NGT ने धराली में बादल फटने पर केंद्र, उत्तराखंड और UP सरकार से मांगा जवाब, नोटिस जारी
मेरठ के प्रियंक भारती की याचिका पर एनजीटी ने उत्तराखंड में बादल फटने से हुई क्षति के मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। याचिका में गंगोत्री से गढ़मुक्तेश्वर तक फ्लड प्लेन में अतिक्रमण को तबाही का कारण बताया गया है। एनजीटी ने इसे पर्यावरणीय मानकों के उल्लंघन का गंभीर मामला माना है और संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।

जागरण संवाददाता, मेरठ। उत्तराखंड के धराली में बादल फटने की घटना से हुई क्षति को लेकर मेरठ के प्रियंक भारती की याचिका पर एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच ने केंद्र सरकार के साथ उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। याचिका में गंगोत्री से गढ़मुक्तेश्वर तक फ्लड प्लेन में हुए अतिक्रमण को घटना का कारण बताया गया है।
पांच अगस्त को बादल फटने से हुई थी भारी तबाही
शोभित यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर और नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट मेरठ के अध्यक्ष प्रियंक भारती ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की प्रिंसिपल बेंच ने धराली में बादल फटने के बाद आई आपदा पर बड़ा कदम उठाया है।
भारती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान बताया गया कि पांच अगस्त को धराली में भागीरथी और खीरगाड़ के संगम पर बादल फटने से भारी तबाही मची थी, जिसका असर यूपी के बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़ समेत कई जनपदों पर पड़ा। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि वैसे तो बादल फटने की घटना प्राकृतिक आपदा है, लेकिन बड़े पैमाने पर हुई तबाही का कारण नदी के फ्लड प्लेन क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण है। सुनवाई के दौरान उपग्रह चित्र पेश करते हुए बताया कि करीब 148 भवन सीधे फ्लड प्लेन में बने हैं।
प्रियंक भारती के मुताबिक एनजीटी ने माना है कि यह मामला पर्यावरणीय मानकों के अनुपालन से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। अदालत ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करके निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई 27 नवंबर से कम से कम एक सप्ताह पहले शपथपत्र के साथ अपना जवाब दाखिल करें। एनजीटी ने यह भी स्पष्ट किया कि इसी तरह का मुद्दा गंगोत्री धाम क्षेत्र में अवैध निर्माण को लेकर दायर याचिका में भी विचाराधीन है। अब दोनों मामलों की संयुक्त सुनवाई 27 नवंबर को होगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।