मेरठ कॉलेज की सियासी नर्सरी से निकल राज्यपाल बने सत्यपाल मलिक
मेरठ कॉलेज से सत्यपाल मलिक तीसरे व्यक्ति हैं, जो किसी प्रदेश के राज्यपाल बने हैं। छात्र राजनीति से बाहर निकल कर सत्यपाल मलिक विधायक बने, फिर अलीगढ़ से सांसद चुने गए।
मेरठ [विवेक राव])। बिहार के नवनियुक्त राज्यपाल सत्यपाल मलिक की सियासी पारी की शुरुआत मेरठ कॉलेज से हुई थी। सत्यपाल मलिक मेरठ कॉलेज के दो बार छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे।
मेरठ कॉलेज के पूर्व प्रेस प्रवक्ता एसडी गौड़ बताते हैं कि इस कॉलेज में सत्यपाल मलिक तीसरे व्यक्ति हैं, जो किसी प्रदेश के राज्यपाल बने हैं। इससे पूर्व मेरठ कॉलेज से पढ़कर निकले कुंवर महमूद अली मध्य प्रदेश के राज्यपाल बने थे। डॉ. रघुकुल तिलक राजस्थान के राज्यपाल रहे।
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मूलरूप से बागपत के हिसावदा गांव के रहने वाले सत्यपाल मलिक मेरठ कॉलेज के उन छात्र नेताओं में रहे जिन्होंने छात्रसंघ की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई। 1966-67 में मेरठ कॉलेज से बीएससी और 1970 में एलएलबी की थी। तब तक छात्रसंघ चुनाव की परंपरा नहीं थी। वह प्रीमियर छात्रसंघ अध्यक्ष बने। इसके बाद फिर खुद दिलचस्पी लेकर चुनाव की नियमावली बनाई और दो बार अध्यक्ष चुने गए।
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मलिक के जमाने में बनी नियमावली आज भी मेरठ कॉलेज स्टूडेंट यूनियन के चुनाव का आधार है। छात्रसंघ के निर्वाचन में उनसे मिलने के लिए खुद चौ. चरण सिंह जैसे कद्दावर आए थे। सत्यपाल मलिक के कॉलेज से लेकर अभी तक के साथी रहे मेरठ के एनएएस कालेज में अर्थशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. नरेंद्र पुनिया बताते हैं छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए सत्यपाल मलिक ने तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री कैलाश प्रकाश के खिलाफ छात्रों को एकजुट कर दिया था, जिसकी वजह से कैलाश प्रकाश चुनाव हार गए थे।
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छात्र राजनीति से बाहर निकल कर सत्यपाल मलिक विधायक बने, फिर अलीगढ़ से सांसद चुने गए। इसके बाद राज्यसभा सदस्य भी रहे। फिलहाल वह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे।
छात्र राजनीति का अहम रोल : सत्यपाल
बिहार के राज्यपाल नियुक्त होने के बाद सत्यपाल मलिक ने बातचीत करते हुए अपने मेरठ कॉलेज के अनुभव को साझा किया। उन्होंने राजनीति की मुख्य धारा तक पहुंचने के लिए छात्र राजनीति को पहली कड़ी बताया। कहा कि वह जिस पद पर जा रहे हैं, उस पद का महत्व बहुत है, क्योंकि मुझसे पहले जो शख्स इस पद पर थे, वे आज राष्ट्रपति हैं।