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    Block Pramukh Chunav : हेल्परों ने नेताओं को चढ़ाई सत्ता की सीढ़ी, जीत के ल‍िए अपनाया गया हर तरीका

    सत्ता की दूसरी सबसे छोटी इकाई के लिए दिनभर संघर्ष होता रहा। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए प्रदेश भर में शिकायतें मिलने पर हाईकोर्ट ने सरकार को तमाम आदेश दिए। कहा किसी को बंधक नहीं बनाया जाएगा।

    By Narendra KumarEdited By: Updated: Sun, 11 Jul 2021 08:37 AM (IST)
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    ब्लाकों में सत्ता की हनक का चुनाव का पूरी तरह से दिखा असर।

    मुरादाबाद [मोहसिन पाशा]। सत्ता की दूसरी सबसे छोटी इकाई के लिए दिनभर संघर्ष होता रहा। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए प्रदेश भर में शिकायतें मिलने पर हाईकोर्ट ने सरकार को तमाम आदेश दिए। कहा किसी को बंधक नहीं बनाया जाएगा। लेकिन, किसी भी दल के नेता पर इसका असर नहीं हुआ। नेताओं ने जीतने के लिए कोई तरीका नहीं छोड़ा। कुर्सी हथियाने के लिए सत्ता की हनक भी दिखाई दी। मतदान के हेल्परों ने नेताओं को सत्ता की सीढ़ी चढ़ाकर ब्लाक की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठा दिया।

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    शनिवार को छजलैट, मूंढापांडे, भगतपुर टांडा और ठाकुरद्वारा चार ब्लाकों में ब्लाक प्रमुख पद के लिए मतदान कराने के लिए पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को बड़ी कसरत करनी पड़ी। वजह साफ थी कि किसी भी दल के समर्थन में वोट करने वाले अपने घर से तो आ नहीं रहे थे। चुनाव लड़ने वालों ने उन्हें कहीं न कहीं तो कैद कर रखा था। भले ही वह अपनी इच्छा से कैद थे। ब्लाक प्रमुखों के चुनाव में यह बात नई भी नहीं है। हर बार यही होता रहा है। चुनाव लड़ने वाले एक महीना पहले ही क्षेत्र पंचायत सदस्यों को एडवांस लेकर अपने कब्जे में ले लेते हैं। उनकी खूब खातिरदारी करते हैं। मतदान होने के अगले ही दिन उनका यूज एंड थ्रू जैसे हाल हो जाते हैं। बीडीसी में ही कुछ ऐसे भी होते हैं, जो अपने पास होने के बाद भी भराेसे लायक नहीं होते। ऐसे वोटरों का इलाज भी नेताओं ने ढूंढ लिया है। ब्लाक प्रमुख चुनाव में कुछ वोटरों को तो हेल्पर की जरूरत रहती है। लेकिन, कुछ के साथ हेल्पर जानकर भेजे जाते हैं। इस चुनाव में भी ऐसा हुआ है। चारों ब्लाकों में नेताओं ने सत्ता की सीढ़ी चढ़ने के लिए हेल्परों का इस्तेमाल खूब हुआ है। सत्ता से जुड़े नेताओं को इसका पूरा लाभ उठाने का मौका मिला है। उप जिला निर्वाचन अधिकारी प्रीति जायसवाल ने बताया कि हमने सभी निरक्षर बीडीसी सदस्यों को हेल्पर दिए हैं, जिन्होंने हमारे यहां आवेदन किया था। इसमें किसी पार्टी विशेष को दिए जाने की बात नहीं है। कानून ने अधिकार दिया है तो उसका लाभ मिलना ही चाहिए। हमारा मकसद तो इतना रहा कि सभी लोग सही से मतदान करें।

    200 से अधिक आवेदन किए निरस्त : मेडिकल के आधार पर 200 से अधिक बीडीसी की तरफ से हेल्पर मांगे गए थे। लेकिन, उन्हें मिले ही नहीं। एडीएम वित्त एवं राजस्व प्रीति जायसवाल ने बताया कि फिटनेस रिपोर्ट लाने पर ही हम हेल्पर दे सकते थे। इस तरह आवेदन आने पर हमने विचार करने के बजाए मेडिकल रिपोर्ट लाने के लिए कह दिया। कोई मेडिकल रिपाेर्ट लेकर नहीं आया तो आवेदनों को निरस्त कर दिया।

    ब्लाक                बीडीसी को मिल हेल्पर

    मूंढापांडे               14

    ठाकुरद्वारा          13

    भगतपुर टांडा        20

    छजलैट               18 

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