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    मेरठ के इस कॉम्‍प्लेक्स पर चलेगा बुलडोजर, SC ने हाईकोर्ट के 10 साल पुराने फैसले पर लगाई मुहर; हड़कंप

    Updated: Wed, 18 Dec 2024 03:45 PM (IST)

    मेरठ के शास्त्रीनगर स्थित सेंट्रल मार्केट में अवैध निर्माणों को लेकर 10 वर्ष पूर्व दिए गए हाई कोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने सेंट्रल मार्केट 661/6 कांप्लेक्स को तीन माह में अवैध निर्माण को खाली कर दो सप्ताह में ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं। भे-उपयोग परिवर्तित कर हुए 1400 से अधिक निर्माण पर भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी।

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    शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट 661/6 पर बना कॉम्‍प्‍लेक्‍स।

    जागरण संवाददाता, मेरठ। शास्त्रीनगर स्थित सेंट्रल मार्केट में अवैध निर्माणों को लेकर 10 वर्ष पूर्व दिए गए हाई कोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने सेंट्रल मार्केट 661/6 कांप्लेक्स को तीन माह में अवैध निर्माण को खाली कर दो सप्ताह में ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं। भे-उपयोग परिवर्तित कर हुए 1400 से अधिक निर्माण पर भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी।  उधर, आदेश के बाद व्यापारियों में हलचल तेज हो गई।

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    19 नवंबर 2024 में सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 से लंबित मामले की सुनवाई करते हुए शास्त्रीनगर स्थित सेंट्रल मार्केट में भू उपयोग परिवर्तन कर हुए निर्माणों की यथास्थिति के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। आवास विकास ने सर्वे कर 1400 के लगभग निर्माणों की सूची दाखिल की थी, जिसके बाद व्यापारियों ने व्यापार बचाओ संघर्ष समिति बनाकर जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर आवासीय संपत्तियों पर बनी दुकानों को नियमित कराने की मांग की थी। मंगलवार को आदेश की जानकारी मिलते ही सेंट्रल मार्केट 661/6 के दुकानदारों की बैठक हुई।

    वहीं, व्यापारी बचाओ संघर्ष समिति के सह संयोजक जीतेंद्र अग्रवाल अट्टू ने अधिवक्ताओं से संपर्क किया। आवास विकास परिषद के अधिशासी अभियंता मोहम्मद आफताब ने बताया कि 36 पेज के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने परिषद के आवास आयुक्त और मेरठ के कमिश्नर को कार्रवाई कराने के आदेश दिए हैं।

    यह है मामला?

    पांच दिसंबर 2014 को हाईकोर्ट ने आवास विकास परिषद की सेंट्रल मार्केट, शास्त्रीनगर और भू उपयोग परिवर्तित कर किए गए निर्माणों के संबंध में आदेश दिया था। परिषद की भूमि विकास गृह स्थान योजना संख्या सात के सेक्टर छह में 1986 में भवन संख्या 661/6 वीर सिंह को दो लाख 95 हजार 795 रुपये में आवंटित की गई थी। भूखंड का प्रयोग आवासीय प्रयोजन के लिए करने की शर्त थी। लेकिन वर्ष 2011 में बिना मानचित्र स्वीकृत कराए उक्त भूखंड पर कामर्शियल निर्माण कर दिया गया।

    परिषद के अधिकारियों ने कोर्ट में पुलिस फोर्स की अनुप्लब्धता का हवाला देते हुए अवैध निर्माण को नहीं ढहा पाने की बात कही। 15 साल के अंतराल में भूखंड पर 23 दुकानें बना दी गईं। हाई कोर्ट के दो जजों की पीठ ने मेरठ के तत्कालीन जिलाधिकारी और एसएसपी को फोर्स के साथ 31 दिसंबर-14 के पूर्व तक 661/6 पर बने अवैध निर्माण ढहाने के आदेश दिए थे। जिन अधिकारियों के कार्यकाल में निर्माण हुए, उनके खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश दिए थे।

    पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड भी कर चुके हैं मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ 661/6 की दुकानों के मालिक सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने पांच जनवरी 2015 को मामले में स्टे दे दिया था। तब से यह मामला लटका हुआ है।

    2017 में शास्त्रीनगर निवासी राहुल राणा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें स्टे से इतर भू उपयोग कर हुए अन्य निर्माणों पर कार्रवाई की मांग की गई थी। उच्च न्यायालय ने 27 जुलाई को आदेश दिया था कि सेंट्रल मार्केट प्रकरण पर आवास विकास परिषद के सक्षम अधिकारी आठ सप्ताह में निर्णय लेकर विधिसम्मत कार्रवाई करें! 30 दिसंबर 2017 को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने पांच जनवरी 2015 में दिए गए आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि शास्त्रीनगर सेक्टर छह फेज वन स्थित 661/6 के सात दुकानदारों को स्टे मिला हुआ है। यह स्टे हाई कोर्ट के पांच दिसंबर 2014 के आदेश के संबंध में दिया गया है।

    पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विचार

    सेंट्रल मार्केट 661/6 कांप्लेक्स के व्यापारियों ने बैठक कर भावी रणनीति पर विचार किया। कांप्लेक्स की पांच दुकानों के मालिक किशोर वाधवा ने बताया कि कोर्ट के आदेश का क्रियान्वयन किस तरह होता है, यह देखना होगा। मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर प्रार्थना की जाएगी कि कांप्लेक्स की दुकानों से 60 से अधिक परिवारों की जीविका चल रही है।

    इस तरह के निर्माण बड़ी संख्या में हैं अगर उनको रियायत दी जा रही है तो हमें भी दी जाए। बैठक में सरदार जी साड़ी के मनदीप वाधवा, रजत गोयल, रजत अरोड़ा, राजेंद्र बड़जात्या आदि मौजूद रहे। हजारों लोग होंगे प्रभावित आवास विकास परिषद ने शास्त्रीनगर में भू उपयोग परिवर्तन कर हुए निर्माणों की सूची तैयार की है। अगर माधवपुरम, जागृति विहार, मंगल पांडे नगर समेत सभी योजनाओं में देखा जाए तो यह निर्माण ढाई हजार के आसपास हैं।

    आवासीय भूखंडों को व्यापारिक प्रतिष्ठानों में बदलने वाले ऐसे लोग इस आदेश की जद में आ रहे हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन के लिए आदेश का क्रियान्वयन कराना भी टेढ़ी खीर साबित होगा। इसके पहले जब 2015 में आदेश आदेश के क्रियान्वयन के समय भारी विरोध हुआ था।

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