लखनऊ के कचरे से क्या बनाया गया? राष्ट्र प्रेरणा स्थल का कूड़ा हटाने में मेरठ का बड़ा योगदान
लखनऊ में पूर्व कूड़ा स्थल को राष्ट्र प्रेरणा स्थल के रूप में विकसित किया गया है, जिसमें मेरठ का महत्वपूर्ण योगदान रहा। मेरठ की ब्रिजेंद्रा एनर्जी एंड ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मेरठ। लखनऊ के हरदोई रोड पर स्थित बसंतकुंज के पास कभी कूड़ा स्थल रहे क्षेत्र को राष्ट्र प्रेरणा स्थल के रूप में विकसित कर दिया गया है। यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय की प्रतिमाओं का अनावरण गत दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है। कभी इस स्थल पर लगभग छह लाख मीट्रिक टन कूड़े का तीस फीट ऊंचा पहाड़ हुआ करता था। इस कूड़े को हटाने में मेरठ का भी योगदान रहा है।
राष्ट्र प्रेरणा स्थल के निर्माण से पहले लखनऊ से प्लास्टिक कचरे को लाकर मेरठ साउथ रैपिड स्टेशन के समीप भूड़बराल स्थित ब्रिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी के प्लांट में बिजली बनाने का किया गया है। इस प्लांट में कूड़े से बिजली बनाने की शुरुआत वर्ष 2020 में हो गई थी। यह एक मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का गैसीफिकेशन तकनीक का प्लांट है। इसमें कूड़े से निकलने वाले ज्वलनशील कचरे जैसे प्लास्टिक, कपड़ा, कागज का उपयोग किया जाता है।
गैसीफिकेशन तकनीक का इस्तेमाल करके कूड़े को उच्च ताप देकर उसके बेसिक मालिक्यूल में तोड़ा जाता है, जिससे कि प्रचूर मात्रा में हाइड्रोजन और मीथेन जैसी गैस बनती है। जिसका प्रयोग इंजन अथवा टरबाइन में ईंधन की तरह किया जाता है। इस ईंधन से जनरेटर चलाकर बिजली उप्तादित की जाती है। जिसे ग्रिड पर दिया जाता है। इसके लिए पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड से करार है।
हालांकि वर्तमान में बिजली आदान-प्रदान को लेकर कुछ अड़चन चल रही है। वहीं, गैसीफिकेशन की प्रक्रिया के दौरान निकलने वाले टार का उपयोग सड़क निर्माण में तारकोल की जगह किया जा सकता है। प्लांट के संस्थापक ब्रिजेंद्र सिंह ने बताया कि लगभग 25 साल के शोध के बाद गैसीफिकेशन की तकनीक को विकसित किया था। इसकी प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल है। इसमें बहुत कम राख निकलती है।
राख का उपयोग खेतों में खाद के रूप में होता है। इस प्लांट का एक मेगावाट क्षमता पर चलाने के लिए प्रतिदिन 200 मीट्रिक टन कूड़े की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि लखनऊ के राष्ट्र प्रेरणा स्थल के निर्माण से पहले वहां डंप कूड़े का निस्तारण करने का ठेका लेने वाली फर्म ने लगभग 10 हजार मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा दिया था। उससे लगभग 3000 यूनिट बिजली उत्पादित की गई थी।

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