मीरजापुर में जरगो की बाढ़ ने तोड़ी सब्जी किसानों की कमर, महंगी हो सकती हैं सब्जियां
चुनार के भरपुर नागरपुर और कजिया गांव में जरगो डैम से पानी छोड़े जाने के बाद खेतों में पानी भर गया है जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। भिंडी परवल बैगन जैसी सब्जियां पानी में डूबकर सड़ रही हैं। किसानों ने प्रशासन से नुकसान का सर्वे कराकर मुआवजे की मांग की है।
जागरण संवाददाता चुनार (मीरजापुर)। पहले गंगा की बाढ़ और अब जरगो डैम का पानी छोड़े जाने के बाद चुनार के भरपुर, नागरपुर और कजिया गांव के खेत जलमग्न हो गए और खेतों में खड़ी जोन वाली सब्जियां पानी में डूबकर सड़ने लगीं। भिंडी, परवल, बैगन, तिल्ली, लौकी, करेला, फूलगोभी, पालक जैसी हरी सब्जियों के खेत अब उजाड़ पड़े हैं।
क्षेत्र के तमाम किसानों की मेहनत और लाखों की लागत पर पानी फिर गया। यह क्षेत्र चुनार मंडी के लिए सब्जी आपूर्ति का प्रमुख केंद्र है, जहां से रोजाना बड़ी मात्रा में सब्जियां बाजारों तक पहुंचाई जाती थीं। बाढ़ के कारण अब न फसल बची और न ही तत्काल फिर से बुआई की गुंजाइश दिख रही है।
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कई किसानों ने अगैती खेती में गोभी के बीज व पौधे खेतों में रोपे थे। अक्टूबर के महीने तक तैयार गोभी को बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी होने की उम्मीद थी। उनकी चिता बढ़ गई है। खेतों में जलजमाव के कारण अब गोभी, टमाटर समेत अन्य सब्जियों के पौधे सड़कर खराब हो जाएंगे। किसानों को खेती पिछड़ने से काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। किसानों ने प्रशासन से मांग किया है कि उनकी क्षति का सर्वे कराकर उन्हें इसका मुआवजा दिलाया जाए।
क्या बोले किसान
तीन बीघा खेत में भिंडी और बैगन की खेती थी। करीब 18 हजार रुपये की लागत लगी थी। खेत में पानी भरने से सारी मेहनत डूब गई।
मदनलाल मौर्य, भरपुर-चुनार
एक बीघा में तिल्ली, पालक और मूली बोया था। पंद्रह हजार रुपये का खर्च हुआ था। अब खेत की हालत देखकर मन टूट गया है। नए सिरे से पूरी मेहनत की जाएगी।
-ओमप्रकाश मौर्य भरपुर, चुनार।
दस बिस्वा खेत में चरी और नेनुआ की खेती की गई थी। हजारों रुपये की लागत लगी थी। बाढ़ ने सब कुछ चौपट कर दिया। अब फिर से खेती की जाएगी।
बलिराम कुशवाहा, भरपुर, चुनार।
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दो बीघा खेत में परवल, तिल्ली, गोभी और नेनुआ लगाया था। करीब दस हजार रुपये खर्च हुए थे। बाढ़ ने सब चौपट कर दिया। लागत भी गई और मेहनत भी।
ओम प्रकाश कुशवाहा, कजिया- चुनार।
इस बार मौसम ने अच्छा साथ दिया था। छह बीघा में धनिया, मूली और नेनुआ लगाया था। पंद्रह हजार रुपये की लागत लगी थी। पहले गंगा और अब जरगो की बाढ़ के पानी से सब नुकसान हो गया।
चेतनारायण मौर्य, भरपुर, चुनार।
करीब एक बीघा में पशुओं के हरे चारे के लिए चरी बोई गई थी। इसके साथ ही मूंगफली का बीज भी डाला था। दो बार आई बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। सबसे अधिक समस्या पशुओं के चारे की है।
- रामबली यादव, नागरपुर, चुनार।
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