साइलेंट किलर! एयरबड्स बना रहे हैं बहरा, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे हैं ऐसी गलती?
आजकल एयरबड्स का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है, लेकिन ये सुनने की क्षमता के लिए खतरनाक हो सकते हैं। लंबे समय तक तेज आवाज में संगीत सुनने से सुनने की शक्ति क ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। मोबाइल और म्यूजिक का बढ़ता चलन अब लोगों की सेहत पर भी भारी पड़ने लगा है। खासकर एयरबड्स और ईयरफोन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार लंबे समय तक तेज आवाज में म्यूजिक सुनने से कान के पर्दे पर सीधा असर पड़ता है, जिससे कम उम्र में ही बहरेपन का खतरा बढ़ रहा है।
शहर के अस्पतालों में इन दिनों कई लोग ऐसे पहुंच रहे हैं जिन्हें कानों में दर्द और बहरेपन की परेशानी है। चिकित्सक ऐसे मरीजों को दवाओं के साथ मोबाइल और बड्स प्रयोग में सतर्कता बरतने के निर्देश दे रहे हैं। मोबाइल का बढ़ता प्रयोग और फैशन के क्रेज में लगातार तेज आवाज में घंटों गाने बजाना कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अंदाजा शहर के ईएनटी अस्पतालों में आ रहे मामलों से लगा सकते हैं।
बीते दो महीनों में हर दिन चिकित्सकों के पास बुजुर्गों के अलावा बच्चे भी इस तरह के मामले लेकर अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि युवा और छात्र सबसे अधिक इस समस्या की चपेट में हैं। ऑनलाइन क्लास, सोशल मीडिया, गेमिंग और म्यूजिक सुनने की आदत ने एयरबड्स को दिनचर्या का हिस्सा बना दिया है। कई युवा घंटों तक लगातार ईयरफोन लगाए रहते हैं, जिससे कान की नसों पर दबाव पड़ता है और सुनने की शक्ति कमजोर होने लगती है।
बड्स ने तेज आवाज में म्यूजिक सुनना भी बढ़ाता है खतरा
ईएनटी विशेषज्ञों के मुताबिक तेज आवाज में म्यूजिक सुनने से कान के पर्दे में सूजन, दर्द और कई मामलों में स्थायी क्षति तक हो सकती है। शुरुआत में लोगों को हल्की आवाज सुनाई न देना, कान में घंटी बजने जैसी समस्या और सिरदर्द महसूस होता है, लेकिन समय रहते ध्यान न देने पर यह समस्या गंभीर रूप ले लेती है।
बुजुर्गों से अधिक बच्चे चपेट में
ऑनलाइन क्लास लेने के कारण बच्चों में बढ़ रही बहरेपन की समस्या को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि लगभग 60 डेसीमल तक ही ध्वनि कानों के लिए बेहतर है इससे ऊपर की घ्वनि कानों के लिए समस्या पैदा कर सकती है। बच्चों और युवाओं की ऑनलाइन क्लास भी इसके लिए जिम्मेदार है। इसके कारण बच्चे पूरे दिन फोन में इंगेज रहते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
- फोन और स्पीकर का सीमित करें प्रयोग।
- कान में दर्द और खुजली होने पर तेल या तिली डालने से बचें।
- एयरबड्स जरूरी होने पर अच्छी कंपनी का करें प्रयोग।
- 60 डेसीमल से अधिक साउंड सुनने से बचें।
- ऑनलाइन क्लास के दौरान मोबाइल पर स्पीकर पर सुनें।
अस्पताल में हर दिन 160 से अधिक मरीज कान दर्द की समस्या लेकर पहुंचते हैं। इनमें से 70 ऐसे मरीज है जिनके कानों में दर्द, सुन्न होने और बहरेपन की समस्या देखने को मिलती है। इसमें कई ऐसे मरीज मिलते हैं जिनकी दिनचर्या में फोन का प्रयोग सबसे अधिक है। लोगों को दवाओं के साथ ही फोन स्पीकर आदि का प्रयोग सीमित करने और एयरबड्स के अधिक प्रयोग से बचने की सलाह दी जाती है।
- डा जितेंद्र सिंह, नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय।
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