आधे घंटे में मेरठ से दिल्ली तक पहुंचाएगी रैपिड रेल, रात में इसी कारिडोर पर चलेगी वातानुकूलित मालगाड़ी
Regional Rapid Transit System नान स्टाप रैपिड रेल मेरठ से दिल्ली तक आधे घंटे में पहुंचाएगी। रात्रि में इसी कारिडोर पर अलग से वातानुकूलित मालगाड़ी भी चलेगी । इस कारिडोर से बड़े स्तर पर बदलाव दिखाई देगा।

मेरठ, प्रदीप द्विवेदी। देश का पहला रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआटीएस) मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर समेत आसपास के जिलों की अर्थव्यवस्था बदलने जा रहा है। रैपिड रेल, अब दिल्ली से मेरठ के बीच आवागमन आधे घंटे में समेटने जा रही है। रात में इसी कारिडोर पर वातानुकूलित मालगाड़ी भी चलेगी। इस कारिडोर से बड़े स्तर पर बदलाव दिखाई देगा।
आरआरटीएस के पहले कारिडोर दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ का कार्य चल रहा है। दिल्ली के सराय कालेखां से मेरठ के मोदीपुरम तक 82 किमी लंबे कारिडोर पर वैसे तो 55 मिनट में रैपिड रेल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन दिल्ली से मेरठ के बीच की दूरी सिर्फ आधे घंटे में समेटने के लिए कुछ रैपिड रेल को नान स्टाप चलाने की तैयारी चल रही है। नान स्टाप रैपिड रेल मेरठ के बेगमपुल या शताब्दीनगर स्टेशन (दैनिक जागरण चौराहा) से दिल्ली के आनंद विहार या सरायकाले खां तक चलेगी। बीच के किसी भी स्टेशन पर यह नान स्टाप रेल नहीं रुकेगी।
गुरुग्राम, एयरपोर्ट तक भी नानस्टाप
कुछ साल बाद जब दिल्ली-एसएनबी-अलवर कारिडोर का निर्माण पूरा हो जाएगा तब मेरठ से एयरोसिटी स्टेशन और गुरुग्राम के लिए भी नान स्टाप रेल चलाई जाएगी। गौरतलब है कि दिल्ली-अलवर कारिडोर पर ही इंदिरा गांधी एयरपोर्ट जाने के लिए एयरोसिटी नाम से स्टेशन बनेगा। इस कारिडोर के निर्माण के लिए प्राथमिक सिविल कार्य शुरू हो गया है। 160 किमी प्रति घंटे की गति से पहुंचाएगी यह रेलइस सेमी हाईस्पीड रेल की गति 160 किमी प्रति घंटे रहेगी। मेट्रो से लगभग दो गुना गति से दौड़ने की वजह से इसके स्टेशन दूर-दूर रखे गए हैं क्योंकि इसकी औसत गति भी सिर्फ 150 किमी प्रति घंटे है। अर्थव्यवस्था को ऐसे बूम देगी रैपिड रेलनौकरी-पेशा वाले लोगों का आधे घंटे में दिल्ली पहुंचने का मतलब है कि दिल्ली-मेरठ के बीच दूरी न के बराबर हो जाना। कनेक्टिविटी न होने से यहां के उद्योगों को अच्छे अवसरों से वंचित रहना पड़ जाता था। पेशेवर लोग कभी भी और कई बार बिजनेस मीटिंग कर सकेंगे। दिल्ली, पानीपत, गुरुग्राम से सामान की बुकिंग कराकर आसानी से मेरठ लाया जा सकेगा।
मोदीपुरम में वेयरहाउस बनेगा
आइटी और औद्योगिक शहरों तक जब कुछ मिनटों में पहुंचा जा सकेगा तब उन शहरों के बीच सभी तरह की व्यापारिक गतिविधियां तेजी से बढ़ेंगी। उद्योगों को कुशल स्टाफ ही नहीं शिक्षण संस्थानों को बेहतर शिक्षक और अस्पतालों को कुशल चिकित्सक भी मिल जाएंगे क्योंकि अभी तक मेरठ की अर्थव्यवस्था में दिल्ली से उसकी दूरी ही बाधा है। अगर 45 मिनट में मेरठ से दिल्ली स्थित एयरपोर्ट स्टेशन तक पहुंच जाएंगे तो यहां के उद्योगों तक विदेशी प्रतिनिधियों या देश के किसी हिस्से से प्रतिनिधि कुछ घंटे में विजिट और मीटिंग निपटाकर वापस जा सकेंगे।
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