Google व CCSU के बीच हुूआ MOU, विश्वविद्यालय में बनेगा देश का पहला AI सक्षम पायलट परिसर, इससे छात्रों को मिलेगा यह लाभ
भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 123वीं जयंती पर कौशल विकास मंत्रालय ने गूगल और सीसीएसयू के साथ रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। सीसीए ...और पढ़ें

एमओयू के दौरान उपस्थित राज्यमंत्री जयन्त चौधरी, कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, एमएसडीई की सचिव देबाश्री मुखर्जी व अन्य। सौ. सीसीएसयू
जागरण संवाददाता, मेरठ। भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 123वीं जयंती के अवसर पर कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (MSDE) ने गूगल और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (CCSU) के साथ एक ऐतिहासिक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है।
यह पहल देश में समावेशी और भविष्य की तैयारी के लिए उच्च शिक्षा की दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता केंद्रीय राज्य (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री जयन्त चौधरी ने दिल्ली में अपने कार्यालय में इस साझेदारी के समावेशी और परिवर्तनकारी स्वरूप पर कहा कि सच्चा विकास तब संभव है, जब शिक्षा और अवसरों तक पहुंच की बाधाओं को दूर किया जाए।
उन्होंने मातृभाषा में सीखने और युवाओं को वैश्विक तकनीकों से जोड़ने पर जोर देते हुए कहा कि सीसीएसयू को एक एआइ-सक्षम आदर्श संस्थान के रूप में विकसित करना पूरे देश के लिए एक ऐसा माडल प्रस्तुत करेगा, जहां रोजगार योग्यता, कौशल और दक्षता से तय होगा।
उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक प्रगति के केंद्र में युवा हैं और यह साझेदारी चौधरी चरण सिंह के उस स्थायी विश्वास को साकार करती है, जिसमें शिक्षा को भारत की वास्तविकताओं और आकांक्षाओं से जोड़ा गया है। इस सहयोग के तहत सीसीएसयू को उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा में एआइ अंगीकरण ढांचे के विकास और क्रियान्वयन के लिए पायलट संस्थान के रूप में विकसित किया जाएगा।
इसके साथ ही सीसीएसयू देश का पहला व्यापक एआइ-सक्षम विश्वविद्यालय परिसर बनने की दिशा में अग्रसर होगा। यहां शिक्षण, अधिगम, कौशल विकास और संस्थागत प्रक्रियाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का समावेश किया जाएगा। यह पायलट परियोजना राष्ट्रीय स्तर पर अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए योग्य माडल के रूप में कार्य करेगी।
एआइ आधारित टूल्स और प्लेटफार्म के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण, शहरी-ग्रामीण डिजिटल खाई को पाटना और भाषा, पहुंच व रोजगार योग्यता से जुड़ी चुनौतियों का समाधान किया जाएगा। विशेषकर टियर-दो और टियर-तीन क्षेत्रों के युवाओं के लिए इसे लाभकारी बताया जा रहा है।
एआइ के माध्यम से कौशल अंतर को पाटने की पहल
इस साझेदारी का प्रमुख उद्देश्य नौकरी बाजार में कौशल असंतुलन को दूर करना है। एआइ-सक्षम पाठ्यक्रम, व्यक्तिगत अधिगम पथ और उद्योग-संगत कौशल ढांचे छात्रों को रोजगार-तैयार और भविष्य-तैयार बनाएंगे। साथ ही, अपनी मातृभाषा में उन्नत डिजिटल कौशल सीखने और नवाचार करने के अवसर बढ़ेंगे, जिससे तकनीक अधिक सुलभ और समावेशी बनेगी।
एक वर्ष के लिए इस एमओयू में एडमिनिट्रेटिव, टीचिंग और रिसर्च मेथडोलाजी पर कार्य होगा। कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने कहा कि एआइ-सक्षम परिसर न केवल विश्वविद्यालय के छात्रों को लाभान्वित करेगा, बल्कि देशभर के विश्वविद्यालयों में एआइ एकीकरण के लिए नीति और व्यवहार को दिशा देगा, जिससे भारत एक कुशल, समावेशी और तकनीक-संचालित भविष्य की ओर और सशक्त रूप से आगे बढ़ेगा.

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