहां तक जाएगी। वहां तक मठ की जमीन होगी और यह मिट्टी मिश्री बन जाएगी।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। लाल बाग में प्राचीन काली मंदिर धरातल से करीब 20- 25 फीट ऊंचे टीले पर स्थित है। ब्रिटिश शासन में यहां एक छोटे से मठ में स्थापित मां काली की सेवा एक महंत करते थे। ब्रिटिश शासन के अधिकारी महंत को टीला खाली करने के लिए आए दिन परेशान करते थे। एक बार ब्रिटिश शासन के अधिकारी जब मठ से महंत को हटाने के लिए पहुंचे तो महंत ने टीले की मिट्टी उठाते हुए कहा कि यह मिट्टी जहां तक जाएगी। वहां तक मठ की जमीन होगी और यह मिट्टी मिश्री बन जाएगी। मिट्टी जहां तक गई वह मिश्री में बदल गई। इस चमत्कार के आगे ब्रिटिश अधिकारी भी नतमस्तक हो गए और उन्होंने टीले की जमीन छोड़ दी। सबसे प्राचीन काली के मंदिर के टीले को मिश्री वाला टीला भी कहते हैं।
पौराणिक महत्व- लाल बाग स्थित रामगंगा तट पर प्राचीन काली माता मंदिर है। यह सिद्ध पीठ है। इसमें साल भर भक्तों का आना जाना रहता है। लेकिन, शारदीय और चैत्र नवरात्रों में यहां विशेष मेला लगता है। इसकी देखरेख जूना अखाड़े द्वारा की जाती है। मान्यता है कि यहां जिसने भी मुराद मांगी वो खाली हाथ नहीं गया।
विशेष आयोजन- शारदीय और चैत्र नवरात्रि पर 9 दिन तक मेला लगता है। दूर-दूर से श्रद्धालु जहां आते हैं।
पहुंचने का मार्ग: बगुला गांव के रास्ते से किसरौल दीवान का बाजार होते हुए लालबाग स्थित काली मंदिर पहुंचा जा सकता है। दूसरा रास्ता तहसील स्कूल गोकुल दास डिग्री कालेज से होते हुए भी लालबाग काली मंदिर पहुंच सकते हैं। तीसरा रास्ता जीआइसी चौक से कानून गोयान होते हुए लालबाग काली मंदिर के लिए जाता है।
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