Lok Sabha Chunav: बदले समीकरण, इस सीट पर कांटे की लड़ाई; मीरजापुर से डा. रमेश बिंद व राबर्ट्सगंज से छोटेलाल खरवार बने सपा प्रत्याशी
Lok Sabha Election 2024 मीरजापुर लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। सभी पांच सीटों पर वर्तमान में भाजपा और उसके सहयोगियों का कब्जा है। ऐसे में अब कांटे की टक्कर मानी जा रही है। इस सीट पर अभी तक किसी ने भी हैट्रिक नहीं लगाई है। इस बार करीब 18 लाख 97 हजार 805 मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर। जनपद में कुछ दिन पहले तक समाजवादी पार्टी समेत अन्य दलों के लिए सियासी समीकरण कुछ और थे। तमाम दल हर वर्ग को साधने के लिए मैदान में उतर भी गए लेकिन ऐन वक्त पर सपा ने अपना प्रत्याशी बदलकर सबको चौंका दिया। नामांकन में अभी दो दिन शेष हैं।
13 मई को अपना दल एस से अनुप्रिया पटेल नामांकन करेंगी। इस बार वह हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं लेकिन अब सपा से राजेंद्र एस बिंद नहीं बल्कि रमेश बिंद 13 मई को नामांकन करेंगे। वह वर्तमान में भदोही से भाजपा सांसद हैं। हालांकि सपा में उनके शामिल होने के बाद जिले में पार्टी पूरी तरह तैयार दिख रही है, इसलिए भी क्योंकि रमेश बिंद की राजनीतिक पकड़ जनपद में मजबूत रही है।
मझवां विधानसभा से बसपा के टिकट पर विधायक भी रह चुके हैं। गठबंधन के कारण सपा के साथ ही कांग्रेस का वोट भी इन्हें मिलने की उम्मीद है। यह बात तय है कि रमेश बिंद के प्रत्याशी बनने से सपा खेमे में अभी से खुशी की लहर है, लेकिन यह भी देखना होगा कि जिस क्षेत्र से वह बसपा के टिकट पर तीन बार विधायक बने थे वहां सपा कभी भी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाई।
विजय रथ रोका था
वर्ष 2017 में भाजपा से शुचिस्मिता मौर्य ने मझवां में रमेश बिंद के विजय रथ को रोक दिया था। वर्ष 2019 में बसपा से निष्कासित होने के बाद रमेश ने भाजपा का दामन थामा और भदोही लोकसभा क्षेत्र से पहली बार सांसद चुने गए।
मीरजापुर लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटों पर वर्तमान में भाजपा और उसके सहयोगियों का कब्जा है। इस सीट से अनुप्रिया पटेल वर्ष 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुकी हैं। यही नहीं, फूलन देवी भी दो बार जीत का परचम लहरा चुकी हैं। इसके अलावा अजीज इमाम, वीरेंद्र सिंह मस्त, उमाकांत मिश्र भी यहां से दो-दो बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं लेकिन किसी ने भी अब तक हैट्रिक नहीं लगाई।
ये भी पढ़ेंः Lok Sabha Election 2024 Voting; इटावा के मैदान में सात प्रत्याशी, 18.57 लाख वोटर तय करेंगे किस्मत
जिले के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पटेल समुदाय के लोग ज्यादा है। इसके अलावा मौर्य, निषाद, बिंद और मल्लाह मतदाताओं की भी अच्छी संख्या हैं। इसके अलावा करीब पांच लाख दलित तथा ब्राह्मण, ठाकुर और करीब डेढ़ लाख मुस्लिम मतदाता भी जनप्रतिनिधि चुनने में अपनी भूमिका अदा करते हैं। 18 लाख 97 हजार 805 मतदाता इस बार मत डालेंगे।
दो बार कट गया राजेंद्र एस बिंद का टिकट
समाजवादी पार्टी की ओर से एक माह पूर्व ही मीरजापुर लोकसभा सीट से राजेंद्र एस बिंद को प्रत्याशी घोषित किया गया था। वह 10 मई को नामांकन भी करने वाले थे लेकिन नामांकन से रोक दिया गया। उन्हें सपा के शीर्ष नेताओं ने लखनऊ बुला लिया। पार्टी की ओर से कहा गया कि फार्म ए और बी न होने की वजह से उन्हें लखनऊ बुलाया गा है लेकिन वहां पहुंचने के चार दिन बाद ही प्रत्याशी को बदल दिया गया।
इससे पहले भी वर्ष 2019 में राजेंद्र एस बिंद का टिकट काट दिया गया था। उस समय भी उन्हें प्रत्याशी बनाने के बाद भी उनका टिकट काट दिया गया। उस समय सपा का बसपा से गठबंधन था। उनका टिकट कटने के बाद सपा की ओर से रामचरित्र निषाद को टिकट दिया गया लेकिन वह 3 लाख 59 हजार 556 वोट ही हासिल कर सके। इस चुनाव में अपना दल एस से अनुप्रिया पटेल को 5 लाख 91 हजार 564 वोट मिले और वह चुनाव जीत गईं।
मीरजापुर से डा. रमेश बिंद व राबर्ट्सगंज से छोटेलाल खरवार बने सपा प्रत्याशी
सपा ने राबर्ट्सगंज (सु.) सीट पर रविवार को प्रत्याशी के रूप में पूर्व भाजपा सांसद छोटेलाल खरवार के नाम की घोषणा कर अटकलों पर विराम लगा दिया। साथ ही भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थामने वाले भदोही के सांसद डा. रमेश बिंद को मीरजापुर सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। सपा ने मीरजापुर सीट पर पूर्व घोषित प्रत्याशी राजेंद्र एस. बिंद का टिकट काट दिया है।
राजेन्द्र बिंद को टिकट कटने की भनक कुछ दिनों पहले ही लग गई थी, यही वजह है कि वे पिछले दो-तीन दिनों से लखनऊ में सपा प्रदेश कार्यालय सहित बड़े नेताओं के चक्कर लगा रहे थे। राजेन्द्र नामांकन के लिए सिंबल फार्म लेने आए थे। रविवार को उनका टिकट काटकर अब रमेश बिंद को पार्टी ने यहां से उतार दिया है। यहां से केंद्रीय मंत्री व एनडीए की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की अनुप्रिया पटेल चुनाव लड़ रही हैं।
रमेश बिंद हैं चिकित्सक
मीरजापुर के इटवां गांव के रहने वाले डा. रमेश बिंद चिकित्सक हैं। पहली बार उन्होंने सिटी ब्लाक से वर्ष 2001 में जिला पंचायत का चुनाव निर्दलीय लड़ा था और जीते थे। वर्ष 2002 में बसपा के टिकट पर रमेश बिंद ने मझवां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी पं. लोकपति त्रिपाठी को 17 हजार वोटों से हराया। बसपा के टिकट पर ही वर्ष 2007 में मझवां से चुनाव लड़कर सपा के शिवशंकर यादव को हराया।
तीसरी बार वर्ष 2012 में भी बसपा के टिकट पर मझवां से चुनाव लड़कर सपा के राजेंद्र पांडेय को लगभग 10 हजार वोटों से हराया। वर्ष 2017 में उन्हें भाजपा की शुचिस्मिता मौर्य ने हराया। इसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और 2019 में भदोही संसदीय सीट से भाजपा के सांसद चुने गए। वर्ष 2024 में भाजपा से टिकट कटने के बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया।
2014 में रमेश ने पत्नी को लड़ाया था मीरजापुर लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी रमेश बिंद ने वर्ष 2014 में भी दांव आजमाया था। उन्होंने अपनी पत्नी समुद्रा बिंद को बहुजन समाज पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ाया था। इस चुनाव में उनकी पत्नी दूसरे नंबर पर रहीं। उस समय अपना दल की अनुप्रिया पटेल को 4 लाख 36 हजार 536 वोट मिले थे जबकि समुद्रा बिंद को 2 लाख 17 हजार 457 मत प्राप्त हुए थे।
ग्राम प्रधान से सांसद तक का सफर तय किया
छोटेलाल खरवार ने सपा के राबर्ट्सगंज (सु.) सीट से प्रत्याशी घोषित किए गए भाजपा के पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार चंदौली के चकिया विधानसभा क्षेत्र के मंगरही गांव के हैं। दसवीं पास छोटेलाल लोकगीत गायन में भी दखल रखते हैं। वर्ष 2005 में ग्राम प्रधान चुने गए। वर्ष 2010 में भी प्रधानी का चुनाव लड़ा और जीते।
कभी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के करीबी रहे छोटेलाल की किस्मत तब पलटी जब 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें राबर्ट्सगंज सीट से प्रत्याशी बनाया और मोदी लहर में उनकी जीत हुई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
यह सीट भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (एस) के खाते में चली गई। टिकट कटने से नाराज छोटेलाल खरवार ने सपा का दामन थाम लिया। इस बार सपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है। यहां से अपना दल (एस) ने मीरजापुर के छानबे की विधायक रिंकी कोल को प्रत्याशी बनाया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।