Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    GL Mittal passes away: कस्बे के कालेज में पढ़ाया, देशभर में हुए प्रसिद्ध, उनकी पुस्तक 56 साल बाद भी छात्रों को पसंद

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 04:15 PM (IST)

    Meerut News प्रसिद्ध शिक्षाविद प्रोफेसर जीएल मित्तल का निधन हो गया। उन्होंने प्रो. राजकुमार के साथ मिलकर माध्यमिक भौतिकी कुमार-मित्तल नामक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी। एएसपीजी कालेज मवाना में उन्होंने 38 साल तक पढ़ाया। उनके निधन से शिक्षा जगत में शोक की लहर है। उनकी पुस्तक आज भी लोकप्रिय है।

    Hero Image
    प्रसिद्ध शिक्षाविद प्रोफेसर जीएल मित्तल का फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, मेरठ। शिक्षा जगत में माध्यमिक भौतिक विज्ञान विषय के पितामह कहे जाने वाले एवं नूतन भौतिक विज्ञान विषय की पुस्तक के प्रसिद्ध लेखक एवं एएस पीजी कालेज मवाना से सेवानिवृत्त 86 वर्षीय प्रोफेसर जीएल मित्तल (घमंडी लाल मित्तल) का बुधवार को निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने प्रोफेसर राजकुमार के साथ मिलकर आइसीएसई, सीबीएसई व यूपी बोर्ड में प्रचलित पुस्तक ‘माध्यमिक भौतिकी-कुमार-मित्तल’ लिखी। इस पुस्तक को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि मिली।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डा. मित्तल ने बुधवार को दोपहर करीब एक बजे 123 मानसरोवर गली नंबर दो स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। उनकी पत्नी सरला मित्तल का करीब तीन साल पहले निधन हो चुका है। उनके परिवार में दो पुत्र कपिल मित्तल एवं तरुण मित्तल तथा दो बेटी रूमा गोयल एवं संगीता हैं। वहीं, एएस पीजी कालेज के शिक्षकों के साथ ही शिक्षा जगत से जुड़े गणमान्य लोगों ने उनके आवास पर पहुंचकर निधन पर शोक जताया

    प्रोफेसर राजकुमार के साथ मिलकर किया लेखन 

    प्रोफेसर जीएल मित्तल ने भौतिक विज्ञान की पुस्तक ‘माध्यमिक भौतिकी, कुमार-मित्तल’ लिखकर अपार प्रसिद्धि पाई। मेरठ कालेज के प्रोफेसर राजकुमार के साथ मिलकर उन्होंने इस पुस्तक का लेखन किया था। 70 के दशक में भी यह पुस्तक विद्यार्थियों की पहली पसंद हुआ करती थी। उनकी पुस्तक पढ़कर विद्यार्थियों ने मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित अन्य क्षेत्रों में करियर की उड़ान भरी। आज भी तमाम विद्यार्थी इस पुस्तक को पढ़ रहे हैं। प्रोफेसर मित्तल के निधन से शिक्षा जगत उदास है।

    1961 में एएसपीजी कालेज से शुरू किया सफर

    एक जनवरी-1939 को जिले के किला परीक्षितगढ़ में जन्मे प्रो. जीएल मित्तल (घमंडी लाल मित्तल) ने मैट्रिक, 12वीं, बीएससी व एमएससी तक की पढ़ाई माध्यमिक स्कूल मेरठ व मेरठ कालेज से की। एएसपीजी कालेज मवाना से वर्ष-1961 में बतौर शिक्षक सफर शुरू किया। 1999 में सेवानिवृत्त हुए।

    नहीं हो सकती भरपाई

    एएसपीजी कालेज मवाना के प्राचार्य प्रो. अरुण कुमार कहते हैं कि प्रो. जीएल मित्तल का निधन शिक्षा जगत के साथ करोड़ों विद्यार्थियों के लिए अपूर्णीय क्षति है। वह उसी कालेज के प्राचार्य हैं, जहां प्रो. मित्तल ने 38 वर्ष तक भौतिक विज्ञान विषय में शिक्षण किया। मैं भी उनकी भौतिक विज्ञान की पुस्तक पढ़कर ही यहां तक पहुंचा हूं।

    कालेज के सबसे पहले शिक्षक

    एएसपीजी कालेज मवाना के भौतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. सचिन कुमार ने बताया कि प्रो. मित्तल उनके कालेज के सबसे पहले शिक्षक थे। डिग्री कालेज बनने पर सबसे पहले उनकी नियुक्ति हुई थी। इससे पूर्व वह एएस इंटर कालेज में शिक्षक थे। वर्ष-2017 में कालेज के पूर्व शिक्षकों को सम्मानित किया गया था। कालेज में उनकी नियुक्ति के बाद डा. आरएस गर्ग व एससी गुप्ता समेत अन्य शिक्षक आए थे। वह दो बार कालेज के कार्यवाहक प्राचार्य भी रहे।

    प्रोफेसर राजकुमार के साथ 56 साल पहले शुरू हुआ था पुस्तक लिखने का सफर

    मेरठ कालेज में डा. राजकुमार ने भौतिक विज्ञान विषय के शिक्षक के रूप में 1956 में कार्यभार ग्रहण किया था। वहीं, डा. जीएल मित्तल मवाना के एएसपीजी कालेज में 1961 में भौतिक विज्ञान के शिक्षक बने। इसके बाद दोनों मेरठ के प्रसिद्ध नगीन प्रकाशन वेस्टर्न कचहरी रोड से जुड़े। दोनों ने मिलकर आइसीएसई, सीबीएसई व यूपी बोर्ड में प्रचलित पुस्तक ‘माध्यमिक भौतिकी-कुमार-मित्तल’ लिखी। उनकी पुस्तक को राष्ट्रीय स्तर पर मिली प्रसिद्धि के चलते लेखक के साथ-साथ प्रकाशक भी देशभर में मशहूर हुए। 

    पुस्तक का प्रथम संस्करण 1966 में प्रकाशित

    उनकी पुस्तकों को यूपी बोर्ड से भी मान्यता मिली और प्रदेशभर के स्कूलों में लागू हुई। नगीन प्रकाशन के प्रबंध निदेशक मोहित जैन का कहना है कि डा. मित्तल का निधन अपूर्णीय क्षति है। कुमार-मित्तल की लिखी यूपी बोर्ड इंटर की पुस्तक 56 साल बाद भी नंबर-1 है। इस पुस्तक का प्रथम संस्करण 1966 में प्रकाशित हुआ था। उस समय पुस्तक की कीमत करीब 15 रुपये थी। वर्ष 2017 में गोल्डन जुबली संस्करण आया। अब नवीन संस्करण करीब 1060 रुपये का है, जिसकी मांग आज भी करोड़ों छात्र-छात्राओं के बीच है। विशेष बात यह है कि इस पुस्तक के जितने संशोधित संस्करण आए हैं, उतने किसी पुस्तक के संस्करण अभी तक नहीं आए हैं।

    25 साल से आइएससी की पुस्तकें भी चल रहीं

    मेरठ कालेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो. एसके अग्रवाल कहते हैं कि डा. जीएल मित्तल का निधन शिक्षा जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। प्रो. राजकुमार का पहले ही निधन हो चुका है। इन दोनों महान लेखकों की भरपाई कभी नहीं हो सकती। डा. मित्तल योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र साकेत की कार्यकारिणी सदस्य भी रहे। नगीन प्रकाशन की यूपी बोर्ड के साथ ही आइएससी की पुस्तकें भी 25 साल से उत्तर प्रदेश समेत देशभर में चल रही हैं। कुमार-मित्तल ने उत्तर प्रदेश के अलावा कई अन्य प्रदेशों की भौतिक विज्ञान की पुस्तकें लिखकर क्रांतिधरा का नाम देशभर में रोशन किया है।