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    व‍िन्ध्यवासिनी मंदिर में फर्जी पंडों का आतंक, श्रद्धालु हो रहे परेशान, प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 06:16 PM (IST)

    विंध्याचल के मां विंध्यवासिनी मंदिर में फर्जी पंडों की बढ़ती गतिविधियों से श्रद्धालु परेशान हैं। ये पंडे दर्शन के नाम पर श्रद्धालुओं से जबरन पैसे वसूलते हैं और बदसलूकी करते हैं जिससे मंदिर की गरिमा प्रभावित हो रही है। पंडा समाज ने प्रशासन से ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।

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    विंध्याचल मंदिर में फर्जी पंडों का आतंक, श्रद्धालुओं की आस्था खतरे में।

    जागरण संवाददाता, मीरजापुर (विंध्याचल)। विंध्याचल के प्रसिद्ध मां व‍िन्ध्यवासिनी और अष्टभुजा मंदिर परिसर में फर्जी पंडों की बढ़ती गतिविधियाँ श्रद्धालुओं के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही हैं। इन तथाकथित पंडों द्वारा दर्शन के लिए आए भक्तों से जबरन पैसे वसूलने और उन्हें मानसिक रूप से परेशान करने की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। इससे मंदिर की गरिमा और दर्शनार्थियों की आस्था दोनों प्रभावित हो रही हैं।

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    फर्जी पंडों का बढ़ता वर्चस्व

    मंदिर परिसर के आसपास कई ऐसे लोग सक्रिय हो गए हैं जो स्वयं को पंडा बताकर गले में फर्जी पहचान-पत्र टांग लेते हैं और दर्शन के नाम पर श्रद्धालुओं से अवैध वसूली करते हैं। कई बार श्रद्धालुओं के साथ इनकी बदसलूकी की घटनाएँ भी देखी गई हैं। इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल श्रद्धालुओं के लिए असुविधाजनक हैं, बल्कि मंदिर की पवित्रता को भी ठेस पहुंचा रही हैं।

    मंदिर के पास फैली अराजकता

    स्थानीय लोगों और दर्शनार्थियों के अनुसार, मंदिर के पास अराजकता का माहौल बनता जा रहा है। अव्यवस्थित भीड़ और फर्जी पंडों की दबंगई के कारण श्रद्धालुओं को दर्शन करने में कठिनाई हो रही है। इससे विंध्यधाम जैसे पवित्र स्थल की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच रही है।

    प्रशासन की भूमिका पर सवाल

    इस गंभीर मुद्दे पर व‍िंंध्‍य पंडा समाज के मंत्री भानु पाठक ने बयान देते हुए कहा कि, "यह फर्जी पंडा था, जो किसी असली पंडा का कार्ड लेकर गले में पहनकर पंडागिरी कर रहा था। ऐसे लोगों के खिलाफ हम समाज स्तर पर भी कार्रवाई करेंगे। साथ ही जिला प्रशासन को भी इस विषय में कठोर कदम उठाने चाहिए।"

    संभावित समाधान और सुझाव:

    1. स्थलीय जांच: जिला प्रशासन को मंदिर क्षेत्र में स्थलीय जांच कर फर्जी पंडों की पहचान करनी चाहिए और उनके विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई करनी चाहिए।

    2. सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो: मंदिर परिसर में पुलिस बल की तैनाती बढ़ाई जाए और CCTV कैमरों के माध्यम से संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जाए।

    3. श्रद्धालुओं में जागरूकता: मंदिर प्रशासन को सूचना पट्ट और प्रचार माध्यमों के जरिए श्रद्धालुओं को यह जानकारी देनी चाहिए कि अधिकृत पंडा कौन हैं और उनसे किस प्रकार पहचान की जा सकती है।

    पंडा समाज ने बताया

    विंध्यधाम जैसे आस्था के केंद्र में इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को चोट पहुंचाती हैं, बल्कि धार्मिक स्थलों की मर्यादा को भी धूमिल करती हैं। जिला प्रशासन और मंदिर समिति को तत्काल इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि श्रद्धालु निःसंकोच और श्रद्धा के साथ दर्शन कर सकें।