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    Meerut: CBI, STF और पुलिस अधिकारी बनकर चेकिंग के नाम पर लूट करता है ईरानी गिरोह, बैग का ध्यान रखने वाले भी निशाने पर

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 10:15 PM (IST)

    Meerut News मेरठ के सोहराब गेट के पास एक बंगाली कारीगर से 55 लाख के आभूषण लूटने के मामले में पुलिस ने ईरानी गिरोह के छह बदमाशों को गिरफ्तार किया है। जांच में राजफाश हुआ है कि गिरोह के सदस्य सीबीआइ एसटीएफ व सिविल पुलिस के अफसर बनकर चेकिंग के नाम पर लूटपाट करते हैं।

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    मेरठ पुलिस की गिरफ्त में ईरानी गिरोह का बदमाश। जागरण

    जागरण संवाददाता, मेरठ। सोहराब गेट बस अड्डे पर एक सप्ताह पहले बंगाली कारीगर दिलावर हुसैन से 55 लाख के आभूषण लूटने के मामले का पुलिस ने पर्दाफाश किया। जागृति विहार एक्सटेंशन में मुठभेड़ के दौरान अंतरराज्यीय ईरानी गिरोह के दो बदमाश पैर में गोली लगने से घायल हो गए। इनकी निशानदेही पर लूट का सामान खरीदने वाले सर्राफ को भी गिरफ्तार कर लिया गया। सर्राफ की निशानदेही पर आभूषण और 50 हजार की नगदी बरामद की गई है। वारदात को हबीब उर्फ समीर ईरानी गिरोह ने अंजाम दिया था। एसएसपी डा. विपिन ताडा ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी दी।

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    चेकिंग के नाम पर करते हैं लूटपाट

    बंगाली कारीगर दिलदार से 55 लाख की लूट करने वाले ईरानी गिरोह के सदस्य सीबीआइ से लेकर एसटीएफ और सिविल पुलिस के अफसर बनकर चेकिंग के नाम पर लूटपाट करते हैं। रोडवेज बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर घूमकर लोगों को टार्गेट करते हैं। ऐसे लोगों को भांपते हैं, जो अपने बैग का ज्यादा ध्यान रखता है। बंगाली कारीगर ने भी अपने बैग को सीने से लगा रखा था। इसी लिए ईरानी गिरोह के सदस्यों ने इंस्पेक्टर बनकर उसे रोक लिया और बैग चेकिंग करने लगे। विरोध करने पर थाने ले जाने की धमकी दी गई थी। साथ ही बदमाशों ने बैग में अपने कब्जे में ले लिया था। अमूमन हर घटना में यह गिरोह ऐसा ही करता था। गिरोह का सरगना हबीब और उसके तीन साथी अभी पकड़ से दूर है। उनकी तलाश में महाराष्ट्र और देहरादून में संपर्क किया जा रहा है।

    ऐसे दिया था लूटपाट की घटना को अंजाम

    कोलकाता के कारीगर दिलावर अली पिछले छह साल से मेरठ के घंटाघर पर रहते हैं। शहर सराफा नील की गली में दिलावर ज्वेलर्स के नाम से उनकी दुकान हैं। दिलावर सोने के आभूषण बनाने का काम करते हैं। पिछले तीन साल से ही बिजनौर के चांदपुर स्थित कान्हा आर्नामेंटस के मालिक दीपू के आभूषण बनाने का काम भी करते आ रहे हैं।

    दिलावर अली ने बताया कि मंगलवार को अपने दोस्त राजेश मलिक के साथ स्कूटी पर सवार होकर चांदपुर गए थे। वहां से दीपू के पुराने सोने और मेटल के आभूषण बैग में रखकर ठीक करने के लिए मेरठ वापस आ रहे थे। राजेश और दिलावर स्कूटी पर सवार होकर चांदपुर से निकले।

    गजरौला से गढ़मुक्श्तेवर होते हुए मेरठ पहुंच गए। सोहराब गेट बस स्टैंड पर राजेश ने दिलावर को स्कूटी से उतार दिया। वहां से घंटाघर के लिए आटो पकड़ने के लिए दिलावर अली पैदल आटो की तरफ जा रहे थे। इसी बीच सादी वर्दी में एक व्यक्ति आया। सोहराब गेट पुलिस चेक पोस्ट के समीप दिलावर को रोक लिया।

    उसने खुद को पुलिसकर्मी बताकर दिलावर को तलाशी देने के लिए कहा और उसका बैग ले लिया। उसके बाद दिलावर को बताया कि उसे थाने लेकर जा रहा था। तभी सामने से एक बाइक पर सवार होकर उसका साथी आया और दोनों बैग लेकर बाइक पर बैठ कर निकल गए।

    चांदपुर से लाकर घंटाघर छोड़ देते तो लूट होने से बच जाती

    सर्राफ दीपू से बंगाली कारीगर को 720 ग्राम सोने के आभूषण लेकर अपने साथी राजेश मलिक के साथ स्कूटी पर सवार होकर चांदपुर से मेरठ आए थे। उक्त आभूषण की कीमत 55 लाख बताई गई थी। चांदपुर से हस्तिनापुर का रास्ता बंद होने की वजह से गजरौला होते हुए गढ़मुक्तेश्वर पहुंचे। उसके बाद किठौर से होते हुए मेरठ के सोहराब गेट बस स्टैंड पर पहुंच गए। यहां पर राजेश ने स्कूटी से दिलावर को उतार दिया। उसके बाद राजेश स्कूटी लेकर वहां से निकल गया। अगर राजेश स्कूटी से दिलावर को घंटाघर पर छोड़ देता, तब लूट की वारदात नहीं हो पाती।

    देवबंद के बाद देहरादून में बनाया था ठिकाना

    2015 में यह गिरोह देवबंद में रहने लगा था। हरियाणा के हिसार से जेल जाने के बाद वहां से छूट जाने पर गिरोह ने देहरादून में अपना ठिकाना बनाया था। हाल में देहरादून से ही वारदात को अंजाम दे रहे थे। पूरे देश में वारदात करने के बाद देहरादून में पहुंच जाते थे। यह गिरोह कार में और बाइक से सवार होकर वारदात करता है।