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    'इनक्रेडिबल जस्ट वाव...', चुनार दुर्ग देख मंत्रमुग्ध हुए विदेशी मेहमान; बोले- सदैव यादों में रहेगा ताजा

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 09:59 PM (IST)

    चुनार में गंगा किनारे शाही क्रूज से पहुंचे विदेशी मेहमानों ने भारतीय संस्कृति का अनुभव किया। उन्होंने चुनार किले का दौरा कर उसकी सुंदरता की प्रशंसा की। गाइड ने उन्हें किले के इतिहास और वास्तुकला के बारे में बताया। सैलानियों ने रानी सोनवा मंडप की नक्काशी और बाबा कासिम सुलेमानी की दरगाह पर शांति का अनुभव किया। दरी बुनकरों और मूर्ति उद्योग में भारतीय शिल्प देखकर वे मंत्रमुग्ध हो गए।

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    विदेशी सैलानियों ने कहा- सदैव उनकी यादों में ताजा रहेगा चुनार दुर्ग।

    जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर)। चुनार तट पर गंगा किनारे शाही राजमहल क्रूज के आगमन पर अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन से आए 18 विदेशी मेहमानों ने भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया। इन सैलानियों ने चुनार के गौरवशाली किले का दौरा किया, जिसके बाद उनके मुंह से निकला, इन्क्रेडिबल, जस्ट वाव...।  उन्होंने कहा कि चुनार दुर्ग सदैव उनकी यादों में ताजा रहेगा। 

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    इस यात्रा के दौरान गाइड अखिलेश कुमार और शुभांकर सेन गुप्त ने अतीत की कहानियों को वर्तमान से जोड़ने का कार्य किया। उन्होंने हर पत्थर, दीवार और कलाकृति के पीछे छिपी कहानियों को सैलानियों के समक्ष प्रस्तुत किया। ऊंची प्राचीरों और पत्थरों पर उकेरी गई कहानियों ने उन्हें अतीत में ले जाने का काम किया।

    रानी सोनवा मंडप की बारीक नक्काशी ने शिल्प का जादू बिखेरा, जबकि योगीराज भर्तृहरि नाथ की समाधि पर आध्यात्मिक शांति उनके चेहरों पर स्पष्ट थी। किले के पास स्थित बावली ने भी अनसुलझे रहस्यों की कहानियां सुनाईं। ब्रिटिश काल के कब्रिस्तान में अपने पूर्वजों की यादों से कुछ यात्रियों की आंखों में आंसू आ गए।

    इसके बाद, बाबा हजरत कासिम सुलेमानी की दरगाह पर हरियाली के बीच गहरी शांति का अनुभव हुआ। दरी बुनकरों की बस्ती में पहुंचे सैलानियों को हथकरघों की थाप और रंगीन धागों ने मंत्रमुग्ध कर दिया। मिट्टी की सौंधी खुशबू में रचे चुनार के मूर्ति उद्योग में भारतीय शिल्प की आत्मा को करीब से देखा गया।

    लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाओं को देखकर एक विदेशी यात्री ने कहा कि  यह सिर्फ मिट्टी नहीं, यह भारतीय संस्कृति का जीवंत रूप है। यूनाइटेड किंगडम से आए एडवर्ड स्मिथ ने कहा कि चुनार दुर्ग की विशालता और रानी सोनवा मंडप की प्रस्तर कलाकारी को देखना अद्भुत अनुभव रहा।

    एन्ना ब्लैकमोर ने गंगा किनारे स्थित ब्रिटिशकालीन कब्रिस्तान को गर्व और भावुकता का अनुभव बताया। आस्ट्रेलिया की सू ने कहा कि चुनार का किला हिंदू राजाओं, मुगल बादशाहों और ब्रिटिश काल की स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है।

    आस्ट्रेलिया के डॉ. डोबी ने दरी बुनाई के अनुभव को अद्भुत बताया, जबकि यूके के स्टीफेन ने कहा कि बाबा कासिम सुलेमानी की दरगाह पर गहरी शांति और अपनापन मिला। इस पवित्र स्थल ने उनके दिल को सुकून दिया।

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