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    Sadhvi Bhagawati Saraswati: हॉलीवुड में पली-बढ़ी युवती को गंगा दर्शन से हुई दिव्य अनुभूति, अब हैं साध्वी भगवती सरस्वती

    Updated: Mon, 22 Apr 2024 12:30 PM (IST)

    Who is Sadhvi Bhagawati Saraswati भारत आई युवती को आज साध्वी भगवती सरस्वती के नाम से जाना जाता है। देश-विदेश में सनातन आध्यात्म ध्यान योग आदि की अलख जगा रही हैं। उनके प्रवचन जीवन जीने की कला सिखाते हैं। साध्वी कहती है कि अपने लिए नहीं सबके लिए जिएं। हॉलीवुड टू द हिमालय पुस्तक में अपनी जीवन यात्रा का वर्णन करते हुए विश्व में सकारात्मक परिवर्तन का संदेश दिया है।

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    Sadhvi Bhagawati Saraswati: हॉलीवुड में पली-बढ़ी युवती को गंगा दर्शन से हुई दिव्य अनुभूति, अब हैं साध्वी भगवती सरस्वती

    प्रवीण वशिष्ठ, मेरठ। Sadhvi Bhagawati Saraswati / Meerut News / Who is Sadhvi Bhagawati Saraswati 25 साल की उम्र तक एक अमेरिकी युवती हॉलीवुड में अपने अभिभावकों संग रहती है। वहां के चमक-दमक वाले जीवन को बहुत करीब से देखती है।

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    एक यात्री के तौर पर भारत आने पर ऋषिकेश में गंगा किनारे हुई दिव्य अनुभूति से जीवन की दिशा और दशा बदल जाती है। ऋषिकेश में निवास के कुछ समय से बाद सनातन से ऐसा लगाव होता है कि संन्यास लेकर साध्वी भगवती सरस्वती बन जाती हैं। एक आयोजन में व्हीलर्स क्लब पधारी साध्वी ने 'दैनिक जागरण' से वार्ता की।

    साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत आने से पहले उन्हें हिंदू धर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वैसे 15 साल की उम्र में उन्होंने शाकाहार को जरूर अपना लिया था।

    स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई

    अमेरिका में उन्होंने प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान की पढ़ाई की। घूमने का शौक था। कई देशों की यात्रा करने के बाद 1996 में भारत पहुंचीं। ऋषिकेश में पहली बार गंगा दर्शन किए तो दिव्य अनुभूति हुई। कई दिन यहां घंटों बैठी रहीं।

    परमार्थ निकेतन के सामने पहुंचते ही ठहरे कदम

    साध्वी बताती हैं कि एक दिन संयाेग से स्वामी चिदानंद सरस्वती के आश्रम परमार्थ निकेतन के सामने पहुंचीं। वहां कुछ देर तक ऐसा अनुभव हुआ कि पैर उठ नहीं रहे हैं। इसके बाद आश्रम में प्रवेश किया तो लगा कि यहीं रह जाना चाहिए। आश्रम में रहकर उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथों, आध्यात्म, योग, प्राणायाम आदि का अध्ययन किया।

    सन् 2000 में लिया सन्यास

    स्वामीजी के मार्गदर्शन में सन् 2000 में उन्होंने संन्यास ले लिया। इसके बाद आध्यात्म, योग, प्राणायाम, ध्यान और जीवन जीने की कला से संबंधित प्रवचन देने शुरू किए। उनके प्रवचन बहुत पसंद किया जाता है।

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    सनातन पूरे विश्व के कल्याण और बंधुत्व के लिए

    साध्वी भगवती सरस्वती का कहना है कि सनातन पूरे विश्व के कल्याण और बंधुत्व के लिए है। वह बच्चों व महिलाओं की शिक्षा, सशक्तिककरण सहित कई क्षेत्रों में सेवा कार्य कर रही संस्था डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। लोक कल्याण और मानव सेवा में लगीं कुछ अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हैं।

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    निस्वार्थ सेवा एक अद्भुत और महान शक्ति

    साध्वी की पुस्तक "हालीवुड टू द हिमालय" बेस्टसेलिंग रही है। इसमें उन्होंने बताया है कि स्वयं को और विश्व को बेहतर कर सकारात्मक परिवर्तन लाने में निस्वार्थ सेवा एक अद्भुत और महान शक्ति है।

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