आरबीएसके के तहत मूक बधिर बच्चों का निश्शुल्क इलाज
जन्मजात मूक-बधिर बच्चों (जन्म से ही बोलने और सुनने में अक्षम) की समय।

जागरण संवाददाता, मऊ : जन्मजात मूक-बधिर बच्चों (जन्म से ही बोलने और सुनने में अक्षम) की समय पर पहचान और समय पर इलाज से उन्हें ठीक किया जा सकता है। ऐसे बच्चों की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत निश्शुल्क काकलियर इम्प्लांट द्वारा सर्जरी से गूंगे व बहरेपन का समय पर सही इलाज संभव है। इसी उद्देश्य से आरबीएसके के सहयोग से सदर अस्पताल में मंगलवार को सुबह दस से चार बजे तक विशेष परीक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा । शासन से चयनित कानपुर के डा. एसएन मेहरोत्रा मेमोरियल इएनटी (कान, नाक एवं गला) फाउंडेशन द्वारा जनपद के विभिन्न ब्लाकों से आए जन्म से पांच साल के मूक-बधिर बच्चों का परीक्षण किया जाएगा एवं उनके निश्शुल्क इलाज, मशीन और चिकित्सकीय सहायता प्रदान कराया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सतीशचंद्र सिंह ने बताया कि शिविर में मूक बधिर बच्चों का परीक्षण किया जाएगा। इसमें कांकलियर इंप्लांट सर्जरी द्वारा चयनित प्रत्येक बच्चे पर मशीन, चिकित्सा और प्रशिक्षण पर लगभग आठ लाख रुपये खर्च आता है जो आरबीएसके के तहत सरकार वहन करेगी।
आरबीएसके के नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डा. बीके यादव ने बताया कि जन्मजात मूक बधिर बच्चों की पहचान के लिए जैसे कि बुलाने पर बच्चों द्वारा कोई कोई प्रतिक्रिया न देना, तेज आवाज होने पर इधर-उधर नहीं देखना या नहीं चौंकना, कुछ ऐसे लक्षणों होने की आशंका हो सकती है। आरबीएसके डीआईईसी मैनेजर अरविद वर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत जिले के सदर अस्पताल में सभी ब्लाकों से आए संस्था के विशेषज्ञ परीक्षण के बाद चयनित कर कानपुर के डा. एसएन मेहरोत्रा मेमोरियल में इलाज के लिए ले जाते हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में इस शिविर के माध्यम से वर्ष 2020-21 में जिले के विभिन्न ब्लाकों से 15 मूक-बधिर बच्चों को सरकार से निश्शुल्क लाभ प्राप्त हुआ है।
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