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    ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने के फैसले पर क्या बोले अलीगढ़ के ताला व्यापारी, 500 करोड़ से अधिक का होता है कारोबार

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 05:29 PM (IST)

    अमेरिका द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने से अलीगढ़ के ताला-हार्डवेयर आर्टवेयर और इंजीनियरिंग कंपोनेंट निर्यातकों पर असर पड़ेगा। प्रतिस्पर्धी देशों पर कम टैरिफ होने से मुकाबला कठिन है। निर्यातक केंद्र सरकार के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं और नई सोच व उत्पाद गुणवत्ता से टैरिफ का तोड़ निकालने की बात कर रहे हैं। पढ़ें क्या है इस कारोबार से जुड़े लोगों की रणनीति...

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    नए सिरे की व्यापारिक सोच, उत्पाद की गुणवत्ता से ट्रंप के टैरिफ का उद्योगपति निकालेंगे तोड़

    जागरण संवाददाता, अलीगढ़। अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अगस्त से भारत पर जुर्माना लगाने का एलान भी कर दिया है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि यह जुर्माना कितना होगा और किसलिए लगाया जाएगा।

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    इस निर्णय से ताला-हार्डवेयर, आर्टवेयर, इंजीनियरिंग कंपोनेंट, कम्युनिकेशन सिस्टम के पार्ट्स, रक्षा हथियारों के कलपुर्जे, आटो व्हीकल के लाक्स, अन्य कंपोनेंट निर्माता व निर्यातकों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।

    उद्योगपतियों के अनुसार, इन उत्पादों के प्रतिस्पर्धी देश वेयतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया सहित अन्य देशों पर 15 से 17 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इसके साथ ही चीन पर अभी निर्णय नहीं हुआ है।

    निर्यातकों का मानना है कि अभी हम केंद्र सरकार के निर्णय पर नजर बनाए हुए हैं, जब तक दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौता नहीं होता, तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। अप्रैल से टैरिफ को लेकर ट्रंप देश पर दबाव बना रहे हैं।

    यह सब रूस से आयात होने वाले तेल का खेल बिगाड़ना चाहते हैं। अभी तक निर्यात होने वाले सामान पर 8.5 प्रतिशत ड्यूटी थी। उद्योगपतियों का कहना है कि नए सिरे की सोच व उत्पाद गुणवत्ता से टैरिफ का तोड़ निकालेंगे।

    अमेरिका के लिए 50 से अधिक निर्यातक ताला-हार्डवेयर, आर्टवेयर व इंजीनियारिंग आदि कंपोनेंट का अमेरिका के लिए निर्यात करते हैं। 500 करोड़ से अधिक वार्षिक टर्नओवर है। अप्रैल में डोनाल्ड ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ्स लागने करने का ट्रंप ने निर्णय लिया।

    इसके बाद इस निर्णय पर 90 दिनों का विराम लगा दिया। इसके बाद नौ जुलाई को यह व्यवस्था दुनियाभर के देशों पर लागू होनी थी। इससे बाजार में अस्थिरता का वातावरण उत्पन्न हो गया। है। ट्रंप की वैश्विक टैरिफ नीति को लेकर यहां के विभिन्न उत्पादों के निर्माता व निर्यातकों में भ्रम की स्थिति रही।

    उद्योगपतियों को आर्डर में 80 प्रतिशत तक गिरावट हो गई। छोटे स्तर पर निर्यात करने वाले निर्यातकों के आर्डर घट गए थे। इसके बाद एक अगस्त से इस व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया था।

    अलीगढ़ एक्सपोर्ट निर्माता एसोसिएशन के महामंत्री दिनेश चंद्र वार्ष्णेय का कहना है कि अगस्त के मध्य में अमेरिका के साथ व्यापक व्यापार वार्ता पुनः शुरू करने की योजना बना रहा है।

    अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत की यात्रा पर आने वाला है। उम्मीद है कि अक्टूबर तक द्विपक्षीय व्यापार समझौता हो जाएगा। वाच एंड वेट की स्थिति है।

    ट्रंप के टैरिफ के तोड़ के लिए नए सिरे से स्थानीय स्तर पर व्यापारिक समझौता करने होंगे। निर्यातक व अमेरिकी वायर व फुटकर दुकानदार अपना लाभांश कम करें। निर्माता गुणवत्ता को और बेहतर करे। तभी हम प्रतिस्पर्धी देशों से मुकाबला कर सकेंगे।

    राजीव अग्रवाल, चेयरमैन, ग्रुप आफ आरएमआई

    ट्रंप भारत सरकार पर कच्चा तेल लेने के लिए दबाव बनाना चाह रहे हैं। इस समय भारत रूस से ईंधन ले रहा है। प्रधानमंत्री मोदी इस दबाव में नहीं आएंगे। निर्यातक व निर्माता भी भारत सरकार के साथ हैं। अभी वेट इन वाच की स्थिति है।

    राजीव माहेश्वरी, पार्टनर, रे इंटरनेशनल

    प्रतिस्पर्धी देशों से मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। टैरिफ के चलते कई महीनों से निर्यात प्रभावित हो रहा है। अमेरिका के वायर नए आर्डर दे नहीं रहे थे। पुराने आर्डर भी 60 प्रतिशत रोक दिए थे। भारत सरकार कोई न कोई तोड़ निकालेगी।

    राकेश अग्रवाल, चेयरमैन, ग्रुप आफ उमा

    नई सोच के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतरे हैं। ट्रंप का यह मनमाना रवैया नहीं चलेगा। अमेरिका के उद्यमियों ने भी इस नीति का विरोध किया था। हम प्रतिस्पर्धी देशों से बेहतर गुणवत्ता व समय वाद्धता के साथ इंजीनियरिंग कंपोनेंट व ताला-हार्डवेयर पहुंचाएंगे।

    प्रथम भारद्वाज, निर्यातक

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