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    वर्ष 2014 में AAI से हुआ था अनुबंध, तब से मेरठ से हवाई यात्रा का इंतजार कर रही जनता, अधिक जानकारी को पढ़ें यह खबर

    Meerut News मेरठ के परतापुर स्थित डा. भीमराव आंबेडकर हवाई पट्टी को एयरपोर्ट बनाने की मांग 40 साल से ज्यादा पुरानी है। यहां 72 सीटर विमानों के लिए पर्याप्त जमीन है। जिला प्रशासन का कहना है कि 46.53 एकड़ भूमि नागरिक उड्डयन विभाग के कब्जे में है। बकाया राशि का भुगतान करके जमीन को एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया के नाम किया जाएगा।

    By anuj sharma Edited By: Praveen Vashishtha Updated: Wed, 27 Aug 2025 10:00 PM (IST)
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    मेरठ से हवाई यात्रा का इंतजार कर रही जनता (सांकेतिक फोटो)

    अनुज शर्मा, मेरठ। परतापुर स्थित डा. भीमराव आंबेडकर हवाई पट्टी को एयरपोर्ट के रूप में विकसित करके यहां से विमान उड़ाने की मांग तो 40 साल से ज्यादा पुरानी है। वर्ष 2014 में इस दिशा में महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ। जिससे लगने लगा था कि अब जल्द क्षेत्र के लोग हवाई यात्रा की सुविधा प्राप्त कर लेंगे। प्रदेश सरकार का एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (AAI) से अनुबंध हुआ और एयरपोर्ट का निर्माण करने के लिए हवाई पट्टी परिसर को एएआइ के सुपुर्द कर दिया गया। लेकिन एएआइ ने भी 11 साल से अधिक समय से यहां कुछ नहीं किया।

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    एएआइ ने एयरपोर्ट के विकास का तीन चरण वाला प्रोजेक्ट तैयार किया। तीनों चरणों के लिए आवश्यक भूमि निश्शुल्क उपलब्ध कराने की मांग प्रदेश सरकार से की गई थी। एएआइ का दावा है कि प्रदेश सरकार ने जमीन उपलब्ध नहीं कराई। जिस कारण एयरपोर्ट का अभी तक निर्माण नहीं हो सका। अब प्रथम चरण में 72 सीटर विमान उड़ाने के लिए भूमि की उपलब्धता का दावा मुख्यमंत्री द्वारा भी किया जा रहा है।

    प्रथम चरण में 72 सीटर विमान उड़ाने के लिए एएआइ की जरूरतें

    एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया के अध्यक्ष विपिन कुमार ने मई में प्रदेश सरकार को पत्र भेजकर प्रथम चरण के विस्तार के लिए वर्तमान हवाई पट्टी की 44.45 एकड़ जमीन के अलावा हवाई अड्डे के लिए आरक्षित 96.14 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करके उपलब्ध कराने की मांग की थी। साथ ही मास्टर प्लान में दर्शाए गए बिजली की लाइनों व अन्य अवरोध को भी हटाने की मांग की थी। इससे पहले हवाई पट्टी की 46.53 एकड़ जमीन को एएआइ के नाम दर्ज करने की मांग भी की थी।

    जमीन एएआइ के नाम दर्ज होने से पहले उन्होंने एयरपोर्ट संबंधी कार्य करने में असमर्थता जताई थी। दूसरे और तीसरे चरण के विस्तार के लिए एएआइ ने 300 एकड़ और 200 एकड़ अतिरिक्त भूमि की मांग की है।

    मुख्यमंत्री का भी दावा, अब नहीं है कोई बाधा

    जिला प्रशासन का दावा है कि हवाई पट्टी की 46.53 एकड़ भूमि पहले से ही नागरिक उड्डयन विभाग के कब्जे में है। प्रथम विस्तारीकरण के लिए आवश्यक 34.7220 हेक्टेयर (85.7999 एकड़) भूमि में से 75 एकड़ भूमि विभाग के कब्जे में है। बाकि 4.015 हेक्टेयर (9.92 एकड़) भूमि पर किसानों के साथ विवाद न्यायालय में विचाराधीन है। दावा है कि उपलब्ध भूमि 72 सीटर विमान उड़ाने के लिए पर्याप्त है। हवाई पट्टी की 46.53 एकड़ भूमि अभी भी मेरठ विकास प्राधिकरण और वन विभाग के नाम दर्ज थी। उस पर पहले नागरिक उड्डयन विभाग का नाम दर्ज किया जा रहा है।

    जिसके बाद वह एएआइ के नाम होगी। यह जमीन मेरठ विकास प्राधिकरण ने किसानों से अधिग्रहण करके उपलब्ध कराई थी। लेकिन इसका पूरा पैसा शासन ने प्राधिकरण को नहीं दिया था। इसी कारण जमीन को नागरिक उड्डयन के नाम दर्ज नहीं किया गया। यह समस्या 20 साल से भी लंबे समय से चल रही थी। अब शासन ने बकाया राशि 6.69 करोड़ उपलब्ध करा दी है। जिसे प्राधिकरण के खाते में भेज दिया गया है। इस जमीन पर नागरिक उड्डयन विभाग का नाम दर्ज कराया जा रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मेरठ आकर यही दावा दोहरा गए हैं।

    दूसरे चरण के लिए किसानों से लिए हैं सहमति पत्र

    नवंबर 2023 में तत्कालीन डीएम दीपक मीणा ने शासन को रिपोर्ट भेजी थी। जिसमें उन्होंने दावा किया था कि हवाई पट्टी के दूसरे चरण के विस्तार के लिए 206.7188 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी। जिसमें से 129.473 हेक्टेयर भूमि किसानों के नाम दर्ज है। उन्होंने दावा किया था कि इस भूमि के लिए संबंधित किसानों से सहमति पत्र लिया जा रहा है। शेष भूमि मेरठ विकास प्राधिकरण, नगर निगम, वन विभाग, प्रादेशिक कापरेटिव डेयरी विभाग की है। इस भूमि के पुर्नग्रहण की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि वर्तमान डीएम डा. वी के सिंह ने किसानों के सहमति पत्र ले लिए जाने के दावे से अनभिज्ञता जताई है।

    एडीएम सिटी बृजेश सिंह का कहना है कि एमडीए का पैसा बकाया होने के कारण हवाई पट्टी की जमीन नागरिक उड्डयन के नाम दर्ज नहीं हुई थी। अब बकाया राशि का भुगतान करके यह प्रक्रिया की जा रही है। आगामी एक सप्ताह में यह पूरी हो जाएगी।

    जिसके बाद जमीन को एएआइ के नाम किया जा सकेगा। एएआइ का कहना था कि जमीन उसके नाम हुए बिना वह कार्य शुरू नहीं कर सकता है। यह बाधा अब समाप्त हो जाएगी। हवाई पट्टी के पास अब प्रथम चरण के विस्तार के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। ओएलएस सर्वे की रिपोर्ट मांगी जा रही है। उसमें दर्ज बाधाओं का समाधान भी कराया जाएगा।

    वर्तमान में हवाई पट्टी की स्थिति

    18.82 हेक्टेयर : भूमि पर बनी है हवाई पट्टी।

    34.72 हेक्टेयर : अतिरिक्त भूमि विभाग के कब्जे में हैं, यह एयरपोर्ट के लिए आरक्षित है

    53.55 हेक्टेयर : कुल भूमि हवाई पट्टी के पास है।

    200 मीटर : चौड़ी जमीन हवाई पट्टी पर उपलब्ध है।

    2,700 से 3 हजार : मीटर लंबाई में भूमि भी उपलब्ध है।

    1,470 मीटर : वर्तमान में हवाई पट्टी की कुल लंबाई।

    23 मीटर : हवाई पट्टी की चौड़ाई है।