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कहीं आप भी तो नहीं करते प्रोटीन सप्लीमेंट का इस्‍तेमाल, ऐसे करें असली और नकली की पहचान

fake protein मेरठ में पकड़े गए एक करोड़ रुपये के नकली प्रोटीन के बाद अब सवाल उठने लगे हैं। लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था। ऐसे में प्रोटीन के असली और नकली की पहचान करना बेहद ही जरूरी है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Thu, 04 Aug 2022 08:00 AM (IST)Updated: Thu, 04 Aug 2022 08:00 AM (IST)
कहीं आप भी तो नहीं करते प्रोटीन सप्लीमेंट का इस्‍तेमाल, ऐसे करें असली और नकली की पहचान
fake protein in meerut मेरठ में एक करोड़ रुपये के नकली प्रोटीन पकड़े जाने के बाद हड़कंप है।

मेरठ, जागरण संवाददाता। fake protein in meerut मेरठ के खैर नगर बाजार में मंगलवार को करीब एक करोड़ रुपये का नकली प्रोटीन पकड़े जाने के बाद अब इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। कारण यह है कि मेरठ में सैंकड़ों की संख्‍या में लोग खुद को स्‍वस्‍थ रखने के लिए रोजाना जिम जाते हैं और बड़ी संख्‍या में लोग बाजार में उपलब्‍ध प्रोटीन का भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन ऐसे में असली और नकली का फर्क कैसे किया जाए, सवाल यही उठता है। 

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  • ऐसे पहचानें असली नकली प्रोटीन या हेल्थ सप्लीमेंट

  • नकली उत्पाद में हमेशा नाम को लेकर कुछ गलती होती है। नामी कंपनी के कलर या लोगो को की नकल कर इसकी पैकिंग की जाती है।
  • मैन्युफेक्चरिंग डेट को जरूर देखें क्योंकि कुछ उत्पाद में बनने की तारीख आगे की होती है यानी 2018 में खरीदते वक्त सप्लीमेंट पर 2019 लिखा होता है।
  • सप्लीमेंट खरीदते वक्त एलओटी नम्बर जरूर चेक करना चाहिए। अगर इसकी बनावट गलत है तो आपको मान लेना चाहिए की सप्लीमेंट नकली है।
  • सील और होलोग्राम चेक करें अगर उत्पाद के सील से छेडख़ानी की गई होगी तो पता चल जाएगा। होलोग्राम से भी प्रोडक्ट के आर्टिफिशियल होने का पता लग जाता है।
  • बार कोड या क्यूआर कोड चेक करें। सबसे कारगर और सही तरीका यही है कि आप बार कोड या क्यूआर कोड की जांच कर लें।
  • इसे ऑनलाइन चेक किया जाता है और ये नकली न होने का सबसे पक्का सबूत होता है।

फैक्ट्री के अंदर ऐसे बनाया जा रहा था प्रोटीन

मेरठ के शाहपीर गेट में फैक्ट्री के अंदर यूएसए, सायप्रस, हांगकांग और रसिया के ब्रांडेंड प्रोटीन ओर स्टेरायड बनाकर बेचते थे। 170 रुपये में स्टेरायड का इंजेक्शन तैयार होता था। उसे दुकानदार को 1700 रुपये और ग्राहक को साढ़े चार हजार में बेचा जाता था। पुलिस ने मौके से प्रिंटिंग प्रेस से बने कंपनी के रेपर भी बरामद किए है। आप्टिमम, न्यूट्रिशन, आइसोप्योर, मसलब्लेज, मेगाग्रो, बिगमसल, मसलट्रेल कंपनी के नकली प्रोटीन सप्लीमेंट और स्टेरायड तैयार किए जाते थे। उनकी सप्लाई भी आसपास के जनपदों के अलावा दिल्ली और हरियाणा तक होती थी।

असली हेल्थ सप्लीमेंट के नाम पर धोखा

जनपद में जिम जाने वाले और बाडी बिल्डिंग करने वाले युवाओं को असली हेल्थ सप्लीमेंट के नाम पर विदेशी कंपनियों के नकली प्रोटीन व गेनर धड़ल्ले से बेचे जा रहे थे। एसओजी की कार्रवाई में आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि यूएसए, सायप्रस, हांगकांग और रसिया कंपनी के प्रोटीन सप्लीमेंट तैयार किए जाते थे। यह प्रोटीन और स्टेरायड बहुत कम रेट पर तैयार होता है।

स्टेरायड की गोलियां और इंजेक्शन

दुकानदारों को नकली बताकर कम रेट पर बेचा जाता है, जबकि दुकानदार ग्राहकों को पूरे रेट पर उक्त प्रोटीन और स्टेरायड को असली में बेचा जाता था। शहर और अन्य जनपदों के नामचीन जिम से भी उनका संपर्क है। सभी जिम को भी प्रोटीन सप्लीमेंट और स्टेरायड की गोलियां और इंजेक्शन कम रेट पर बेचे जाते थे।

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