जानिए- क्यों नौ महीनों से घर नहीं गए राकेश टिकैत, महापंचायत से तय होगा आंदोलन का भविष्य
Kisan Mahapanchayat in Muzaffarnagar जब से किसान आंदोलन शुरू हुआ है तब से किसान नेता राकेश टिकैत अपने घर नहीं पहुंचे हैं। हालाकि आंदोलन के दौरान कई बार वे अपने शहर में या सीमाओं से होकर गुजरे लेकिन घर नहीं गए।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। राजकीय इटर कालेज के मैदान में आज किसानों की महापंचायत का आयोजन किया गया है। इसमें यूपी के साथ ही कई राज्यों के किसानों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। किसान आंदोलन को हवा देने के लिए यहां पर राकेश टिकैत व नरेश टिकैत समेत कई बड़े किसान नेता मंच पर हुंकार भरेंगे। पंजाब, राजस्थान, हरियाणा व अन्य राज्यों के किसान महापंचायत में तीनों कृषि कानूनों को वापस कराने के लिए जुटे हैं।
किसान महापंचायत में देश के कोने कोने से किसान नेता पहुंचे। मंच पर राकेश टिकैत के साथ भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत, योगेंद्र यादव व चढ़ूनी समेत अन्य नेता मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि नौ महीनों से राकेश टिकैत अपने घर नहीं गए है। जानकारी के अनुसार जब से किसान आंदोलन शुरू हुआ है तब से किसान नेता राकेश टिकैत अपने घर नहीं पहुंचे हैं। हालाकि आंदोलन के दौरान कई बार वे अपने शहर में या सीमाओं से होकर गुजरे लेकिन घर नहीं गए।
इस वजह से घर की चौखट पर नहीं रखा कदम
भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत बताते हैं कि किसान नेता राकेश टिकैत तबतक घर की चौखट पर कदम नहीं रखेंगे जबतक की यह आंदोलन खत्म नहीं हो जाता है। जानकारी के अनुसार राकेश टिकैत ने प्रण लिया है कि वे कृषि कानूनों को वापस कराकर ही घर जाएंगे। चाहे इसके लिए लंबे से लंबे समय तक क्यों ना आंदोलन करना पड़े।
महापंचायत में महिला किसान भी
जीआईसी मैदान में उमड़े जन सैलाब के बीच में महिला किसान भी भारी संख्या में मौजूद हैं। इनके हाथों में या साथ में सरकार विरोधी नारे के साथ पोस्टर है। एक महिला किसान का कहना है कि इस महापंचायत में वे कृषि कानूनों को वापस कराने के लिए आए हैं और वे प्रधानमंत्री से इसे वापस लेने की अपील कर रही हैं।
महापंचायत पर टिका आंदोलन का भविष्य
राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह महापंचायत इस वजह से भी अहम है कि इस महापंचायत पर ज्यादा निर्भर करेगा कि आगे किसान आंदोलन का भविष्य क्या होगा। कैसे किसान आंदोलन अपना रुख बदलेगा और क्या कृषि कानून वापस होगा या संशोधन के साथ ही आंदोलन समाप्त हो जाएगा। इन सब बड़े सवालों का जवाब शायद इस किसान महापंचायत से निकल जाएगा।