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    World Alzheimers Day : मोबाइल-टैबलेट की ब्लू रोशनी भी बुझा रही दिमाग की बत्ती, बचाव के लि‍ए यह रखें ध्‍यान

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 06:00 AM (IST)

    World Alzheimers Day आज विश्व अल्जाइमर दिवस है। डाक्टरों का कहना है क‍ि अब अर्ली अल्जाइमर के मामले 40 साल की उम्र में ही सामने आ रहे हैं। मोबाइल लैपटाप की नीली रोशनी और इयरफोन का ज्यादा इस्तेमाल इस समस्‍या को बढ़ा रहा है। इसके अन्‍य कई और कारण भी हें।

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    मोबाइल-टैबलेट की ब्लू रोशनी याददाश्त कमजोर कर रही

    जागरण संवाददाता, मेरठ। मोबाइल, लैपटाप व टैबलेट की ब्लू स्क्रीन आंखों के तंतुओं और दिमाग के न्यूरान्स को नुकसान पहुंचा रही हैं, जिससे मेमोरी घटी। कान में लीड लगाकर तेज म्यूजिक या साउंड सुनने, तनाव, हाई कोलेस्ट्राल, प्रदूषण एवं नींद की कमी से भी कम उम्र में भूलने की बीमारी बढ़ी है। जो बीमारी 65 साल की उम्र से होती थी वो अब 40 वर्ष की आयु में भी देखी जा रही। इसे अर्ली अल्जाइमर कहते हैं। मेडिकल कालेज व नि‍जी डाक्‍टरों की ओपीडी में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं।

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    न्यूरोलाजिकल विकार है अल्जाइमर

    हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्ज़ाइमर दिवस मनाया जाता है। यह न्यूरोलाजिकल विकार है। इसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने से याददाश्त घटती है। सोचने की क्षमता खत्म होती है। अर्ली अल्जाइमर का मतलब है कि कुछ देर के लिए अचानक भूल जाना। जैसे किसी काम के लिए घर से निकले। रास्ते में कोई फोन आ गया। बात की और फिर किस काम के लिए निकले थे वह भूल गए। घड़ी मेज पर रख दी, लेकिन याद नहीं रही। नाम याद न आना।

    ऐसे होती है इस बीमारी की शुरुआत

    अर्ली अल्जाइमर में थोड़ी देर के लिए लोग भूल जाते हैं फिर उन्हें याद आ जाता है। इसे बीमारी की शुरुआत भी कह सकते हैं। चिंता का विषय ये है कि अर्ली अल्जाइमर के केस 40 साल में ही सामने आ रहे हैं। पहले यह बीमारी 65 साल के बाद होती थी। दरअसल, युवा सबसे ज्यादा स्क्रीन टाइम बिता रहे हैं।

    50 साल की उम्र के बाद दिमाग की एक्सरसाइज बढ़ाएं

    न्यूरोसाइकेट्रिसट डा. रवि राणा (Dr Ravi Rana) का कहना है कि मोबाइल का अधिक प्रयोग, प्रदूषण, तनाव, कोलेस्ट्राल व शुगर का बढना और अनिद्रा से अल्जमाइमर बढ़ रहा है। कई वजहों से ब्रेन को पर्याप्त मात्रा में ब्लड नहीं मिलने पर यह बीमारी बढती है। 50 साल की उम्र के बाद दिमाग की एक्सरसाइज बढ़ाएं। रेगुलर फ‍ि‍जिकल एक्सरसाइज करं। इलाज नहीं करेंगे तो व्यक्ति स्वयं को भी भूलता रहता है। वैसे अब इसमें कई दवाएं कारगर हैं, जो कई बार मैमोरी को भी वापस लाने में सफल होती हैं।

    मोबाइल की ब्लू रोशनी से डिस्टर्ब होती है ब्रेन की गतिविधि 

    मेडिकल कालेज में न्यूरोफिजिशियन डा. दीपिका सागर (Dr Deepika Sagar) के अनुसार मोबाइल की ब्लू रोशनी से ब्रेन की गतिविधि व नींद भी डिस्टर्ब होती है। ब्रेन के न्यूरान रिपेयर नहीं हो पाते हैं। हार्मोन मेलाटोनिन का स्राव कम होने से याददाश्त घटती है। कान में जहां लीड लगाते हैं उसके पीछे ही आडिटरी सेंटर होता है वह प्रभावित होने से सुनने की क्षमता घटती है। माइग्रेन और भूलने की बीमारी हो जाती है।

    बीमारी से बचाव के लिए ये करें

    -स्क्रीन टाइस सीमित करें। एक वक्त पर 20 मिनट से ज्यादा देर तक स्क्रीन पर न रहें।

    -हर 20 मिनट पर स्क्रीन से ध्यान हटाएं और 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर की वस्तु देखें।

    -सोते समय बेड पर सिर के पास मोबाइल न रखें। चार्जिंग भी शरीर से दूर रखकर करें।

    -नींद सात घंटे जरूर लें। इससे ब्रेन के न्यूरान को आराम और रिपेयर के लिए समय मिलेगा।

    -रोजाना सुबह 30 मिनट व्यायाम के लिए समय निकालें। इससे आवश्यक हार्मोनल बैलेंस बना रहता है।

    -जंक फूड से तौबा करें। इससे जंक फूड हर बीमारी के कारणों में शामिल है।

    -बीपी-शुगर को नियंत्रित रखें। इसका असर भी ब्रेन की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।

    -याददाश्त बेहतर रखने के लिए खानपान अच्छा रखें। प्रोटीनयुक्त भोजन ज्यादा करें।

    -फल, सलाद, हरी सब्जियों का सेवन करे। विटामिन बी-12 व विटामिन डी भी आवश्यक है।