Meerut News: परशुराम शर्मा, उम्र 76 तो एक नंबर है! अभी जारी है 'कलम का वार', कॉमिक्स नागराज और अंगारा के बाद अब 'लावा' तैयार
Meerut News अपने उपन्यासों से देश भर में स्टार राइटर की पहचान बनाने वाले परशुराम शर्मा की कलम अभी भी जारी है। लेखन के साथ-साथ गायन निर्देशन संगीत और अभिनय से भी उन्हें लगाव है। उसी दौर में बड़े पर्दे पर देशी डान में मुख्य खलनायक की भूमिका निभाने के साथ-साथ इस फिल्म से लेखक और संगीतकार के तौर पर भी जुड़े।

जागरण संवाददाता, (प्रवीण वशिष्ठ), मेरठ। एक जमाने में हारर और थ्रिलर उपन्यासों से घर-घर में पहचान बनाने वाले परशुराम शर्मा आज 76 साल की उम्र में भी नहीं थके हैं। इस समय इच्छामृत्यु शीर्षक से उपन्यास लिख रहे है और कामिक्स के लिए लावा नाम का पात्र रचा है।
कुछ माह पूर्व बीमार होने पर निराश होने लगे थे, लेकिन सकारात्मक सोच को अपनाया और अब कहते हैं कि बतौर लेखक उनके पास अभी कम से कम दस साल हैं और बहुत कुछ करना बाकी है।
1968 में आए मेरठ
परशुराम शर्मा पौड़ी गढ़वाल के मूल निवासी हैं। इंटर में पढ़ते समय उनकी पहली कहानी छपी। उसे बहुत पसंद किया गया। बताते हैं कि उस दौर में मेरठ प्रकाशकों का गढ़ हुआ करता था। लेखन में करियर बनाने को 1968 में यहां आ गए और यहीं के होकर रह गए। उनकी कलम का कमाल शुरू हुआ और अब तक करीब तीन सौ उपन्यास लिख चुके हैं।
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हॉरर और थ्रिलर खूब पसंद किए
उनके लिखे हॉरर और थ्रिलर उपन्यास अधिक पसंद किए गए हैं। इनमें बाज, पुकार, कोरे कागज का कत्ल, महारानी और आदमखोर आदि प्रमुख हैं। कामिक्स के लिए भी खूब लिखा। उनके रचे नागराज, अंगारा जैसे पात्र आज भी लोगाें को याद हैं। अब उन्होंने लावा नाम का कामिक्स पात्र रचा है। कहते हैं कि पहले टीवी और अब इंटरनेट के कारण उपन्यास और कामिक्स पढ़ने वाले पहले के मुकाबले भले ही कम हो गए हों, लेकिन एक वर्ग अब भी इन्हें पसंद करता है। इस समय आत्मकथात्मक उपन्यास इच्छामृत्यु लिख रहे हैं।
देवानंद और अमिताभ बच्चन ने सराहा, स्थापित लेखकों ने नहीं दिया जमने
परशुराम शर्मा बताते हैं कि नब्बे के दशक में उन्होंने बालीवुड का रुख किया। उपन्यासों के कारण वहां उनका नाम जाना-पहचाना था। देवानंद, अमिताभ बच्चन और जैकी श्राफ आदि से मिले तो सभी ने सराहा, लेकिन वहां के कुछ स्थापित लेखकों ने उन्हें नहीं जमने दिया। इस कारण बड़े बैनरों की फिल्में नहीं मिलीं।
हालांकि उस दौर में 16 धारावाहिक लिखे, लेकिन दूरदर्शन पर प्रसारण केवल वकील जासूस और तलाश का हो सका। इच्छामृत्यु लिखने के बाद रावण के चरित्र पर उपन्यास लिखने का इरादा है। कहते हैं कि उनकी उम्र के लोगों साथ-साथ सभी को सदा सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इसी कारण सोचते हैं कि बतौर लेखक उनके पास अभी कम से कम दस साल हैं। अब उनकी इच्छा थ्रिलर वेब सीरिज लिखने की है।

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