KrishnJanmasthmi : प्राचीन झाड़खंडी महादेव मंदिर में छप्पन भोग लेने लिफ्ट से जाएंगे भक्त Meerut News
शहर के किसी मंदिर में ऐसा पहली बार होगा जहां लिफ्ट लगाई जाएगी। जी हां शहर के केसरगंज में झारखंडी महादेव मंदिर में इस बार जन्माष्टमी पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा।
By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 03:47 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 03:47 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। शहर के प्राचीन झाड़खंडी महादेव मंदिर में अपने किस्म की अनूठी पहल होने जा रही है। मंदिर परिसर में एक साल से जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है। इस क्रम में प्रथम तल पर बन रही छप्पन भोग रसोई तक पहुंचने के लिए लिफ्ट का इंतजाम किया गया है। शहर के किसी मंदिर में ऐसा पहली बार होगा जहां लिफ्ट लगाई जाएगी। छप्पन भोग के लिए अलग रसोई बाबा औघड़नाथ मंदिर में भी है।
यह है ऐतिहासिक पहलू
केसर गंज स्थित झाड़खंडी मंदिर का प्राचीन स्वरूप एक छोटे से शिवालय के रूप में था। जिसमें सिर्फ स्वयंभू शिवलिंग स्थापित था। उस समय यहां पर झाड़ियां हुआ करती थीं। बताया जाता है छिपने के लिए उपयुक्त स्थान होने के कारण यहां क्रांतिकारी यहां पर गुप्त बैठकें करते थे। 1978 में मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित की गई। राधा कृष्ण और देवी दुर्गा की मूर्ति भी स्थापित हुई। मंदिर समिति के वर्तमान अध्यक्ष सुबोध गर्ग ने बताया कि समिति का रजिस्ट्रेशन 1955 का है।
यहां बनते हैं विवाह के योग
मंदिर के प्रथम तल का निर्माण जोरों पर चल रहा है। बांके बिहारी को छप्पन भोग की व्यवस्था करने के लिए यहां पर रसोई का निर्माण चल रहा है। इसके साथ एक हालनुमा कक्ष भी बनाया गया है। सुबोध गर्ग ने बताया कि मान्यता है कि मंदिर में विवाह के लिए जिस लड़की की मुंह दिखाई की रस्म होती है उसका विवाह अमूमन हो जाता है। इसके लिए वर्तमान में एक कक्ष है। लेकिन अब उसे बड़ा बनाया जाएगा जिसमें सोफे आदि का प्रबंध होगा। साथ ही 75 से 100 लोग के बैठने का इंतजाम किया जाएगा। मंदिर में कथा आदि के आयोजन में दिक्कतें न आएं इसलिए दूसरे तल पर एक और हाल बनाने की योजना है।
एक वर्ष में पूरा होगा काम
प्रथम और द्वितीय तल पर जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण हो चुका है, लेकिन भक्तों को असुविधा न हो इसके लिए छप्पन भोग के कक्ष के सामने से होते हुए दूसरे तल पर जाने के लिए एक लिफ्ट का भी प्रबंध रहेगा। मंदिर के दोनो प्रवेश द्वारों को संगमरमर के तोरणद्वार बनाए जाएंगे। केसरगंज से नगर निगम की बिल्डिंग से होता हुआ जो मार्ग मंदिर को जाता है, उसे भव्य रूप दिया जाएगा। सुबोध गर्ग ने बताया कि फिनिशिंग और लिफ्ट लगाने में एक वर्ष का समय लग जाएगा।
जन्माष्टमी के पहले सजे जगमग हुए मंदिर
जन्माष्टमी के पर्व के पहले शहर के मंदिर सजधज कर तैयार हैं। औघड़नाथ मंदिर में लाइटों की भव्य सजावट की गई है। तोरण द्वारों में लाइटों से कान्हा की लीला के प्रसंग दर्शाए गए हैं। नौ द्वार बनाए गए हैं। कैंट स्थित वामन भगवान मंदिर, झाड़खंडी महादेव मंदिर में राधा कृष्ण का दिव्य श्रंगार भक्तों को देखने मिलेगा। न्यू मोहनपुरी स्थित दयालेश्वर महादेव मंदिर और साकेत शिव मंदिर की भव्य सजावट भक्तों को देखने को मिलेगी।
यह है ऐतिहासिक पहलू
केसर गंज स्थित झाड़खंडी मंदिर का प्राचीन स्वरूप एक छोटे से शिवालय के रूप में था। जिसमें सिर्फ स्वयंभू शिवलिंग स्थापित था। उस समय यहां पर झाड़ियां हुआ करती थीं। बताया जाता है छिपने के लिए उपयुक्त स्थान होने के कारण यहां क्रांतिकारी यहां पर गुप्त बैठकें करते थे। 1978 में मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित की गई। राधा कृष्ण और देवी दुर्गा की मूर्ति भी स्थापित हुई। मंदिर समिति के वर्तमान अध्यक्ष सुबोध गर्ग ने बताया कि समिति का रजिस्ट्रेशन 1955 का है।
यहां बनते हैं विवाह के योग
मंदिर के प्रथम तल का निर्माण जोरों पर चल रहा है। बांके बिहारी को छप्पन भोग की व्यवस्था करने के लिए यहां पर रसोई का निर्माण चल रहा है। इसके साथ एक हालनुमा कक्ष भी बनाया गया है। सुबोध गर्ग ने बताया कि मान्यता है कि मंदिर में विवाह के लिए जिस लड़की की मुंह दिखाई की रस्म होती है उसका विवाह अमूमन हो जाता है। इसके लिए वर्तमान में एक कक्ष है। लेकिन अब उसे बड़ा बनाया जाएगा जिसमें सोफे आदि का प्रबंध होगा। साथ ही 75 से 100 लोग के बैठने का इंतजाम किया जाएगा। मंदिर में कथा आदि के आयोजन में दिक्कतें न आएं इसलिए दूसरे तल पर एक और हाल बनाने की योजना है।
एक वर्ष में पूरा होगा काम
प्रथम और द्वितीय तल पर जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण हो चुका है, लेकिन भक्तों को असुविधा न हो इसके लिए छप्पन भोग के कक्ष के सामने से होते हुए दूसरे तल पर जाने के लिए एक लिफ्ट का भी प्रबंध रहेगा। मंदिर के दोनो प्रवेश द्वारों को संगमरमर के तोरणद्वार बनाए जाएंगे। केसरगंज से नगर निगम की बिल्डिंग से होता हुआ जो मार्ग मंदिर को जाता है, उसे भव्य रूप दिया जाएगा। सुबोध गर्ग ने बताया कि फिनिशिंग और लिफ्ट लगाने में एक वर्ष का समय लग जाएगा।
जन्माष्टमी के पहले सजे जगमग हुए मंदिर
जन्माष्टमी के पर्व के पहले शहर के मंदिर सजधज कर तैयार हैं। औघड़नाथ मंदिर में लाइटों की भव्य सजावट की गई है। तोरण द्वारों में लाइटों से कान्हा की लीला के प्रसंग दर्शाए गए हैं। नौ द्वार बनाए गए हैं। कैंट स्थित वामन भगवान मंदिर, झाड़खंडी महादेव मंदिर में राधा कृष्ण का दिव्य श्रंगार भक्तों को देखने मिलेगा। न्यू मोहनपुरी स्थित दयालेश्वर महादेव मंदिर और साकेत शिव मंदिर की भव्य सजावट भक्तों को देखने को मिलेगी।
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