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    हेमा मालिनी ने हैट्रिक तो लगाई लेकिन… मथुरा में जीत के बाद भी भाजपा को हो रही टेंशन, आखिर क्यों?

    UP Lok Sabha Result 2024 - लोकसभा चुनाव में भले ही भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी ने हैट्रिक बनाने में कामयाबी हासिल की हो मगर मिले मतों ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी पिछले चुनाव की अपेक्षा 7.76 प्रतिशत मत कम पा सकी हैं। घटते प्रतिशत ने पार्टी हाईकमान को इसकी वजह तलाशने को मजबूर कर दिया है।

    By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Fri, 07 Jun 2024 06:44 PM (IST)
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    हेमा मालिनी ने हैट्रिक तो लगाई लेकिन… मथुरा में जीत के बाद भी भाजपा को हो रही टेंशन।

    राकेश शर्मा, मथुरा। लोकसभा चुनाव में भले ही भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी ने हैट्रिक बनाने में कामयाबी हासिल की हो, मगर मिले मतों ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी पिछले चुनाव की अपेक्षा 7.76 प्रतिशत मत कम पा सकी हैं।

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    घटते प्रतिशत ने पार्टी हाईकमान को इसकी वजह तलाशने को मजबूर कर दिया है। इस चुनाव में अन्य प्रमुख दलों के प्रत्याशी भी अधिक मत पाकर अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे। सिने तारिका हेमा मालिनी ने कान्हा की नगरी लोकसभा सीट से वर्ष 2014 में पहली बार चुनाव लड़ा और जीतीं। 

    इस चुनाव में उन्हें 53.29 प्रतिशत मत मिले थे। वर्ष 2019 के चुनाव में हेमा दूसरी बार चुनाव मैदान में उतरी और लगातार जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड बनाया। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को 60.79 मत मिले थे। वर्ष 2024 के चुनाव में भाजपा ने रालोद के साथ चुनाव लड़ा। 

    नहीं हो पाई रिकॉर्ड जीत

    जिले में जाट मतों की संख्या भी चार लाख के आसपास है। दूसरा राम मंदिर मुद्दा भी था। ऐसे में इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की रिकॉर्ड जीत की उम्मीद थी। लेकिन, इस बार हेमा मालिनी 53.03 प्रतिशत मत पाकर सांसद भले ही बन गई हों, लेकिन मिले मतों का प्रतिशत कम रहा।

    मिले मतों का घटा प्रतिशत ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि मतों का प्रतिशत कम होने की वजह मतदाताओं की चुनाव से बेरुखी रही। 

    रालोद का साथ, फिर भी न बढ़ा प्रतिशत

    इस बार भाजपा और रालोद ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था। जिले में जाट मतों की संख्या करीब चार लाख है। ऐसे में इस बार भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी की रिकार्ड जीत होनी चाहिए थी। लेकिन वोट प्रतिशत घटने से कई तरह के सवाल राजनीतिक गलियारे में तेज हो गए हैं।

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