UP Ring Road: यूपी के इस जिले में बनेगी इनर रिंग रोड, सीएम योगी ने दी मंजूरी; अब खरीदी जाएगी 15 हेक्टेयर जमीन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ शहर की अधूरी रिंग रोड को पूरा करने के लिए मंजूरी दे दी है जिससे शहर को इनर रिंग रोड मिलेगी। हापुड़ रोड से दिल्ली-दून बाईपास तक पहला हिस्सा बनेगा जबकि गढ़ रोड से रुड़की रोड तक दूसरा हिस्सा आबूनाला की पटरी पर बनेगा। इस परियोजना पर लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

जागरण संवाददाता, मेरठ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा व समीक्षा बैठक के बाद यह खुशखबर सामने आई है कि शहर की अधूरी रिंग रोड को पूर्ण करने के लिए मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दे दी है।
जो रिंग रोड डेढ़ दशक से गोल-गाेल घूम रही थी उसे तो बनाएंगे ही साथ ही जिस रिंग रोड की चर्चा की समाप्त हो चुकी थी उसे भी पूरा करेंगे। यानी अब रिंग रोड के बचे हुए दो हिस्से पूरे कर लिए जाएंगे जिससे पूरे शहर को एक इनर रिंग रोड मिल जाएगी। इससे बाहर के वाहन शहर के अंदर आने के बजाय बाहर से ही निकल जाएंगे।
रिंग रोड का पहला हिस्सा हापुड़ रोड से जुर्रानपुर रेलवे लाइन, दिल्ली रोड होते हुए दिल्ली-दून बाईपास तक बनेगा। इसे नार्थ रिंग रोड नाम दिया गया है। इसका शिलान्यास वैसे तो 2011 में हुआ था और जुर्रानपुर रेलवे लाइन पर ओवरब्रिज भी बना दिया गया था लेकिन उसके बाद कोई काम नहीं हुआ।
15 हेक्टेयर जमीन खरीदेगा मेडा
रिंग रोड के लिए जमीन नहीं खरीदी गई यहां तक कि ओवरब्रिज के लिए एप्रोच रोड भी नहीं बनाई गई।हालांकि अब यह बनाई जाएगी। इस रिंग रोड के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) लगभग 15 हेक्टेयर जमीन खरीदेगा। जमीन खरीद पर कुल 162 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इसके लिए 100 करोड़ रुपये मेडा ने आरक्षित कर रखे हैं जबकि 62 करोड़ रुपये शासन से मिलेंगे। शासन से अभी यह धनराशि नहीं मिल पाई है इसलिए मेडा ने बैनामा नहीं शुरू किया है। वहीं निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी करेगा। इसमें नाले, दो फ्लाईओवर भी शामिल हैं।
लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। हालांकि आश्वासन मिला तो सभी कार्य गति पकड़ लेंगे। इसके बन जाने से बिजली बंबाबाईपास पर कई घंटे तक जाम में फंसने के बजाय सीधे निकल जाएंगे। बागपत रोड के वाहन आसानी से हापुड़ रोड पहुंच जाएंगे।
अब बात उस हिस्से की जो गढ़ रोड से सीधे रुड़की रोड पर जटौली के पास जोड़ देगा। इसे आबूनाला की पटरी पर बनाया जाएगा। इसके लिए जमीन नहीं खरीदी जाएगी इसलिए सिर्फ 96 करोड़ रुपये खर्च हाेंगे। यदि यह सड़क बन गई तो हरिद्वार, मुजफ्फरनगर की तरह के वाहनों को मवाना रोड, किला रोड या गढ़ रोड जाने के लिए शहर के अंदर की सड़क पर आने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा।
वे नाला पटरी से आ सकेंगे। इसी तरह से गढ़ रोड व हापुड़ रोड के लोगों को किला रोड व मवाना रोड पर जाने में आसानी हो जाएगी। इन दोनों हिस्सों से ही पूरे शहर को इनर रिंग रोड मिल जाएगी। दरअसल, रिंग रोड का हिस्सा लोहियानगर व जागृति विहार में बना हुआ है।
गढ़ रोड से किला रोड तक इसका हिस्सा नहीं बना है जोकि अब बन जाएगा। किला रोड से मवाना रोड तक इसका हिस्सा पहले से बना है। अब मवाना रोड से नाला पटरी पर होते हुए जटौली तक बन जाएगी। मोदीपुरम से परतापुर तक जो बाईपास है उसे भी रिंग रोड का हिस्सा माना गया है। इस तरह से रिंग रोड आकार ले लेगी।
वैसे तो मुख्यमंत्री ने जनसभा में रिंग रोड की घोषणा कर दी थी लेकिन फिर भी इन दोनों रिंग रोड के लिए ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर व कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने समीक्षा बैठक में मांग रखी। मुख्यमंत्री ने इस पर बताया कि 500 करोड़ रुपये खर्च से वह एक साथ कर रहे हैं।
जब बात गंगा एक्सप्रेसवे की हुई तब फिर मुख्यमंत्री ने यह बताया कि इसी साल से इसे शुरू कर देंगे। छह घंटे में प्रयागराज पहुंच जाएंगे। यही नहीं मेरठ से हरिद्वार तक विस्तार के लिए सर्वे करा रहे हैं। बात यहीं कहां समाप्त होने वाली थी। गंग नहर को वह कैसे भूलते।
योगी ने घोषणा की,भोला की झाल अब पर्यटन स्थल बनेगा। यह वही भोला की झाल है जब किसी का कोई रिश्तेदार आता है तो थोड़ा रोमांचक स्थल दिखाने के लिए यहीं लेकर जाता है। यहां तेजी से गिरता और उड़ता पानी, पन चक्की आकर्षक है। जब पानी उड़ते हुए काेई देखे तो हवाई उड़ान की बात भी स्वाभाविक है। खैर समीक्षा बैठक में जनप्रतिनिधियों ने इसकी मांग रखी।
हवाई पट्टी विस्तार और एयरपोर्ट निर्माण की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जमीन पर एएआइ का नाम दर्ज होने की बाधा को खत्म कर दिया है। आवश्यक पत्र एयरपोर्ट अथारिटी को भेज दिया है। अब डीजीसीए से अनुमति प्राप्त करके एएआइ एयरपोर्ट निर्माण करें। इसके लिए प्रयास किया जा सकता है।
इस बात पर डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी ने बाद दावा करते हुए बताया कि अब 72 सीटर विमान उड़ने में समस्या नहीं रहेगी। वह डीजीसीए से पहले ही बात कर चुके हैं। खैर उड़ान से उबरे तो उस मांग की तरफ जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिलाया, जिसके लिए वर्षों से अधिवक्ता संघर्ष कर रहे हैं।
बागपत सांसद राजकुमार सांगवान, राज्यसभा सदस्य लक्ष्मीकांत बाजपेयी और विधायक अमित अग्रवाल के साथ अधिकांश ने पश्चिम उप्र के लिए मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की मांग उठाई। हवाला दिया गया कि हाल ही में महाराष्ट्र में पांचवीं बेंच को स्वीकृति मिली है, जबकि उप्र की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह भी बताया कि प्रयागराज जाने में बहुत देरी लगती है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें हमारी संस्तुति की जरूरत नहीं है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार को लेना है।
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