हरिओम आनंद का अंतिम पत्र एसएसपी के नाम, जानिए सुभारती ग्रुप के साथ क्या था विवाद Meerut News
लेटर में हरिओम आनंद ने लिखा है वर्ष 1974 से 87 तक खादी का व्यापार किया। उसके बाद डा. अतुल कृष्ण और कुछ शेयर होल्डर के साथ मिलकर लोकप्रिय अस्पताल की नींव रखी।
मेरठ, जेएनएन। सर्वप्रथम मैं अपने परिवार से माफी मांगता हूं, जिस पोजीशन पर हूं, उसके लिए मुङो अपराधबोध है। वर्ष 1974 से 87 तक खादी का व्यापार किया। उसके बाद डा. अतुल कृष्ण और कुछ शेयर होल्डर के साथ मिलकर लोकप्रिय अस्पताल की नींव रखी। 1988 में लोकप्रिय का उद्घाटन हुआ। 1995 में मेडिकल और डेंटल कॉलेज के लिए ट्रस्ट बनाकर अप्लाई कर दिया। 1996 में डेंटल कॉलेज की मान्यता मिल गई। मेडिकल की मान्यता नहीं मिली। तब कंस्ट्रक्शन फाइनेंस देखता था।
अतुल कृष्ण के मन में खोट आ गया
उसके बाद अथक प्रयास के बाद 2000 में मान्यता मिल गई। 2005 में अतुल कृष्ण के मन में खोट आ गया। काफी पत्रचार हुआ, जिसकी फाइल भी मीना आनंद के पास है। इसी वर्ष अतुल ने ट्रस्ट की मीटिंग बुलाई और मुझे निष्कासित कर दिया। वह दो वजह से अनुचित थी। एक तो मैं आजीवन ट्रस्टी था। दूसरे मुझे पहले सूचित तक नहीं किया गया। आजीवन ट्रस्टी को हटाने की इजाजत जिला जज से लेनी चाहिए थी। वर्ष 2006 में उन्होंने मेरे लिपिक की हत्या करा दी, जिसकी जांच कर सीबीआइ ने 700 पन्नों का आरोप-पत्र भी लगा दिया, जिसमें उन्हें 302 और 120बी का दोषी पाया गया। अब केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उस संबंध में सभी कागजात हमारे मैनेजर मुनेश पंडित के पास है।
मुझे मेरा हिस्सा देंगे
मैं वर्षो इंतजार करता रहा कि मुझे मेरा हिस्सा देंगे। उसी वजह से मैं कर्ज पे कर्ज लेता रहा। इसलिए मेरी आज यह स्थिति बन गई। मैं लगभग दिवालिया हो गया। चूंकि सुभारती को लेकर कोई लेन-देन हमारे बीच नहीं हुआ तो कीमत आज की ही लगेगी। सुभारती ग्रुप की आज की कीमत लगभग पांच हजार करोड़ है। एसएसपी से अनुरोध किया कि मानवीय आधार पर इस विषय को व्यक्तिगत रूप से देंखे एवं उचित सहायता करें।
भवदीय
हरिओम आनंद, चेयरमैन
आनंद हॉस्पिटल
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इनका कहना है
हरिओम आनंद ने जो आरोप लगाए है, सभी बेबुनियाद हैं। लोकप्रिय अस्पताल एक कंपनी है, उनके पास कोई भी शेयर नहीं है। मेडिकल कॉलेज एक ट्रस्ट है, मैं भी उसका मालिक नहीं हूं। उसका मालिक आम जनता होती है, जो संस्था के ऊपर उनका उधार या उनके द्वारा दिलाया गया उधार भी वापस कर दिया था। हमें तो उनके आत्महत्या करने पर बहुत दुख है। उन्होंने ऐसा क्यों लिखा है। लिपिक के मर्डर का मामला कोर्ट में विचाराधीन है, उस पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
- अतुल कृष्ण भटनागर, निदेशक, सुभारती मेडिकल कॉलेज
आनंद और सुभारती ग्रुप के बीच ये है विवाद
1995 से हरिओम आनंद सुभारती ग्रुप में कंट्रक्शन फाइनेंस का काम देखते थे। उसके बाद 2000 में सुभारती को मेडिकल कॉलेज की मान्यता मिली, जिसमें हरिओम आनंद भी ट्रस्टी बना दिए गए थे। पांच साल सबकुछ ठीकठाक चला। उसके बाद 2005 में अतुल कृष्ण ने ट्रस्ट की मीटिंग बुलाई और हरिओम आनंद को निष्कासित कर दिया। आरोप है कि उन्हें मीटिंग की जानकारी भी कुछ समय पहले ही दी गई थी। उस समय वह लोकप्रिय अस्पताल में थे, जबकि मीटिंग सुभारती मेडिकल कॉलेज में थी।
एकाउंटेंट निर्मल शर्मा की हत्या
वर्ष 2006 में हरिओम आनंद के एकाउंटेंट निर्मल शर्मा की हत्या कर दी गई थी। यह बहुत ही चर्चित हत्याकांड रहा था, जिसमें अतुल कृष्ण भटनागर को 302 और 120बी का आरोपित बनाया गया था। इस मामले की जांच पुलिस के बाद सीबीआइ को चली गई थी। फिलहाल मामला कार्ट में है। निर्मल शर्मा की हत्या के बाद हरिओम आनंद और अतुल कृष्ण की दूरियां और बढ़ गई थी। हालांकि हरिओम ने अपने पत्र में निर्मल शर्मा की हत्या का भी विस्तार से जिक्र किया है। इस हत्याकांड में सीबीआइ ने भारी-भरकम आरोप-पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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