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    CBSE: अब रट्टामार पढ़ाई नहीं कराएंगे टीचर...सीबीएसई ने प्रिंसिपलों संग हुई मीटिंग में उठाए कड़े कदम

    Updated: Wed, 26 Jun 2024 12:32 PM (IST)

    CBSE News In Hindi मंगलवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में सीबीएसई ने देश भर के करीब ढाई सौ प्रिंसिपलों के साथ बैठक की। यह कार्यक्रम यूट्यूब पर ऑनलाइन भी दिखाया गया जिसमें देश भर के अन्य प्रिंसिपल जुड़े। मेरठ के दोनों सीबीएसई सिटी कोऑर्डिनेटर सुधांशु शेखर और सपना आहुजा ने दिल्ली में कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने मीटिंग के बारे में जानकारी दी।

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    Meerut News: दिल्ली में हुई सीबीएसई की बैठक में मौजूद प्रिंसिपल।

    अमित तिवारी, मेरठ। सीबीएसई ने स्कूलों को महज सिलेबस पूरा कराने की बजाय बच्चों की समझ विकसित करने को कहा है। स्कूलों में शिक्षक तेजी से पढ़ाकर हर महीने के लिए निर्धारित केवल सिलेबस ही पूरा कराने पर जोर देते हैं।

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    ऐसे में विद्यार्थियों को पढ़ाया हुआ पाठ भी समझ में नहीं आता है। घर पर अभिभावक बच्चों को उन पाठों को रटाने में जुट जाते हैं। स्कूलों में इस वर्ष पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किए जा रहे नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के अंतर्गत सीबीएसई ने स्कूलों को बच्चों की समझ के अनुरूप पढ़ाने को कहा है।

    कक्षा छह से न्यूनतम एक कौशल विषय अनिवार्य

    कक्षा छह से हर विद्यार्थी को न्यूनतम एक कौशल विषय लेना अनिवार्य है। इस बाबत सीबीएसई ने 34 मोड्यूल जारी किए हैं। हर मोड्यूल 15 घंटे का है। विद्यार्थी अपनी रुचि और क्षमता और स्कूल में विषय की उपलब्धता के अनुरूप एक से अधिक कौशल विषय भी चुन सकेंगे।

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    कक्षा तीन, पांच और आठवीं के विद्यार्थियों के लिए चल रहे सफल पायलट प्रोजेक्ट सीबीएसई अकादमिक निदेशक डा. प्रज्ञान सिंह ने बताया कि अभिभावकों को आनलाइन आयोजित सफल कार्यक्रम से डरने की जरूरत नहीं है। सफल के जरिए बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं और आनलाइन आयोजित होने वाली परीक्षाओं के लिए छोटी उम्र से ही तैयारी करने की पहल है।

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    एप बताएगा बच्चों की रीयल टाइम प्रोग्रेस

    सीबीएसई ने स्कूलाें के लिए वीएसके यानी विद्या समीक्षा केंद्र नामक मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया है। इस एप में स्कूलों को प्रवेश लेने वाले हर विद्यार्थी का पूरा विवरण अपलोड करना है। इसमें बच्चों के लर्निंग आउटकम भी अपडेट होंगे जो रीयल टाइम में उनकी प्रोग्रेस को दर्शाएंगे। इसे अपार आइडी, आधार कार्ड और डिजि लाकर से जोड़ा जाएगा।

    भाषा पर मिला गोलमोल जवाब

    कक्षा नौवीं-10वीं में तीन भाषा और 11वीं-12वीं में दो भाषा पर प्रिंसिपलों को सीबीएसई से स्पष्ट जवाब नहीं मिला। प्रिंसिपलों ने पूछा कि यदि कक्षा नौवीं का कोई छात्र कर्नाटक में कन्नड़ पढ़ रहा है और उसका ट्रांसफर उत्तर प्रदेश में होने पर उसे कन्नड़ के स्थान पर हिंदी कैसे पढ़ाया जाएगा। उऐसे तमाम प्रश्नों पर सीबीएसई ने स्पष्ट जवाब देने की बजाय नई नीति को लागू करते हुए सीखते रहने पर जोर दिया। 

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