यूपी के इस शहर में एक लाख से अधिक आवारा कुत्ते, हर माह साढ़े चार हजार से ज्यादा लोगों को नोच रहे
Meerut News मेरठ में आवारा कुत्तों के काटने से जख्मी होने और जान जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। बढ़ते शहरीकरण के साथ आवारा कुत्तों की प्रवृत्ति हिंसक होती जा रही है। आवारा कुत्तों को गली-सड़क पर भोजन देने पर टकराव देखने को मिल रहे हैं। मेरठ शहर में एक लाख से अधिक आवारा कुत्ते हैं।

जागरण संवाददाता, मेरठ। जनपद में स्थित स्वास्थ्य विभाग की एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने की 66 यूनिटों में दर्ज जून माह के आंकड़े भयावह हैं। पेट डाग, स्ट्रीट डाग, बिल्ली, बंदर और अन्य जानवरों ने कुल 8,384 लोगों को काटा है। इनमें सबसे ज्यादा 4,784 मामले आवारा कुत्तों के काटने के हैं। इसके अलावा 2,388 मामले पेट डाग के काटने के हैं।
पीड़ित जख्मी भी हैं और लहूलुहान भी
864 मामले बंदरों और 296 मामले बिल्ली के काटने के दर्ज हैं। 52 मामले चूहे या अन्य जानवरों के काटने के हैं। परेशान करने वाली बात यह है कि एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे ज्यादातर पीड़ित दूसरी और तीसरी कैटेगरी के हैं। यानी पीड़ित जख्मी भी हैं और लहूलुहान भी।
जून माह में दूसरी कैटेगरी के 7,204 और तीसरी कैटेगरी के करीब 1,135 मामले पाए गए हैं। दूसरी कैटेगरी के पीड़ित को चार एंटी रेबीज इंजेक्शन और तीसरी कैटेगरी के पीड़ित को एंटी रेबीज इंजेक्शन के साथ एंटी सीरम इंजेक्शन लगवाए गए। माना जाता है कि तीसरी कैटेगरी के मामले ज्यादातर हिंसक प्रवृत्ति के कुत्तों या बंदरों के काटने के होते हैं। ये आंकड़े भले ही जून माह के हैं। लेकिन हर महीने यही स्थिति बनी हुई है।
तीन कैटेगरी में होता है इलाज
- स्वास्थ्य विभाग में तीन कैटेगरी में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था है। पहली कैटेगरी में वे पीड़ित आते हैं जिनके पैर अथवा किसी अंग को जानवर ने मुंह से दबोच लिया हो, लेकिन निशान, घाव व खून न निकला हो। ऐसे अधिकतर मामलों में एंटी रेबीज इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती।
- दूसरी कैटेगरी में वे आते हैं जिनमें काटने का निशान बन गया हो, लेकिन खून न निकला हो। इसमें एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाया जाता है। एक महीने के भीतर चार इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं।
- तीसरी कैटेगरी में उन पीड़ितों को रखा जाता है जिनमें काटने पर घाव होने के साथ खून निकल आता है। इस कैटेगरी के पीड़ित को एंटी रेबीज इंजेक्शन के साथ एंटी सीरम इंजेक्शन भी लगवाने की जरूरत पड़ती है।
शहर में एक लाख से अधिक हैं आवारा कुत्ते
पीएल शर्मा जिला अस्पताल की एंटी रेबीज इंजेक्शन की यूनिट के पन्ने पलटें तो हर मुहल्ले से कुत्ते के काटने के मामले सामने आ रहे हैं। ज्यादातर मामले राह चलते लोगों को काटने के हैं। प्रमुख मार्ग हों या मुहल्ले की गली-सड़क, पार्कों के आसपास, बाजार क्षेत्रों में सभी जगह आवारा कुत्तों के घूमते झुंड दिख जाते हैं। रात को स्कूटी, बाइक से जाते लोगों को आवारा कुत्ते दौड़ाते हैं।
आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के इंतजाम नगर निगम को करने हैं। महज एक एनिमल बर्थ कंट्रोल यूनिट के भरोसे नाम मात्र कुत्तों की नसबंदी करके इनकी आबादी नियंत्रित करने की खानापूरी की जा रही है। शहर में एक लाख से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं।
केस एक: कुत्ते के काटने का मामला थाने पहुंचा
मलियाना बिजली उपकेंद्र के समीप रहने वाले प्रदीप कुमार ने टीपीनगर थाने में शिकायत दी है कि उनके मुहल्ले में एक व्यक्ति ने कुत्ते पाल रखे हैं। जब ये कुत्ते किसी को काट लेते हैं तो वह इन्हें आवारा कुत्ते बता देते हैं। जब कोई इन्हें भगाने लगता है तो वह ऐसा करने से मना करते हैं। प्रदीप का कहना है कि इन कुत्तों ने उनके बेटे और अमन नाम के व्यक्ति को गत दिनों काट लिया था।
केस दो: स्कूटी से जा रहे थे, पीछे से दौड़कर कुत्ते ने दबोच लिया पैर
माजिद अली शुक्रवार को स्कूटी से कोटला बाजार सामान लेने जा रहे थे। दिल्ली रोड चुंगी के पास अचानक पीछे से एक आवारा कुत्ता दौड़कर आया और उनका पैर दबोच लिया। कुत्ते के काटते ही वह स्कूटी समेत सड़क पर गिर गए।
गति धीमी थी इसलिए चोट नहीं लगी। लेकिन बाएं पैर पर कुत्ते के काटने के घाव के साथ वह पीएल शर्मा जिला अस्पताल पहुंचे। वहां एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाया।
एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने की 66 केंद्रों पर है व्यवस्था
डिप्टी सीएमओ डा. सुधीर कुमार कहते हैं कि जनपद में लोगों को रेबीज संक्रमण से बचाने के लिए 66 केंद्रों पर स्वास्थ्य विभाग ने एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था की है। पीएल शर्मा जिला अस्पताल में अब एंटी सीरम इंजेक्शन भी लगने लगा है। पीड़ित को अब दिल्ली रेफर नहीं करना पड़ता। आवारा कुत्तों के काटने के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं।
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