रंगजी मंदिर में बैकुंठ उत्सव: वृंदावन में भगवान रंगनाथ के साथ बैकुंठ द्वार से गुजरे हजारों भक्त
वृंदावन के रंगजी मंदिर में बैकुंठ एकादशी पर बैकुंठ उत्सव धूमधाम से मनाया गया। भोर में भगवान रंगनाथ सोने की पालकी में बैकुंठ द्वार से गुजरे। भक्तों का ...और पढ़ें

रंगजी मंदिर।
संवाद सहयाेगी, जागरण, वृंदावन। दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में मंगलवार को बैकुंठ उत्सव उल्लास पूर्वक मनाया। बैकुंठ एकादशी पर भोर में ठाकुरजी सोने की पालकी में विराजकर बैकुंठ द्वार से गुजरे तो मंदिर परिसर भक्तों के जयकारे से गूंज उठा। रामानुज संप्रदाय में साढ़े चार हजार साल से मनाए जा रहे बैकुंठ उत्सव की परंपरा निराली है।
बैकुंठ एकादशी के दिन ठा. रंगनाथ बैकुंठ द्वार से आल्वार संतों (तमिलनाडु के आल्वार तिरु नगरी में इमली के वृक्ष के नीचे भगवान की साधना में रत रहने वाले संत आल्वार शठकोप सूरी महाराज) को दर्शन देने के लिए निकलते हैं।

बैकुंठ उत्सव: भगवान रंगनाथ संग बैकुंठ द्वार से गुजरे भक्त
मान्यता है कि जब भगवान बैकुंठ द्वार से गुजरते हैं उस वक्त तो जो भी भक्त भगवान के पीछे उक्त द्वार से गुजरता है, उसे बैकुंठ की प्राप्ति होती है। इसी कामना के साथ सैकड़ों भक्त ठिठुरती ठंड में घंटों भगवान के बैकुंठद्वार से गुजरने का इंतजार करने रात में ही मंदिर पहुंच गए। सुबह जब पांच बजे भगवान रंगनाथ पालकी में विराजमान होकर जब बैकुंठ द्वार की ओर निकले तो मंदिर परिसर में देर रात से ही आराध्य की एक झलक पाने को उत्सुक भक्तों में उमंग छा गई।
मंदिर सुरक्षागार्डों और पुलिसकर्मियों ने व्यवस्था संभाली
भगवान रंगनाथ के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा और जब भगवान की पालकी बैकुंठ द्वार से गुजरी तो भक्तों में पहले बैकुंठ द्वार से गुजरने की होड़ लग गई। लेकिन, भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर सुरक्षागार्डों और पुलिसकर्मियों ने व्यवस्था संभाली। ठाकुरजी के बैकुंठ द्वार से गुजरने के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ बैकुंठ द्वार से गुजरी। इसके बाद श्रद्धालु बैकुंठ द्वार से गुजरते रहे।

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