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    Military Nursing Service : MNS की 100 वर्षों की गौरवगाथा, पूरी तरह नारी शक्ति पर आधारित है यह कैडर

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 12:30 PM (IST)

    Military Nursing Service मिलिट्री नर्सिंग सर्विस ने राष्ट्र सेवा के 100 वर्ष पूरे किए हैं। सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा का यह महिला कैडर बलिदान करुणा और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस अवसर पर मेरठ के मिलिट्री हॉस्पिटल में शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया जिसमें नर्सिंग ऑफिसर्स और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए।

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    नर्सिंग सेवाओं के 100 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम का शुभारंभ करते कमांडेंट ब्रिगेडियर विक्रम पात्रा, मौजूद अन्य अतिथि

    जागरण संवाददाता, मेरठ। राष्ट्र सेवा के समर्पण की एक सदी पूरी करते हुए, मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (MNS) ने अपने 100 गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए हैं। सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (AFMS) का यह सबसे पुराना और पूर्ण महिला कैडर है, जिसने बलिदान, करुणा और प्रतिबद्धता की मिसाल कायम की है। इस ऐतिहासिक मौके पर देशभर में शताब्दी वर्ष के विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मेरठ स्थित मिलिट्री हॉस्पिटल में भी कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

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    बलिदान और समर्पण की विरासत

    एमएनएस का इतिहास 1888 से जुड़ा है, जब भारतीय नर्सें ब्रिटिश सेना के तहत सेवा करती थीं। प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918) में सेना की नर्सों ने फ्लैंडर्स, भूमध्य सागर, बाल्कन, मध्य पूर्व आदि में अस्पताल जहाजों तक पर वीरतापूर्ण सेवाएं दीं। इस दौरान 200 से अधिक नर्सों ने प्राणों की आहुति दी, जिनमें कई भारतीय थीं। उनके नाम आज भी इंडिया गेट युद्ध स्मारक पर अंकित हैं।

    स्वतंत्रता के बाद तिरंगे के तले आगे बढ़ी यह सेवा

    एक अक्टूबर 1926 को इस सेवा को ब्रिटिश भारतीय सेना के भीतर स्थायी दर्जा दिया गया और यही स्थापना दिवस माना जाता है। स्वतंत्रता के बाद यह सेवा भारतीय तिरंगे के तले आगे बढ़ी। 1976 में मेजर जनरल जीएराम पहली महिला जनरल ऑफिसर बनीं और एमएनएस ने महिला सशक्तिकरण का एक नया अध्याय रचा। इसके बाद एमएनएस अधिकारियों ने न केवल भारत के युद्धों व मानवीय प्रयासों में योगदान दिया बल्कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भी देश का परचम लहराया।

    नई सदी में नए संकल्प

    नई सदी में नए संकल्प एमएनएस अधिकारी केवल देखभाल ही नहीं बल्कि पढ़ाने, शोध और स्वास्थ्य सेवाओं में नए आयाम गढ़ने में भी अग्रणी हैं। वे नर्सिंग कैडेटों को प्रशिक्षित करती हैं, चिकित्सा सहायकों को मार्गदर्शन देती हैं और युद्धभूमि के लिए नर्सिंग सहायकों को तैयार करती हैं। अपने 100 वर्षों की गौरवगाथा पूरी कर चुकी मिलिट्री नर्सिंग सर्विस अब अपनी नई सदी में 'कर्तव्य और करुणा' के आदर्श वाक्य को आगे बढ़ाते हुए सेवा और बलिदान की प्रेरक मिसाल बनी रहेगी।

    मेरठ एमएच में वैज्ञानिक सत्र के साथ समारोह का शुभारंभ

    मेरठ स्थित मिलिट्री हॉस्पिटल (Military Hospital Meerut) में इस शताब्दी समारोह का शुभारंभ गेरियाट्रिक और पैलिएटिव केयर विषय पर आयोजित वैज्ञानिक सत्र के साथ हुआ। इसका आयोजन कैनसपोर्ट, नई दिल्ली के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर मिलिट्री हॉस्पिटल मेरठ की नर्सिंग ऑफिसर्स, सुभारती नर्सिंग कॉलेज और एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के बीएससी (नर्सिंग) छात्र-छात्राओं ने अपने प्राचार्यों व फैकल्टी के साथ भाग लिया।

    कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रक्षा मंत्रालय के एकीकृत मुख्यालय की महानिदेशक (नर्सिंग) मेजर जनरल लिस्सामा पीवी ने कहा कि नर्सिंग सेवा का मूलमंत्र करुणा और प्रतिबद्धता है, और आने वाली पीढ़ियों को इस विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए।

    विशेषज्ञों ने रखे विचार

    वैज्ञानिक सत्र में एमएच में मेडिसिन विभाग प्रमुख कर्नल धीरज नौहवार ने बुजुर्गों की देखभाल में भारत वर्ष में बहुत अधिक सुधार की जरूरत है। इसे मुख्य धारा की विशेषज्ञता बनाने की दिशा में और कार्य करने की जरूरत है। पैलिएटिव केयर विशेषज्ञ डॉ लिपिका पात्रा, डॉ रविंदर मोहन और अनामिका पांडे ने भी अपने अनुभव प्रस्तुत किए। वहीं उप-प्रधान मेट्रन लेफ्टिनेंट कर्नल सिजी केएम ने ऑन्कोलॉजी नर्सिंग में अपने अनुभव साझा किए।

    प्रधान मेट्रन कर्नल बीना विजयकुमार ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। इस दौरान कमांडेंट ब्रिगेडियर विक्रम पात्रा ने नर्सिंग अधिकारियों को बधाई देते हुए गेरियाट्रिक और पैलिएटिव केयर में अधिक कर्मियों के प्रशिक्षित होने की आवश्यकता पर जोर दिया।