ये ड्रोन आपकी फसलों का डॉक्टर है, 15 मिनट में तीन एकड़ जमीन में करता है दवाई का छिड़काव
मेरठ के सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव का प्रशिक्षण शुरू हो गया है। ड्रोन फसलों की बीमारी का पता लगाकर दवा का छिड़काव करता है। प्रशिक्षण के बाद युवाओं को लाइसेंस मिलेगा और नौकरी के अवसर भी मिलेंगे। सरकार ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी भी दे रही है जिससे किसानों को काफी मदद मिलेगी।

सर्वेन्द्र पुंडीर, मेरठ। आधुनिक युग में खेती का भी तरीका बदल रहा है। एक तरफ जहां सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सेंटर खुल गया है। वहीं, यहां पहले से ही गेहूं, धान, गन्ना आदि फसलों में कीटनाशक दवाईयाें का छिड़काव करने के लिए ड्रोन आ गया है। ड्रोन की खास बात यह है कि यह फसल बीमार है या नहीं। यह भी बताता है और दवाई का छिड़काव कर उपचार भी करता है।
ड्रोनवर्स एविएशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर पवन खत्री ने बताया कि नागपुर, इंदौर, गुरुग्राम के बाद मेरठ की कृषि विश्वविद्यालय में ड्रोन की ट्रेनिंग शुरू की गई है। डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) कंपनी ने कृषि विश्वविद्यालय को इसकी अनुमति दी है।
यहां पर अभी किसानों और अन्य लोगों को 10 दिन की ट्रेनिंग देकर लाइसेंस दिया जा रहा है। जिसका खर्च लगभग 25 हजार रुपये है। ड्रोन का लाइसेंस लेने के बाद युवक इफको, कृभको जैसी कंपनियों में नौकरी भी कर सकते है।
पवन खत्री का कहना है कि किसान इसे खरीदेगा तो केंद्र सरकार 70 प्रतिशत सब्सिडी भी देगी। यदि किसी किसान को इसे विश्वविद्यालय से किराए पर लेकर फसलों में छिड़काव करना है तो 350 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से किराया देना होगा। ड्रोन एक एकड़ में 15 मिनट में कीटनाशक का छिड़काव करता है।
थर्मल सेंसर एवं क्रोक हेल्थ मानिटरिंग से करता है निगरानी
ड्रोन एक्सपर्ट हरीश श्रीवास्तव बताते हैं कि फसलों में शुरुआत में बैक्टीरिया व अन्य बीमारियों का पता नहीं चलता है। कृषि ड्रोन थर्मल सेंसर और क्रोक हेल्थ से फसलों की मानिटरिंग करके पता लगा लेता है कि किस पौधे में क्या बीमारी है। यह डाटा फसल स्वास्थ्य को ट्रैक करने के लिए मल्टीस्पेक्ट्रल इमेज बनाने में भी मदद करता है। बीमारी का पता चलने पर विशेषज्ञ से दवाई की राय लेकर ड्रोन से फसलों पर छिड़काव कर सकते हैं।
महिलाओं को ट्रेनिंग देना प्राथमिकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ड्रोन नमो दीदी के नाम से योजना चलाई हुई है। पूरे देश में महिलाओं के 15 हजार समूह को इस योजना के तहत ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा गया है। कृषि विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं के अलावा 50 से अधिक युवक इसकी ट्रेनिंग ले चुके है।
गुरुग्राम, इंदौर, नागपुर के बाद मेरठ की कृषि विश्वविद्यालय को ड्रोन की ट्रेनिंग देने का मौका मिला है। ड्रोन वर्श एवियंश नामक कंपनी के डायरेक्टर पवन खत्री ने ट्रेनिंग देने का काम चल रहा है। यह फसलों के लिए बेहतर साबित हो रहा है। -प्रोफेसर केके सिंह, कुलपति कृषि विश्वविद्यालय
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