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    कड़ाके की ठंड का दिल-दिमाग, गुर्दे और फेफड़ों पर असर; डॉक्टरों ने बताया बरतें ये सावधानी

    Updated: Mon, 06 Jan 2025 11:36 AM (IST)

    Cold Weather ठंड का मौसम शुरू होते ही अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। दिल फेफड़े गुर्दे लकवे सांस और ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। गले के संक्रमण व निमोनिया के मामले भी काफी आ रहे हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक कड़ाके की ठंड में सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। पढ़ें ठंड में मरीजों को किस प्रकार की दिक्कतें आ रही हैं।

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    कड़ाके की ठंड का दिल-दिमाग, गुर्दे और फेफड़ों पर असर; डॉक्टरों ने बताया बरतें ये सावधानी

    जागरण संवाददाता, मेरठ। ठंड ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज सहित सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में दिल, फेफड़े, गुर्दे, लकवे, सांस और ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। गले के संक्रमण व निमोनिया के मामले भी काफी आ रहे हैं। अस्पतालों की ओपीडी से लेकर वार्ड तक 70 प्रतिशत मरीज इन्हीं बीमारियों के हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक कड़ाके की ठंड में सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं...।

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    मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 2,700 मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा मरीज मेडिसिन, न्यूरोलाजी, कार्डियोलाजी, मानसिक रोग विभाग, एंडोक्राइनोलाजी, नेफ्रोलाजी विभाग, हड्डी रोग विभाग की ओपीडी में पहुंच रहे हैं। इन विभागों के वार्डों में भी भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ गई है।

    हार्ट अटैक की हो रही समस्या

    कार्डियोलाजी विभाग में पांच से सात मरीज हार्ट अटैक की गंभीर स्थिति के साथ पहुंच रहे हैं तो 20 से 25 मरीज सीने में दर्द, सांस फूलने की समस्या लेकर आ रहे हैं। ओपीडी में विशेषज्ञ डाक्टरों को खून पतला करने की दवा के साथ दर्द से त्वरित राहत देने वाली दवाएं देनी पड़ रही हैं।

    जबकि कार्डियोलाजी की ओपीडी सामान्य दिनों की तुलना में 150 से बढ़कर 250 मरीज तक पहुंच गई है। मेडिसिन की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 600 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। जिनमें 30 से 40 प्रतिशत मरीज अनियंत्रित ब्लड प्रेशर व शुगर के साथ पहुंच रहे हैं।

    20 से 30 प्रतिशत मरीज सांस लेने में दिक्कत, सीओपीडी की बीमारी, दमा अटैक से संबंधित आ रहे हैं। 10 प्रतिशत मरीज गुर्दे में समस्या लेकर पहुंच रहे हैं। गुर्दें वाले मरीजों को नेफ्रोलाजी विभाग में भेजा जा रहा है। मेडिसिन विभाग की सामान्य दिनों में ओपीडी 350 तक रहती है।

    सर्दी में दोगुणा मरीज हैं। आठ से 10 मरीज लकवे की शिकायत के साथ न्यूरोलाजी विभाग में और 30 से 35 मरीज डिप्रेशन, डिमेंशिया की शिकायत के साथ मानसिक रोग विभाग में आ रहे हैं। मेडिकल कालेज प्रशासन का दावा है कि लगभग 850 से अधिक मरीज विभिन्न वार्डों में भर्ती हैं। जिनमें से 70 प्रतिशत मरीज दिल, सांस रोग फेफड़े, गुर्दं, लकवे, बीपी-शुगर, और डिप्रेशन जैसी समस्याओं के हैं। यही स्थिति पीएल शर्मा जिला अस्पताल व प्राइवेट अस्पतालों की है।

    ठंड से मरीजों में ये आ रही हैं समस्याएं

    • खून की नसों में सिकुड़न व रुकावट।
    • सांस की नली में सिकुड़न।
    • फेफड़ों की कार्य क्षमता प्रभावित होना।
    • शरीर में आक्सीजन लेवल का गिरना।
    • शुगर लेवल और बीपी का बढ़ना।
    • दिमाग की नसों में थक्का बन जाना।
    • गुर्दे की कार्य क्षमता प्रभावित होना व पैरों में सूजन।
    • अर्थराइटिस की समस्या, घुटनों, जोड़ों में दर्द।

    वरिष्ठ सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ, डॉ. वीरोत्तम तोमर ने कहा

    कोहरे में सांस, दिल, बीपी के रोगी घर से बाहर न निकलें। धूप निकलने पर ही बाहर निकलें। ब्लड प्रेशर व शुगर लेवल नियंत्रित रखें। नियमित दवाएं लें। सांस के रोगी इनहेलर का नियमित उपयोग करें। जरूरत लगे तो दवा की डोज बढ़ा दें। वायरल संक्रमण होने पर मरीज को अलग कमरे में रखें। जुकाम-खांसी वाले मरीज मास्क का उपयोग करें। ताकि संक्रमण दूसरे व्यक्ति को न हो। किसी अंग में कमजोरी या सुन्न पन, सांस लेने में दिक्कत व सीने में दर्द महसूस हो तो तत्काल चिकित्सीय सलाह लें।

    वरिष्ठ फिजिशियन, एलएलआरएम, डॉ. अरविंद कुमार ने बताया

    कड़ाके की ठंड में हाइपरटेंशन, डायबिटीज और कोलेस्ट्राल का स्तर बढ़ने से खून की नसों में थक्का बनने से रुकावट हो रही है। इससे हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक की समस्या बढ़ गई है। चिकनाई युक्त व अत्यधिक नमक वाला भोजन न करें। दिनभर में पांच ग्राम नमक से ज्यादा सेवन न करें। बीपी-शुगर, दिल के रोगी ज्यादा ध्यान दें। गुनगुना पानी लें। ठंड में प्यास नहीं महसूस होती है। पानी की कमी से दिक्कत हो सकती है।

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