क्या है स्टेमी केयर नेटवर्क, जो दिल के रोगियों की जिंदगी बचाने में निभाएगा बड़ी भूमिका
स्टेमी केयर नेटवर्क एक ऐसी पहल है जो हृदय रोगियों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकती है। यह नेटवर्क समय पर और उचित उपचार प्रदान करके दिल के दौरे से होने ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक फोटो
दिलीप पटेल, जागरण, मेरठ। हार्ट अटैक से होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने स्टेमी केयर नेटवर्क कार्यक्रम लांच किया है। यह नेटवर्क दिल का दौरा पड़ने के बाद गोल्डन आवर में मरीज को रक्त का थक्का घोलने वाली दवा देकर उसे कैथलैब यूनिट तक पहुंचाने का काम करता है। समय से इलाज मिलने से गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।
केजीएमयू के कार्डियोलाजी विभाग के प्रोफेसर वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. गौरव चौधरी ने यह जानकारी दी। वह लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज में अपने बैच वर्ष 2000 की रजत जयंती समारोह में शामिल होने आए थे।
उन्होंने कहा कि लखनऊ के आसपास के आठ से दस जिलों में स्टेमी (ST-Elevation Myocardial Infarction) नेटवर्क सक्रिय हो चुका है।
इसके जरिए केजीएमयू, एसजीपीजीआई की कैथलैब तक 15 से 20 प्रतिशत हार्ट अटैक के गंभीर मरीज आने लगे हैं। उनकी जान बचाना संभव हो रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एलएलआरएम में कैथलैब है। इस नेटवर्क को यहां भी सक्रिय करने पर जोर दिया जा रहा है।
स्टेमी केयर नेटवर्क हब और आपसी तालमेल के माडल पर काम करता है। इसमें बड़े मेडिकल संस्थान, कालेज जहां कैथलैब यूनिट हैं, वे हब के रूप में काम करते हैं और जिले के सरकारी अस्पताल समन्वयक की भूमिका में रहते हैं। इसमें कोई मरीज सीने में दर्द के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में आता है तो उसे पैरामेडिकल स्टाफ को तुरंत ईसीजी करना होता है।
मौके पर विशेषज्ञ चिकित्सक न मौजूद हों तो स्टाफ को काल करके, व्हाट्सएप या अन्य आनलाइन माध्यम से तत्काल ईसीजी रिपोर्ट देनी होती है। विशेषज्ञ तुरंत रिपोर्ट देखकर प्राथमिक उपचार की सलाह देंगे। मरीज की गंभीरता को देखते हुए रक्त का थक्का घोलने वाली दवा स्ट्रेप्टोकाइनेज देकर उसे बिना देरी किए एंबुलेंस से कैथलैब यूनिट तक भेजना होता है। यह दवा निश्शुल्क दी जाती है।
दिल की धमनियों के थक्के को तुरंत घोल देती है। इससे मरीज के कैथलैब यूनिट तक पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है। इससे उसकी जान बचाई जा सकती है。
इसलिए महत्वपूर्ण है यह नेटवर्क
डा. गौरव ने कहा कि दिल का दौरा पड़ने के बाद 60 मिनट गोल्डन आवर होते हैं। गांवों से शहर के मेडिकल कालेज तक पहुंचने में इतना समय तो लगता ही है। हार्ट अटैक के मामले में स्टेमी केयर नेटवर्क प्राथमिक इलाज शुरू कर मरीज का कीमती समय बचाता है। ग्रामीण क्षेत्रों और जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी स्टेमी केयर नेटवर्क कार्यक्रम के जरिए पाटी जा सकती है।
पश्चिमी उप्र में बड़ी कैथलैब की है जरूरत
डा. गौरव ने कहा कि केजीएमयू की तरह तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी बड़ी कैथलैब खोलने की जरूरत है। लाला लालजप राय मेडिकल कालेज में सुपरस्पेशियलिटी ब्लाक के कार्डियोलाजी विभाग में जून 2021 से कैथलैब संचालित है। इस पर बागपत, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली, हापुड़, सहारनपुर सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों के मरीजों का भार है। मेडिकल कालेज के कार्डियोलाजी विभागाध्यक्ष डा. धीरज सोनी ने कहा कि प्रतिदिन 12 से 15 गंभीर मरीज कैथलैब तक पहुंच रहे हैं। मरीजों की अधिक संख्या को देखते हुए एक और कैथलैब बनाने का प्रस्ताव दिया गया है।
सीएमओ ने कहा, स्टेमी नेटवर्क को सक्रियता बढ़ाई जाएगी
सीएमओ डा. अशोक कटारिया ने कहा कि पीएल शर्मा जिला अस्पताल के फिजिशियन डा. अनुराग को स्टेमी केयर नेटवर्क का नोडल अधिकारी बनाया गया है। उनके सहयोग में फिजिशियन डा. अंकित कुमार और हृदय रोग विशेषज्ञ डा. आरती फौजदार को लगाया गया है। लखनऊ में इनकी ट्रेनिंग हो चुकी है। स्ट्रेप्टोकाइनेज इंजेक्शन निश्शुल्क लगने शुरू हो गए हैं। स्टेमी नेटवर्क में पीएचसी, सीएचसी स्तर की टीम बनाकर मेडिकल कालेज की कैथलैब से सीधे संपर्क स्थापित करने की दिशा में सक्रियता बढ़ाई जाएगी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।