मेरठ से उड़ान की तैयारी: लखनऊ व प्रयागराज के बीच हो सकता है हवाई सफर का ट्रायल, सांसद ने प्रस्तुत की रूपरेखा
सांसद ने केंद्रीय मंत्री को भरोसा दिया कि मेरठ से लखनऊ और प्रयागराज के बीच उड़ान में घाटे की आशंका निराधार है। अगर घाटा हुआ तो प्रदेश सरकार इसकी प्रतिपूर्ति कर सकती है अथवा आय बढ़ाने के लिए हवाई पट्टी पर हैंगर और ट्रेनिंग सेंटर खोले जा सकते हैं।

जागरण संवाददाता, मेरठ। औद्योगिक नगरी मेरठ से हवाई उड़ान की उम्मीदों को फिर नया आसमान मिला है। सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर उड़ान के नए विकल्पों की रूपरेखा प्रस्तुत की है। सांसद ने केंद्रीय मंत्री को भरोसा दिया कि मेरठ से लखनऊ और प्रयागराज के बीच उड़ान में घाटे की आशंका निराधार है। अगर घाटा हुआ तो प्रदेश सरकार इसकी प्रतिपूर्ति कर सकती है अथवा आय बढ़ाने के लिए हवाई पट्टी पर हैंगर और ट्रेनिंग सेंटर खोले जा सकते हैं। एक विकल्प यह भी है कि तीन माह तक लखनऊ और प्रयागराज तक उड़ान का ट्रायल कर लिया जाए।
उद्योगों के बीच है हवाई पट्टी, मिलेंगे खूब यात्री : मेरठ को पश्चिमी उप्र की राजधानी कहा जाता है। सांसद ने केंद्रीय मंत्री के समक्ष साफ कर दिया कि मेरठ उद्यमियों, चिकित्सकों और कारोबारियों का भी शहर है। यहां से रोजाना सैकड़ों लोग हवाई टिकट के बराबर खर्च उठाकर लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज समेत दूसरी जगहों का सफर करते हैं। ऐसे में विमान के लिए यात्री न मिलने की आशंका बेबुनियाद है। परतापुर हवाई पट्टी के आसपास बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, जहां के उद्यमी देश-विदेश आते जाते रहते हैं।
सात साल से लैंडिंग का इंतजार : सन 2014 में मेरठ को रीजनल कनेक्टिीविटी स्कीम के तहत चुना गया था। हालांकि प्रदेश में सपा की सरकार होने की वजह से केंद्र एवं राज्य के बीच फाइलें फंसी रह गईं। 2017 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनी तो मेरठ से उड़ान की उम्मीदों को नए पर लग गए। फरवरी 2019 को तत्कालीन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने मेरठ से लखनऊ और प्रयागराज के लिए उड़ान की मंजूरी दे दी। जूम एयर का चयन भी कर लिया गया। लेकिन कंपनी ने दावा किया कि मेरठ से पर्याप्त विमान यात्री नहीं मिलेंगे, ऐसे में एयरलाइंस को घाटा होगा। मार्च 2021 में एयरपोर्ट अथारटी आफ इंडिया ने रीजनल कनेक्टिीविटी स्कीम के तहत मेरठ समेत 96 रूटों का ई-प्रपोजल अपलोड किया लेकिन अगस्त तक कोई प्रगति नहीं हुई।
हवाई पट्टी वापस लेने की तैयारी
अब एयरपोर्ट अथारटी, दिल्ली एयरपोर्ट इंटरनेशनल लिमिटेड एवं प्रदेश सरकार की टीम उड़ान के विकल्पों पर मंथन कर रही हैं। सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि मेरठ में इंटीग्रेटेड एयरपोर्ट बनाकर घाटे को पूरा किया जा सकता है। यहां पर उड़ान की ट्रेनिंग एवं कार्गो सेंटर बनाने की बात उठी है। एक विकल्प यह भी है कि एयरपोर्ट अथारटी से प्रदेश सरकार हवाई पट्टी वापस ले, और अपने स्तर पर विमानों की उड़ान संचालित करे। उद्यमियों का दावा है कि मेरठ से लुधियाना, बनारस, आगरा जैसे शहरों से भी हवाई उड़ान जोड़कर लाभ अर्जति किया जा सकता है।
बरेली से उड़ा विमान मेरठ में भी तड़प
गाजियाबाद के हिंडन और बरेली से यात्री विमान उड़ने लगे, जबकि मेरठ से करीब सौ किमी दूर स्थित जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहा है। ऐसे में मेरठ वासियों के दिल में भी यह तड़प है कि आखिर मेरठ का क्या कुसूर है?
सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा: केंद्रीय उड्डयन मंत्री के संज्ञान में विषय डाला है। हवाई पट्टी के लिए किसान पर्याप्त जमीन देने को तैयार हैं। मेरठ से विमान उड़ान के कई विकल्पों पर मंथन हो रहा है। घाटे की प्रतिपूíत के लिए प्रदेश सरकार के संपर्क में हूं। एएआई के एमडी से भी जल्द मुलाकात करूंगा। उड़ान अवश्य होगी।
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