Namo Bharat हुई खराब, ऐसा क्या हुआ- 40 मिनट की जगह घंटों का लग गया समय; यात्रियों का टूटा सब्र का बांध
नमो भारत ट्रेन रविवार को मेरठ साउथ स्टेशन से दिल्ली की ओर एक घंटे 21 मिनट तक रुकी रहने से यात्रियों में आक्रोश फैल गया। एक बीमार यात्री के स्वजन ने हंगामा किया जबकि अन्य यात्रियों ने भी ट्रेन की देरी पर सवाल उठाए। कई यात्रियों का कहना था कि इस देरी से उनका समय बर्बाद हो गया। स्टेशन पर टिकट खिड़की पर भीड़ जुट गई।
जागरण संवाददाता, मेरठ। नमो भारत ट्रेन रविवार को मेरठ साउथ स्टेशन से दिल्ली की तरफ एक घंटा 21 मिनट तक रुकी रहने से यात्रियों के सब्र का बांध टूट गया। एक बीमार यात्री के स्वजन ने हंगामा कर दिया। अन्य यात्रियों ने भी ट्रेन के समय पर सवाल खड़े किए। कई यात्री ऐसे थे, जिन्होंने पहली बार नमो भारत में सफर किया। उनका कहना था कि इससे अच्छा तो वह मोदीनगर से आटो में बैठकर आ जाते, तो ठीक रहता। यात्रियों ने दैनिक जागरण से बातचीत में आपबीती सुनाई...।
टिकट खिड़की पर लगी भीड़, एंट्री नहीं मिली
नमो भारत ट्रेन के लेट होने के कारण अन्य कई ट्रेनों का भी समय बदल गया। इस ट्रेन के बाद दूसरी नमो भारत ट्रेन दोपहर पौने तीन बजे पहुंची। इस ट्रेन को भी आधा घंटा रोका गया। यात्रियों का कहना है कि टिकट खिड़की पर ट्रेन लेट होने के कारण टिकट नहीं दिए गए। जिन लोगों ने टिकट ले लिया था, उन्हें स्टेशन के अंदर एंट्री नहीं दी जा रही थी। हालांकि बाद में टिकट भी दिए गए और एंट्री भी दी गई।
नमो भारत ट्रेन में सफर करके मेरठ साउथ स्टेशन पर पहुंचे यात्री ट्रेन लेट होने को लेकर हंगामा करते हुए। जागरण
मुझे दिल्ली से मेरठ जल्दी आना था। इसलिए मैंने जल्दी के कारण नमो भारत ट्रेन के लिए टिकट लिया। ट्रेन काफी देर तक मेरठ साउथ स्टेशन से पहले ही रुकी रही। जिस कारण मैं और भी लेट हो गया। - परमानंद, शताब्दीनगर
मेरठ में मेरी बुआ रहती है। रविवार को छुट्टी होने के कारण बुआ से मिलने के लिए नमो भारत ट्रेन से मेरठ आ रहा था लेकिन पूरा समय बर्बाद कर दिया। ट्रेन एक घंटे से भी अधिक समय स्टेशन से पहले खड़ी रही और हम फंसे रहे। -केशव सिंह, न्यू अशोकनगर दिल्ली
मेरठ साउथ स्टेशन से 300 मीटर दूर नमो भारत एक घंटा 21 मिनट रुकने के कारण स्टेशन में अंदर जाने पर बंद एंटी व लगी लंबी लाइन। जागरण
पहली बार नमो भारत ट्रेन में बैठा था। न्यू अशोकनगर से मेरठ तक आने में दो घंटे से अधिक समय लग गया। जहां पर ट्रेन रुकी थी। यदि खिड़की खुली होती तो पैदल ही मेरठ स्टेशन तक पहुंच जाते, लेकिन खिड़की बंद थी। हम फंसे रहे। -परवेज, शास्त्री नगर
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