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    मेरठ में युवती से लूटा था मोबाइल, अदालत ने लुटेरे को सुनाई सजा, जुर्माना भी लगाया

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 01:40 PM (IST)

    Meerut News मेरठ में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने एक युवती से मोबाइल लूटने वाले इरफान को एक महीने की जेल और 1400 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह मामला वर्ष 2017 का है। इसमें पुलिस ने आपरेशन कन्विक्शन के तहत लगातार पैरवी की। पुलिस का कहना है कि आपरेशन कन्विक्शन से अपराधियों को सजा दिलाने में मदद मिली है।

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    मेरठ में युवती से लूटा था मोबाइल, अदालत ने लुटेरे को सुनाई सजा, जुर्माना भी लगाया

    जागरण संवाददाता, मेरठ। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सावन कुमार विकास ने हाल ही में ऐसा आदेश दिया है, जिसने सबका ध्यान खींच लिया। आठ साल पहले युवती से मोबाइल लूटने वाले को अदालत ने एक महीने के कारावास और 1400 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।

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    मेरठ के शारदा रोड स्थित वीर नगर निवासी ईशा पुत्री राजकुमार से पांच दिसंबर 2017 को मोबाइल लूट लिया था। पुलिस जांच में लुटेरे की पहचान इरफान पुत्र अब्दुल रहीम निवासी माता का बाग बागपत स्टैंड के रूप में हुई थी। पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। आठ वर्ष से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन था। पुलिस ने लुटेरे को सजा दिलाने के लिए आपरेशन कनविक्शन के तहत लगातार पैरवी की। सोमवार को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य को देखते हुए इरफान को सजा सुनाई।

    बड़ा कदम साबित हुआ आपरेशन कन्विक्शन

    एक जुलाई, 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर अपराध पर नकेल के लिए आपरेशन कन्विक्शन शुरू किया गया था, यह एक बड़ा कदम साबित हुआ है, जिससे मेरठ में अपराधियों को सजा दिलाई गई। इस पहल के तहत पुलिस मजबूत सबूत इकट्ठा करती है। गुणवत्तापूर्ण जांच करती है और अदालतों में प्रभावी पैरवी करके मामलों को 30 दिनों के भीतर निपटाने का लक्ष्य रखती है। इसका उद्देश्य अपराधियों की गिरफ्तारी, उनके खिलाफ पुख्ता साक्ष्य जुटाने और अदालतों में त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करना है, ताकि कम से कम समय में सजा हो सकें।

    हर दिन तीन-चार मोबाइल लूट होती हैं जिले में

    पुलिस रिकार्ड के अनुसार जिले में हर दिन से तीन से चार मोबाइल लूट होती है। पीड़ित अक्सर नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि पुलिस मोबाइल लूट के अधिकतर मामलों में गुम होने की तहरीर लिखवा लेती है। इसके बाद पुलिस अपनी कछुआ चाल से लुटेरों की तलाश में लगी रहती है। लुटेरे हाथ लगे तो सही, नहीं तो जांच चलने की बात कहकर पीड़ित को टरकाती रहती है। ऐसे अधिकांश मामलों में पीड़ित हार थककर घर बैठ जाते है।