विश्व में प्रभु श्रीराम का सर्वाधिक सम्मान, उनका प्रभाव-स्वभाव दोनों पूर्ण : स्वामी रामभद्राचार्य
Meerut News मेरठ में आज शाम पद्म विभूषण स्वामी श्री रामभद्राचार्य महाराज की श्रीराम कथा का शुभारंभ हो गया। श्री रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि मैं भगवान राम का दास हूं यह मन में भाव आना स्वभाव है। यदि हम उनका चिंतन करते हैं तो यह अध्यात्म है। आत्मा का कीर्तन करना भी अध्यात्म कहलाता है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। मर्यादा पुरुषोत्तम व जगत नियंता प्रभु श्रीराम की कथा यदि श्री तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य के श्रीमुख से उदभाषित हो तो पूरा वातावरण जैसे ध्यानस्थ हो जाता है। यदि प्रभु श्रीराम के स्वभाव की महिमा का वर्णन हो तो मानवता के सभी श्रेष्ठतम मूल्य प्रणाम की मुद्रा में आकार लेते दृष्टिगोचर होते हैं।
सोमवार को मेरठ के नभमंडल में श्रीराम कथा की अमृतवर्षा का शुभ मुहूर्त प्रकट हुआ और तुलसी पीठाधीश्वर पद्म विभूषण स्वामी रामभद्राचार्य ने पहले दिन मर्यादा पुरुषोत्तम के भक्तवत्सल स्वभाव का वर्णन किया। कहा कि महाराज श्रीराम ने अपने स्वभाव से ही विश्व के मन मस्तिष्क पर शासन किया। स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि मैं भगवान राम का दास हूं, यह मन में भाव आना स्वभाव है। यदि हम उनका चिंतन करते हैं तो यह अध्यात्म है। आत्मा का कीर्तन करना भी अध्यात्म कहलाता है।
भामाशाह पार्क मैदान में सोमवार शाम सात बजे नौ दिवसीय श्रीराम कथा का शुभारंभ हो गया। स्वामी श्री ने कथा के शुभारंभ में प्रथम पूज्य गणपति जी की वंदना की। सीताराम-सीताराम उच्चारण करते हुए भजन गाया और रघुनंदन को नमन किया। स्वामी रामभद्राचार्य जी ने कहा कि यह उनकी 1406वीं कथा है। स्वामी रामभद्राचार्य कहते हैं कि भगवान श्रीराम इस समय सबसे ऊंची बुलंदी पर हैं। हम लोग श्रीराम जन्म भूमि का मामला जीत चुके हैं। भव्य राम मंदिर की पूरी दुनिया साक्षी बन चुकी है। वर्तमान परिदृश्य में विश्व के मानचित्र में सबसे अधिक जो सम्मान है, वह हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का है।
रामभद्राचार्य ने कथा के प्रथम दिवस पर रामचरितमानस के उत्तरकांड में क्रमांक 124 के पंक्ति क्रमांक चार को उल्लेखित करते हुए कहा कि यह पूरा प्रसंग स्वभाव से संबंधित है। भगवान राम के स्वभाव को जिसने अपनाया है, वह दुनिया में बड़ा बना है। रघुनंदन का ही ऐसा स्वभाव है कि जो राक्षस भी चिंतन कर ले, वह कपट भूल जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान राम का प्रभाव व स्वभाव दोनों पूर्ण है। प्रभाव के चिंतन में भय और स्वभाव के चिंतन में प्रेम होता है। भगवान राम का स्वभाव वह है, जो चुंबक की भांति सभी को आकर्षित करता है। यह वह स्वभाव है, जो पतित से पतित को भी भगवान के निकट ले आता है। राघवेंद्र सरकार का स्वभाव त्रिलोक में किसी और के पास नहीं है।
श्री रामभद्राचार्य महाराज द्वारा श्रीराम कथा का आयोजन भामाशाह पार्क में 16 सितंबर तक शाम चार से शाम सात बजे तक प्रतिदिन होगा।
वर्षा के कारण हो गई कीचड़, लेकिन आयोजकों ने की व्यवस्था
भामाशाह पार्क में मैदान में वर्षा के कारण कीचड़ होने से कथा शुरू होने पर सवाल खड़े हो गए थे, लेकिन आयोजकों ने श्रद्धालुओं के लिए कीचड़ के ऊपर लकड़ी के फट्टे लगाकर रास्ता बनवाया।
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