Flight From Meerut: मेरठ में उम्मीदों के रनवे पर उतरने लगा ‘उड़ान’का सपना, आठ दिनों तक होगा टेक्निकल मुआयना
Flight From Meerut यह गुड न्यूज ही है कि मेरठ से हवाई जहाज से यात्रा का सपना जल्द होगा पूरा। यहां परतापुर में डा. भीमराव आंबेडकर हवाई पट्टी पर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की टीम ने दिनभर किया सर्वे। आठ दिवसीय टेक्निकल मुआयने के बाद आएंगी अन्य टीमें।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Flight From Meerut मेरठ से हवाई उड़ान का सपना अब धरातल पर उतरने लगा है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की तीन सदस्यीय टीम ने आब्सेटिकल लिमिटेशन सरफेस (ओएलएस) सर्वे के लिए डा. भीमराव आंबेडकर हवाई पट्टी पर डेरा डाल लिया है। जरुरी दस्तावेज खंगालने के साथ ही अधिकारी रनवे पर पहुंचे और जांच-पड़ताल की। टीम अगले आठ दिन तक हवाई पट्टी का टेक्निकल मुआयना करेगी।
रनवे की जांच-पड़ताल
हवाई पट्टी के विस्तार के बाद यहां ऐसी व्यवस्था होगी, जहां से रात और दिन के समय विमान उड़ाए और उतारे जा सकेंगे। शुक्रवार दोपहर 12 बजे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की तीन सदस्यीय टीम परतापुर स्थित डा. भीमराव आंबेडकर हवाई पट्टी पहुंची। पहले दिन हवाई पट्टी के 1621 मीटर रनवे की जांच-पड़ताल की गई। इस दौरान भूमिगत सिग्नल इंस्ट्रूमेंट को परखा गया। इसके अलावा रनवे, मैदान और बाउंड्री की जांच की गई।
ये है उड़ान में बाधा
एएआई के मानचित्र के मुताबिक खसरा खतौनी का मिलान भी किया गया। माना जा रहा है कि एयरपोर्ट एन्क्लेव, पराग दुग्ध प्लांट और हाईटेंशन लाइन भी हवाई उड़़ान में बाधा बन सकती हैं। एएआई टीम सर्वे के बाद अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगी, इसके बाद ही कार्रवाई आगे बढ़ेगी। सर्वे के बाद एएआई से संबंधित अलग-अलग विभागों की टीमें आएंगी और अपनी रिपोर्ट प्राधिकरण को देंगी।
कमिश्नर भी हैं गंभीर
हालांकि टीम ने यह संकेत दिए कि हवाई उड़ान का कार्य अब धरातल पर नजर आने लगेगा। सबकुछ ठीक चला तो माना जा रहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले यह सौगात मेरठ को मिल जाएगी। मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह एयरपोर्ट निर्माण को लेकर गंभीर हैं। वह लगातार अधिकारियों के संपर्क में हैं। उनके पत्राचार के बाद ही सर्वे की कार्यवाही आगे बढ़ी है।
जमीन पर खर्च होंगे 935 करोड़
योजना यह भी है कि यहां बड़े विमान को भी उतारकर उनकी मरम्मत और रखरखाव पर काम किया जा सकेगा। इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने प्लान बनाया है। इसके लिए चार गांवों की सीमा में 190 हेक्टेयर जमीन खरीदनी होगी। भूमि के लिए लगभग 935 करोड़ रुपये की व्यवस्था करनी होगी। मेरठ में एयरपोर्ट, जहाज और हवाई यात्रा को लेकर सरकार पिछले आठ साल से तमाम दावे और वादे कर रही है, लेकिन ये दावे पहले बार धरातल पर उतरते नजर आ रहे हैं। केंद्र सरकार की उड़ान योजना में शामिल होने के बाद भी अभी तक मेरठ से छोटे शहरों के बीच हवाई यात्रा के लिए 72 सीटर विमान उड़ाने के लिए भी कोई काम नहीं हो सका है।
सीमा में आ रही चार गांवों की जमीन
नई योजना के लिए आवश्यक भूमि में गगोल तीर्थ के दो खसरा संख्या पूर्ण तथा एक आंशिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। यह जमीन विश्वामित्र तीर्थ के नाम से दर्ज है। जिससे लोगों की धार्मिक भावनाएं भी जुड़ी हैं। इसके अलावा कांशी की 13.6000 हेक्टेयर, कंचनपुर घोपला की 27.0000 हेक्टेयर, अजीजपुर की 9.5000 हेक्टेयर और गगोल की 140.8000 हेक्टेयर जमीन इसकी परिधि में है।
टीम में यह अधिकारी रहे शामिल
दिल्ली से आई भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की टीम में एसोसिएट कंसल्टेंट आरआर शर्मा के अलावा सीनियर जीआईएस एनॉलिस्ट योगेंद्र कुमार और मोहम्मद आमिर शामिल हैं। टीम को डा. भीमराव आंबेडकर हवाई पट्टी के प्रबंधक रामगोपाल जानकारी उपलब्ध कराएंगे। सर्वे के दौरान प्रशासन की ओर से एक मजिस्ट्रेट की तैनाती भी हवाई पट्टी पर की गई है, वह स्थानीय प्रशासन की ओर से जरुरी दस्तावेज और आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराएंगे।
इनका कहना है
यह प्रारंभिक सर्वे है। ओएलएस सर्वे मुख्य रूप से इसलिए कराया जाता है कि हवाई अडडे के आसपास जहां एयरक्राफ्ट चक्कर लगाता है, वहां किसी तरह की बाधा तो नहीं है। हवाई अड्डे के आसपास कोई पुरातत्व साइट, हैरिटेज इमारत या हाईटेंशन तो मौजूद नहीं है। अगले आठ दिन तक सर्वे रिपोर्ट तैयार की जाएगी। रिपोर्ट भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को सौंपी जाएगी, इसके बाद आगे की कार्यवाही होगी।
- आरआर शर्मा, एसोसिएट कंसल्टेंट, एएआई