Meerut : KMC के डायरेक्टर डा. सुनील गुप्ता व उनकी पत्नी समेत चार डाक्टरों पर मुकदमा, महिला के अंग निकालने का आरोप
Meerut News मेरठ के केएमसी अस्पताल के निदेशक डा. सुनील गुप्ता और अन्य डाक्टरों के खिलाफ अदालत के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया है। एक महिला के स्वजन ने आरोप लगाया है कि पित्त की थैली के आपरेशन के दौरान शरीर से अंग निकाले गए। अस्पताल प्रशासन ने आरोपों को निराधार बताया है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। अदालत के आदेश पर केएमसी अस्पताल के निदेशक डा. सुनील गुप्ता और उनकी पत्नी डा. प्रतिभा गुप्ता समेत चार चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि पित्त की थैली में पथरी होने पर महिला को केएमसी अस्पताल में भर्ती कराया था। आपरेशन के बाद महिला की मौत हो गई थी। स्वजन ने आपरेशन के दौरान महिला के अंग निकालने का आरोप लगाया है। टीपीनगर थाना पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है।
रोहटा थाने के मीरपुर गांव निवासी ब्रिजेश कुमार शर्मा ने बताया कि दो अक्टूबर 2024 को पत्नी बबीता की तबीयत खराब हुई। उसे केएमसी अस्पताल में भर्ती कराया। तीन अक्टूबर को बबीता का आपरेशन डा. सुनील गुप्ता ने डा. प्रतिभा गुप्ता, डा. सतीश अरोड़ा एवं न्यूरो सर्जन तथा कर्मचारियों के साथ मिलकर किया। पांच अक्टूबर की रात बबीता की मौत हो गई।
ब्रिजेश ने बताया कि पुलिस को सूचना नहीं दी गई, बिना कागजात के शव को परिवार को सौंप दिया। शव को नहलाते समय देखा गया कि बबीता के शरीर पर कई स्थानों से चीर फाड़ की गई है। उसका वीडियो भी स्वजन ने बना लिया था।
पीड़ित पक्ष ने आरोप लगाया कि आपरेशन के दौरान बबीता के शरीर से अंग निकाले गए हैं। इसी वजह से उसकी मौत हुई है। ब्रिजेश ट्रांसपोर्ट कंपनी में चालक है। सीओ सौम्या अस्थाना ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर टीपीनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। इंस्पेक्टर को इसकी विवेचना दी गई।
ये है सजा का प्रविधान
बीएनएस की धारा 61(2) दो से अधिक व्यक्ति मिलकर आपराधिक घटना करते हैं, इसमें दो साल से आजीवन कारावास की सजा का प्रविधान है।
बीएनएस की धारा 318(4) में धोखाधड़ी से जानबूझकर किसी को क्षति पहुंचाना, इसमें सात साल तक की सजा का प्रविधान है।
बीएनएस की धारा 106 में डाक्टर की लापरवाही से मरीज की मृत्यु हो जाना, इसमें दो साल की सजा का प्रविधान है।
अस्पताल की छवि बिगाड़ने की मंशा से दर्ज कराया मुकदमा: डा. सुनील गुप्ता
केएमसी हास्पिटल मेरठ के संचालक डा. सुनील गुप्ता का कहना है कि अस्पताल की छवि बिगाड़ने की मंशा से मुकदमा कराया गया है। यह मुकदमा पूरी तरह से गलत है। इसमें कोई साक्ष्य नहीं हैं। अक्टूबर 2024 में मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया था।
छह महीने बाद मरीज के पति की ओर से लालचवश पहले 20 लाख की मांग की गई, न देने पर उन्होंने बेतुका आरोप लगाया। इस प्रकरण में जांच हुई, हमारे पास सीएमओ द्वारा गठित कमेटी व पुलिस की रिपोर्ट भी है। दरअसल ब्रजेश शर्मा ने बुलंदशहर के एक मामले में दर्ज मुकदमे की खबर पढ़कर अस्पताल प्रशासन पर दबाव बनाया था। हमने उसके खिलाफ मार्च में मुकदमा भी दर्ज करा रखा है। बुलंदशहर वाला मामला भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में 29 अप्रैल को खारिज हो चुका है।
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