मीरजापुर में नवरात्र उत्सव में डांडिया-गरबा संग छात्र-छात्राओं ने किया मां दुर्गा का आह्वान
चुनार के विंध्य गुरुकुल कॉलेज में नवरात्रि सप्तमी पर डांडिया और गरबा का भव्य आयोजन किया गया। माँ दुर्गा की आराधना के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ जहाँ छात्रों ने नृत्य के माध्यम से देवी के नौ रूपों को जीवंत किया। बीए बीएससी कृषि बीसीए और बीफार्मा के छात्रों ने प्रस्तुति दी। बीएफए के छात्रों ने डांडिया नृत्य प्रस्तुत किया।

जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर)। विंध्य गुरुकुल कॉलेज एवं विंध्य गुरुकुल कॉलेज ऑफ फार्मेसी में सोमवार को नवरात्रि सप्तमी के अवसर पर डांडिया और गरबा नृत्य का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत मां दुर्गा की आराधना से हुई।
उसके बाद महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राओं ने देवी के नौ स्वरूपों को नृत्य के माध्यम से जीवंत कर दिया। बीए, बीएससी कृषि, बीसीए और बीफार्मा के विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी प्रस्तुति देकर वातावरण को भक्तिमय और उल्लासपूर्ण बना दिया।
बीएफए विभाग के छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक डांडिया नृत्य प्रस्तुत कर सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। रंग-बिरंगे परिधानों में सजे विद्यार्थियों की लयबद्ध थाप और डांडिया की ताल ने पूरे प्रांगण को गरिमामय बना दिया।
बीएससी कृषि की छात्राओं ने धुनुची नृत्य प्रस्तुत करते हुए मां दुर्गा के शक्ति स्वरूप का चित्रण किया, जिसमें दीपक और धूप की सुगंध के साथ नृत्य ने अलौकिक आभा पैदा कर दी। इसी क्रम में बीसीए की छात्राओं ने गरबा नृत्य कर उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों के बीच दर्शकों की तालियां लगातार गूंजती रहीं और महाविद्यालय परिसर उत्सवधर्मी माहौल में डूब गया।
इस अवसर पर उप प्राचार्य डा. आशीष मिश्र ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि मां दुर्गा के नौ स्वरूप भारतीय संस्कृति में स्त्री शक्ति, साहस, ज्ञान और त्याग के प्रतीक हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं को इन गुणों को आत्मसात कर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
विंध्य गुरुकुल कॉलेज ऑफ फार्मेसी की उप प्राचार्या सुशीला गुप्ता ने मां दुर्गा को सृष्टि की संचालिका बताते हुए कहा कि उनकी आराधना से ही संसार में सकारात्मक ऊर्जा और जीवन का संचार होता है।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन शेर सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि इस तरह के सांस्कृतिक आयोजन से छात्रों में न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि भारतीय परंपरा और संस्कृति से गहरा जुड़ाव भी स्थापित होता है।
महाविद्यालय परिवार ने नवरात्रि को सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक बताते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस अवसर पर महाविद्यालय के शैक्षणिक और अशैक्षणिक कर्मचारी, अभिभावक तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। नवरात्रि की सप्तमी पर आयोजित यह कार्यक्रम जहां भक्ति की भावना से ओत-प्रोत था, वहीं डांडिया और गरबा की थाप ने इसे उल्लास और उमंग का अनोखा संगम बना दिया।
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