हैरान करने वाले हैं आंवला के गुण, एनीमिया पीड़ितों को आंवला-लौह भस्म से बने सिरप, चूरन और टैबलेट खिलाने की पहल
Meerut News आंवला में अनेक गुण हैं। डाक्टरों के अनुसार एनीमिया पीड़ितों के लिए आंवला और लौह भस्म के मिश्रण से धात्री लौह औषधि तैयार की जाती है। इसका सेवन सिरप चूरन और गोली के रूप में कर सकते हैं। यह औषधि बहुत उपयोगी है। आयुष मंत्रालय और विश्व आयुर्वेद परिषद मेरठ ने एनीमिया से निपटने के लिए अभियान शुरू किया है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। केंद्र सरकार लंबे समय से गर्भवती महिलाओं, स्कूली छात्र-छात्राओं और बच्चों को आयरन व फोलिक एसिड की खुराक देकर एनीमिया दूर करने का अभियान चला रही है। वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमियामुक्त भारत का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को पूरा करने में आयुर्वेद की अहम भूमिका है। आयुष मंत्रालय की ओर से एनीमिया पीड़ितों को आंवला-लौह भस्म से बने सिरप, चूरन और गोली खिलाने पर जोर देने की पहल की गई है। विश्व आयुर्वेद परिषद मेरठ की महिला प्रकोष्ठ ने एक अभियान शुरू किया है।
बालिकाओं में मिल रही खून की कमी
बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है, जिनमें खून की कमी मिल रही है, उन्हें धात्री लौह औषधि एवं पोषक आहार (गुड़-चना) किट व पंफलेट दिया जा रहा है। महिला प्रकोष्ठ सह प्रभारी डा. निधि शर्मा के नेतृत्व में 200 बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण हो चुका है, जिनमें 40 बालिकाएं एनीमिया पीड़ित मिलीं। अभियान तीन महीने तक स्कूलों-कालेजों में चलेगा। एनीमिया से पीड़ित बालिकाओं को चिह्नित कर उन्हें खून बढ़ाने वाली औषधि और पोषक आहार किट दी जाएगी। भारत विकास परिषद मेरठ मेन शाखा सहयोग मिल रहा है। अभियान आयुर्वेदाचार्य डा. अमित गुप्ता और डा. अदिति गुप्ता के मार्गदर्शन में चल रहा हैं।
शुगर नियंत्रित करने में भी आंवला उपयोगी
आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. निधि शर्मा ने बताया कि आंवला और लौह भस्म के मिश्रण से धात्री लौह औषधि तैयार की जाती है। इसका सेवन सिरप, चूरन और गोली के रूप में कर सकते हैं। आंवला हीमोग्लोबिन बढ़ाने के साथ-साथ त्वचा की चमक, आंखों की रोशनी बढ़ाता है। शरीर में लौह (आयरन) के पोषण के लिए अम्ल रस की पूर्ति आंवला करता है। रोजाना एक आंवला लेने से शुगर भी नियंत्रित होती है। अंगूर में पाए जाने वाले रसायन और औषधीय गुणधर्म खून की मात्रा और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर हैं। ताकत देने के साथ-साथ शरीर के मेटाबोलिज्म को सही करता है।
2047 तक सिकल सेल एनीमिया मुक्त भारत का लक्ष्य
आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. आलोक शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2047 तक सिकल सेल एनीमिया मुक्त भारत का लक्ष्य रखा है। एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या उनकी आक्सीजन ले जाने की क्षमता शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होती है। आयुर्वेद में इसे "पांडु" कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार पांडु रसदोष व्याधि यानी आहार के रस से रक्त के निर्माण की प्रक्रिया में गड़बड़ी। देश में 50 प्रतिशत लोग एनीमिक हैं। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का स्तर 70 प्रतिशत है। इसके कारण थकान, शरीर का रंग पीला पड़ना, सामान्य कमज़ोरी , चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, सांस फूलना, धड़कन बढ़ना, चेहरे पर सूजन, अनियमित मासिक धर्म आदि अनेक लक्षण होते हैं।
एनीमिया पीड़ितों के लिए उपयोगी पोषक आहार
- डाक्टरों के अनुसार साग व सब्जियों का सेवन करें। जैसे चने, पालक,चौलाई, सरसों,मेथी,बथुए,सहजन के पत्तों, अरवी के पत्ते।
-पुदीना,कच्चा केला,चुकंदर,कद्दू का सेवन करें।
-दालों में मसूर,मूंग,काला चना,अरहर,उड़द और सोयाबीन का सेवन करें।
-सूखे मेवे में तिल,मुनक्का,किशमिश,खजूर,अनार दाना,अंजीर फायदेमंद हैं।
-फलों में आंवला, अंगूर, अनार, मुसम्मी और संतरा लाभदायक हैं।
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