रोज आठ घंटे पढ़ाई को दें.. दिन में पढ़ना ज्यादा बेहतर
सेमेस्टर-टू परीक्षा की तैयारियों में जुटे छात्र-छात्राओं को यह आभास तो पहले से ही था कि परीक्षा होगी। आनलाइन या आफलाइन पर चर्चाएं चल रही थीं। क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट डा. सीमा शर्मा का कहना है कि परीक्षाओं का तौर-तरीका बदलता रहता है लेकिन उसकी तैयारी हमेशा एक जैसी रहती हैं।

मेरठ, जेएनएन। सेमेस्टर-टू परीक्षा की तैयारियों में जुटे छात्र-छात्राओं को यह आभास तो पहले से ही था कि परीक्षा होगी। आनलाइन या आफलाइन पर चर्चाएं चल रही थीं। क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट डा. सीमा शर्मा का कहना है कि परीक्षाओं का तौर-तरीका बदलता रहता है, लेकिन उसकी तैयारी हमेशा एक जैसी रहती हैं। प्रश्नपत्र एमसीक्यू या विस्तृत उत्तरीय हो सकते हैं। कोरोना महामारी के दौरान सभी छात्र-छात्राओं ने नए वातावरण को देखा। नए माहौल और पद्धति में पढ़े और परीक्षाएं भी दी हैं। स्थितियां बदलने लगी हैं। इसलिए अपनी सोच को भी कोविड के पूर्व की सामान्य वाली स्थिति में लेकर आएं। योजना बनाएं और तैयारी करें
डा. सीमा शर्मा के अनुसार अब शेष बचे 23-24 दिन में तैयारी के लिए परीक्षार्थी 24 घंटे की योजना बनाएं। इसमें कम से कम आठ घंटे की पढ़ाई के लिए खुद को तैयार करें। जो पढ़ चुके हैं उसे मजबूत करें। नया कतई न पढ़ें। खाने का समय ठीक रखें। दिन में पढ़ने की कोशिश करें। रात में देर तक पढ़ने से शरीर थकता है। आधा घंटा पसीना जरूर बहाएं
रोजाना न्यूनतम आधा घंटा पसीना बहाने को व्यायाम कर सकते हैं। पढ़ाई के दौरान स्वजन के साथ ही बातचीत का वातावरण बनाएं रखें। पढ़ाई को बोझ न बनाएं। परीक्षा स्वयं को परखने का मौका है। डर लगे तो खेल का उदाहरण लें, जिसमें हार के बाद टीम दोबारा और जोर लगाकर खेलती है। जीवन में मौके और भी मिलेंगे इसलिए इस परीक्षा को अंतिम न मानें।
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