अस्पताल का कारनामा, आयुष्मान का लाभ लेने के लिए मरे हुए मरीज को दिखाया कई दिन तक भर्ती
सुभारती मेडिकल कालेज के अस्पताल प्रशासन का एक कारनामा सामने आया है। यहां भर्ती एक महिला मरीज की मौत हो जाती है लेकिन वह दो दिन तक सुभारती अस्पताल के पोर्टल यानि दस्तावेजों में जिंदा रहती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि महिला के आयुष्मान कार्ड के जरिए लाभ लिया जा सके। वहीं दूसरी तरफ अस्पताल ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। सुभारती मेडिकल कालेज के अस्पताल प्रशासन का एक कारनामा सामने आया है। यहां भर्ती एक महिला मरीज की मौत हो जाती है, लेकिन वह दो दिन तक सुभारती अस्पताल के पोर्टल यानि दस्तावेजों में जिंदा रहती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि महिला के आयुष्मान कार्ड के जरिए लाभ लिया जा सके।
प्रकरण जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह तक पहुंचा तो उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी नूपुर गोयल से जांच कराई।सोमवार को पूरी हुई जांच में साबित हो गया है कि सुभारती अस्पताल ने मरी हुई महिला को दो दिन तक अपने दस्तावेजों में जिंदा रखा।
अब आगे की कार्रवाई जिलाधिकारी से बात करके तय की जाएगी। सीडीओ नूपुर गोयल ने बताया कि लोहियानगर निवासी आसिफ ने अपनी 50 वर्षीय मां शफीना को पेट और सीने में दर्द होने के कारण सुभारती मेडिकल कालेज के अस्पताल में भर्ती कराया था।
महिला यहां पर 21 मार्च तक भर्ती रही। 21 मार्च को महिला की अधिक तबीयत खराब हो गई तो सुभारती के डाक्टरों ने उन्हें रेफर कर दिया।
नवचेतना अस्पताल में 23 मार्च को उनकी मौत हो गई। 24 मार्च को आसिफ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचता है और लापरवाही का आरोप लगाकर सुभारती अस्पताल के डाक्टरों की शिकायत की। आसिफ यह भी बताता है कि उसका आयुष्मान कार्ड 25 तारीख तक प्रयोग में लिया गया है।
सीडीओ ने प्रकरण में कई बार आसिफ और सुभारती प्रशासन को बुलाया, लेकिन वहां से कोई नहीं आता था। सीडीओ की जांच लगातार चल रही थी। सोमवार को इस मामले में सुभारती अस्पताल प्रशासन से आरोग्य मित्र दीपक कुमार पेश हुए। इसके बाद सीडीओ ने अपनी जांच को बंद करते हुए रिपोर्ट तैयार की।
सुभारती की शिकायत की गई थी कि जिस महिला की मौत दो दिन पहले हो गई है। उसे सुभारती ने अपने दस्तावेज में जिंदा रखा। यह जांच में साबित हो चुका है। अब आगे की कार्रवाई डीएम से बात करके की जाएगी।
नूपुर गोयल, मुख्य विकास अधिकारी
एक महिला मरीज का मामला संज्ञान में आया था। जिसकी जांच सीडीओ कर रही थीं। जांच में मामला सही पाया गया है। आगे की कार्रवाई तय की जा रही है।
डॉ. अशोक कटारिया, सीएमओ
21 मार्च को 24 मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे। इनमें 22 स्वस्थ होकर गए थे जबकि दो को गंभीर अवस्था में रेफर किया गया था। आसिफ की मां को भी दिल्ली के लिए रेफर किया गया था। अस्पताल के रिकार्ड में शफीना के डिस्चार्ज की दिनांक 21 मार्च ही अंकित है। आरोप बेबुनियाद हैं।
डा. अतुल कृष्ण, ट्रस्टी, सुभारती ग्रुप
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