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    ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने के एलान के बाद मुरादाबाद के निर्यातकों के सामने संकट, कारोबारियों को इन बातों का सता रहा डर

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 05:43 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के शुल्क वृद्धि के फैसले से मुरादाबाद के निर्यातक संकट में हैं। ऑर्डर रद्द होने और कमी का खतरा बढ़ गया है। अमेरिका में 25% टैरिफ लगने से मुरादाबाद का 5500 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित होगा। निर्यातकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में मुश्किल होगी जिससे कारीगरों के सामने बेरोजगारी का संकट आ सकता है। सरकार से हस्तशिल्प को छूट दिलाने की अपील की है।

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    टैरिफ वार से वैश्विक बाजार में निर्यातकों के सामने प्रतिस्पर्धा की चुनौती

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा ने निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। एक अगस्त से लागू होने वाले टैरिफ से निर्यातकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा में भी अधिक कठिनाई होगी।

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    मुरादाबाद से वैश्विक स्तर पर 11 हजार करोड़ और अमेरिका में करीब 5,500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। समय रहते समाधान नहीं निकला तो हजारों कारीगर और शिल्पकारों के सामने भी रोजगार का संकट खड़ा होगा। मुरादाबाद के लिए यह निर्णय एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।

    मेटल क्राफ्ट, लकड़ी और राल से बने सजावटी सामान और टेबलवेयर की भारी मांग अमेरिका में रही है। टैरिफ संकट की शुरुआत दो अप्रैल 2025 को हुई, जब अमेरिका ने सभी देशों पर 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ की घोषणा की।

    पांच अप्रैल से यह नीति प्रभावी हुई और भारत के मेटल हैंडीक्राफ्ट उत्पादों पर तत्काल 10 प्रतिशत शुल्क लागू हो गया। तीन जून को एल्युमिनियम और स्टील पर शुल्क 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिए गए। इसका सीधा असर मुरादाबाद के मिक्स मेटल उत्पादों की लागत पर पड़ा। बुधवार को अमेरिका के निर्णय से निर्यातकों के सामने चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

    टैरिफ का यह पड़ेगा असर

    25 प्रतिशत का नया शुल्क अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों को महंगा बना देगा। इसका असर न केवल खरीदारों की रुचि पर पड़ेगा, बल्कि अमेरिका के रिटेल स्टोर्स और आनलाइन प्लेटफार्मस पर भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा भी घटेगी। जहां पहले 1,000 डालर में उत्पाद उपलब्ध होता था, अब वही उत्पाद ग्राहक को 1250 डालर में पड़ेगा। जो कीमत संवेदनशील बाजारों में स्वीकार्य नहीं होंगी।

    अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा का बढ़ गया जोखिम

    चीन, वियतनाम, मलेशिया और थाईलैंड जैसे देशों से अमेरिका का व्यापार अपेक्षाकृत कम शुल्क पर होता है। ऐसे में भारतीय उत्पादों की तुलना इन देशों से की जाएगी। मुरादाबाद के उत्पाद कीमत के स्तर पर पीछे रह सकते हैं।

    साथ ही अमेरिकी आयातक पहले ही भारत से फिक्स प्राइस डिलीवरी की मांग करते आ रहे हैं। जिससे भारतीय निर्यातक अब अतिरिक्त लागत वहन नहीं कर पाएंगे।

    यह बोले निर्यातक

    हमने हाल ही में डालर में उतार-चढ़ाव, कच्चे माल और भाड़े की बढ़ती लागत जैसी चुनौतियों से उबरना शुरू ही किया था। अब यह नया टैरिफ फिर से व्यापार पर असर डालेगा। 

    डॉ. नीरज खन्ना, अध्यक्ष ईपीसीएच

    भारत सरकार को जल्द से जल्द अमेरिका के साथ वार्ता करनी चाहिए ताकि हस्तशिल्प को इस टैरिफ से छूट दिलाई जा सके। टैरिफ में छूट नहीं मिलती है तो निर्यातकों के सामने दुश्वारियां होगी।

    जेपी सिंह, चेयरमैन यस

    यदि 25 प्रतिशत टैरिफ लगता है तो मुरादाबाद के निर्यात पर इसका बुरा असर पड़ेगा। निर्यातक नये आर्डर नहीं ले पाएंगे। पुराने आर्डर रुक जाएंगे। मुरादाबाद के कुल निर्यात का करीब 75 प्रतिशत निर्यात केवल अमेरिका को ही होता है। इससे बेकारी और मंदी बढ़ेगी।

    अवधेश अग्रवाल, कंवीनर ईपीसीएच

    भारत सरकार को जल्द से जल्द अमेरिका के साथ वार्ता करनी चाहिए। टैरिफ लगने के बाद भारतीय उत्पाद महंगे होंगे और अन्य देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धा करना भी मुश्किल बनेगा। इससे आर्डर की कमी होगी। हस्तशिल्प कारोबार पर असर पड़ेगा।

    नजमुल इस्लाम, संरक्षक एमएचईए

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