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    UP NEET UG के 64 अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट मिले फर्जी, इनमें 14 मेरठ में बने, यहां चल रहा है बनाने वालों का रैकेट

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 04:49 PM (IST)

    Meerut News मेरठ में स्वतंत्रता सेनानी आश्रितों के फर्जी प्रमाण पत्र बनाने की जांच जारी है। जांच टीम को यहां इसे संचालित करने वाले एक बड़े रैकेट का संदेह है जिसमें सरकारी विभागों तक घुसपैठ की आशंका है। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय की जांच में 64 अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए जिनमें से 14 मेरठ से जारी हुए थे। एडीएम फाइनेंस की टीम जांच कर रही है।

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    मेरठ में चल रहा फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वालों का बड़ा रैकेट (सांकेतिक फोटो)

    जागरण संवाददाता, मेरठ। यूपी नीट यूजी-2025 के पहले चक्र की काउंसिलिंग में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित के मेरठ में बनाए गए फर्जी प्रमाणपत्र प्रकरण में जल्द ही बड़ा राजफाश हो सकता है। जांच टीम को अंदेशा है कि यह प्रमाण पत्र बनाने वालों का बड़ा रैकेट सक्रिय है, जिसमें बड़े चेहरे भी शामिल हो सकते हैं। एडीएम फाइनेंस सूर्यकांत त्रिपाठी की टीम जांच कर रही है। बता दें कि चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय की जांच में नौ जिलों से जारी 64 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र फर्जी मिले हैं। इनमें 14 प्रमाण पत्र मेरठ से बनाए गए हैं। 

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    इन्होंने मेरठ से बनवाए प्रमाण पत्र

    गाजियाबाद की नैंसी ने खुद को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की आश्रित बताकर प्रमाण पत्र लगाया था। जांच में पता चला कि उसने खुद को सरधना तहसील के गांव गोटका निवासी स्वतंत्रता सेनानी बनवारी लाल का आश्रित बताया। प्रमाण पत्र पर 21 अप्रैल 2015 की तारीख दर्शाई है। इसी तरह श्वेता सिंह लखीमपुर खीरी, आफिया रानी बिजनौर, मुहम्मद आफताब जालौन, दशा सचदेव शाहजहांपुर, नैंसी खंडेलवाल फिरोजाबाद, विशाल कुमार बांदा, गुड्डू कुमार कानपुर देहात, अर्शिया अग्रवाल कानपुर देहात, मानविका चौहान आगरा, प्रेरणा शेखर आगरा, वर्तिका आगरा, वेदिका प्रिया बिजनौर, रेने सिंह जिम्स ग्रेटर नोएडा ने भी मेरठ से फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए हैं।

    प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया

    एडीएम फाइनेंस सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रितों के प्रमाण पत्र बनवाने के लिए स्वतंत्रता सेनानी के साथ अपना संबंध साबित करने वाले दस्तावेज (जन्म या विवाह प्रमाण पत्र आदि) की जरूरत होती है। यह दस्तावेज ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर अपलोड करने होते हैं। इसके बाद जांच टीम स्वतंत्रता सेनानी के घर जाकर जांच करती है, लेकिन फर्जी प्रमाण पत्रों में यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। एडीएम फाइनेंस मेरठ की फर्जी मुहर और फर्जी हस्ताक्षर हैं। अनुमान है कि इस रैकेट की घुसपैठ सरकारी विभागों तक हो सकती है।

    रैकेट का लगाया जा रहा पता: जांच अधिकारी

    एडीएम फाइनेंस एवं जांच अधिकारी सूर्यकांत त्रिपाठी का कहना है कि प्रमाण पत्र कहां से बनवाए गए हैं। इसके पीछे कोई बड़ा रैकेट तो मेरठ में काम नहीं कर रहा, इसका पता लगाया जा रहा है। जिन छात्रों ने प्रमाण पत्र दाखिले में लगाए हैं, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, इसके निर्देश शासन से मिलेंगे। रैकेट पकड़ा गया तो मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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