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    मेरठ का सेंट्रल मार्केट प्रकरण: कौन हैं आवास विकास के 45 अफसर और 22 व्यापारी, जिनके खिलाफ दर्ज हुआ है मुकदमा

    By Jagran News Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 12:23 PM (IST)

    मेरठ के शास्त्रीनगर स्थित सेंट्रल मार्केट के भूखंड संख्या 661/6 पर बने कांप्लेक्स को लेकर अधिकारी कोर्ट की अवमानना को लेकर चिंतित हैं। आवास विकास परिष ...और पढ़ें

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    मेरठ का सेंट्रल मार्केट प्रकरण: आवास विकास के 45 अफसरों और 22 व्यापारियों खिलाफ मुकदमा 

    जागरण संवाददाता, मेरठ। शास्त्रीनगर स्थित सेंट्रल मार्केट भूखंड संख्या 661/6 पर बने कांप्लेक्स पर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना से अधिकारी घबराए हुए हैं। आवास विकास परिषद के साथ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने तीन अक्टूबर को पुलिस लाइन में व्यापारियों के साथ बैठक की थी। जिसमें उन्होंने व्यापारियों से अवैध निर्माण को खुद हटा लेने को कहा था। चेतावनी भी दी थी कि यदि व्यापारियों ने अवैध निर्माण स्वयं ध्वस्त नहीं किया तो आवास एवं विकास परिषद यह कार्रवाई करेगी।
    छह अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 अक्टूबर को प्रदेश के गृह सचिव, आवास आयुक्त, एसएसपी मेरठ तथा थानाध्यक्ष थाना नौचंदी से लिखित में जवाब मांगा है। कोर्ट में जवाब दाखिल करने के लिए यह मुकदमा दर्ज किया गया। उम्मीद की जा रही है कि 27 अक्टूबर से पूर्व अधिकारी इस कांप्लेक्स में बनी दुकानों को खाली कराएंगे ताकि कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की जा सके।

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    यह है कांप्लेक्स प्रकरण

    शास्त्रीनगर स्थित सेंट्रल मार्केट में भूखंड संख्या 661/6, 288 वर्ग मीटर का है, जिनमें 22 दुकानें हैं। आवास विकास परिषद के दस्तावेज के अनुसार यह भूखंड काजीपुर के वीर सिंह को आवंटित किया गया था। 30 अगस्त 1986 को कब्जा भी दे दिया गया।
    छह अक्टूबर 2004 को जारी फ्री होल्ड डीड में संपत्ति का उपयोग केवल आवासीय उद्देश्य के लिए करने की शर्त थी। इस पर विनोद अरोड़ा ने पावर आफ अटार्नी की सहायता से व्यावसायिक निर्माण किया और 22 दुकानें बनाईं। आवास विकास परिषद ने 19 सितंबर 1990 को कारण बताओ नोटिस जारी कर अवैध निर्माण पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
    27 सितंबर 1990 को अवैध निर्माण हटाने को कहा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया।
    नौ फरवरी 2004 को अंतिम नोटिस दिया गया। इसके बाद भी संबंधित द्वारा कोई जवाब दाखिल न करने पर 23 मार्च 2005 को ध्वस्तीकरण के आदेश पारित किए गए लेकिन आवास विकास की ओर से कार्रवाई नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को प्रकरण की सुनवाई करते हुए आवास विकास अधिकारियों को तीन महीने में खाली कराने तथा उसके बाद दो सप्ताह के भीतर इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया।
    कोर्ट के इस आदेश का पालन न होने पर लोकेश खुराना ने अवमानना याचिका दाखिल की। कोर्ट ने छह अक्टूबर को इस याचिका पर सुनवाई करते प्रदेश के गृह सचिव, आवास आयुक्त, एसएसपी मेरठ तथा थानाध्यक्ष थाना नौचंदी, व्यापारी राजेंद्र कुमार बड़जात्या, संदीप सिंह, राजीव गुप्ता, सुषमा शर्मा, संगीता वाधवा, चंद्र प्रकाश गोयल, निशि गोयल, अमरजीत व जगप्रीत कौर को नोटिस जारी करके दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा।
    खास बात यह है कि इस भवन के मूल आवंटी वीर सिंह व पावर आफ अटार्नी की सहायता से व्यावसायिक निर्माण करने वाले विनोद अरोड़ा का निधन हो चुका है।

     ये व्यापारी बनाए गए आरोपित

    राजेंद्र कुमार बडजात्या, राजीव गुप्ता, सुषमा शर्मा, संगीता वाधवा,चन्द प्रकाश गोयल, निशि गोयल, अमरजीत,जगप्रीत कौर,संदीप सिंह,मंदीप सिंह,हरेंद्र चौहान, राकेश मदान, रजत अरोड़ा, शकुन्तला देवी,संगीता जैन, संगीता वाधवा,पूनम मेहदीरत्ता, प्रतीक वाधवा वअलका अरोडा निवासी 661/6 शास्त्रीनगर और एक अज्ञात। आवास विकास परिषद के अवर अभियंता अजब सिंह की तरफ से यह मुकदमा दर्ज कराया गया है।

    यह भी पढ़ें- मेरठ के सेंट्रल मार्केट प्रकरण में आवास विकास के 45 अफसरों और 22 व्यापारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज


     मेरठ में तैनात रहे इन अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

    अधीक्षण अभियंता: नरसिंह प्रसाद, सीके जैन, अरविंद कुमार, रामसहाय सिंह व ज्ञानेन्द्र सिंह l अधिशासी अभियंता: एसपीएन सिंह, एके जैन, आरके गुप्ता,आरए वर्मा व भोलानाथl
    सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता: जीएस पालीवाल,एके बंसल व हरेन्द्र सिंह नरेशl
    सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता: जमुना प्रसाद,चंद्रभान कश्यप व मनोहर कुमारl
    अवर अभियंता: रवीन्द्र सिंह, योगेन्द्र कुमार वर्मा, कमल सिंह, संजीव शुक्ला, सुखबीर सिंह,जगदीश कुमार अरोरा, रतनवीर सिंह,ओमपाल सिंह, रामकिशन शर्मा, रियाजुद्दीन, जीत सिंह व चंद्रपाल l
    सहायक अभियंता: उमेश मोहन शर्मा, पिंकू गौतम, डीके गोयल,शशि भूषण,एनके शर्मा, रविकांत व आरके सक्सेनाl
    संगणक अवर अभियंता: वीरेन्द्र कुमार l
    सेवानिवृत्त सहायक अभियंता: सोहनपाल सिंह, शांति प्रसाद, आरपी सिंह, देवराज वर्मा, सुरेन्द्र कुमार बडेरा व श्रीधर भांडेगावकर l
    सेवानिवृत्त अवर अभियंता: बसंत लाल मैनी व एके भटनागर