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    Banke Bihari Mandir Time: ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में बदला दर्शन और भोगराग सेवा के समय, अब इस टाइम खुलेंगे पट

    Updated: Mon, 17 Mar 2025 07:47 AM (IST)

    Banke Bihari Mandir ग्रीष्म ऋतु के आगमन के साथ ही दर्शन के समय और भोगराग सेवा में बदलाव हो गया है। अब ठाकुरजी एक घंटे पहले जाग रहे हैं और भक्तों को 7.45 बजे दर्शन दे रहे हैं। भोग में गरिष्ठ पदार्थों की मात्रा कम कर तरल पदार्थों को बढ़ाया गया है। शाम को भी मंदिर के खुलने और बंद होने का समय बदल गया है। इ

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    Banke Bihari Mandir: ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर का सांकेतिक फोटो।

    संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। Banke Bihari Mandir: ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होने के साथ ही ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन और भोगराग सेवा में भी बदलाव हो गया। होली के बाद ठाकुरजी को अर्पित होने वाले भोग में गरिष्ठ पदार्थों की मात्रा में कमी के साथ तरल पदार्थों में इजाफा कर दिया गया है।

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    जबकि शरद ऋतु में अब तक पंचमेवा अधिक मात्रा में परोसी जाती रही। मंदिर के दर्शन समय में बदलाव हुआ तो रविवार को ठाकुरजी को एक घंटे पहले जागना पड़ा। सुबह 7.45 बजे मंदिर के पट खुले, जो दोपहर 12 बजे राजभोग आरती के बाद पट बंद हुए। इसी तरह शाम को साढ़े पांच बजे मंदिर खुलने के बाद रात साढ़े नौ बजे पट बंद हुए।

    दरअसल, तीर्थनगरी में ठाकुर बांकेबिहारी का मंदिर ही ऐसा है, जहां सुबह मंगला आरती नहीं होती। इसके पीछे मान्यता है कि बांकेबिहारी की सेवा बालरूप में होती है और रात में वे निधिवन राज मंदिर में रास रचाते हैं, तो देर से सोते हैं। सुबह मंगला में जल्दी न उठना पड़े, इसलिए मंदिर में मंगला आरती की परंपरा नहीं है।

    सर्दी का ये है समय

    ठाकुरजी शरद ऋतु में अब तक 8.45 बजे दर्शन देते थे। अब ग्रीष्म ऋतु में एक घंटे पहले जागने के बाद 7.45 बजे भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। सुबह 11 बजे राजभोग अर्पित करने के बाद सेवाधिकारियों ने 11.55 बजे राजभोग आरती कर 12 बजे पट बंद कर दिए। शाम को 5.30 बजे मंदिर के पट खुले तो ठाकुरजी को उत्थापन भोग परोसा गया। रात करीब 8.30 बजे ठाकुरजी को भोग अर्पित हुए और 9.25 बजे शयन भोग आरती के बाद मंदिर के पट बंद हो गए।

    अब एक घंटे पहले जाग रहे

    ग्रीष्मकाल में सुबह ठाकुरजी अब एक घंटे पहले जाग रहे हैं, तो रात को भी एक घंटे देरी से सोएंगे। लेकिन, दोपहर को राजभोग के बाद दो घंटे का विश्राम का समय जरूर ठाकुरजी के लिए बढ़ गया है। मंदिर का यह समय दीपावली तक चलेगा।

    ठाकुरजी की पोशाक में हुआ बदलाव

    ग्रीष्म काल शुरू हो गया तो लोगों के परिधान भी बदल गए। ऐसे में ठाकुरजी को गर्मी का एहसास न हो, इसके भी बंदोबस्त सेवायतों ने शुरू कर दिए हैं। मंदिर के समय में बदलाव के साथ अब ठाकुरजी को हल्के रंग की रेशम व सूती कपड़े की प्रधानता वाली पोशाक धारण करवाई जा रही है।

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    भोग में केसर व पंचमेवा की मात्रा में कमी

    गर्मी का प्रभाव बढ़ने के साथ ठाकुरजी की भोगराग सेवा में भी बदलाव कर दिया गया है। सुबह मोहनभोग, हलवा, पकौड़ी और दूध का भोग रखा जा है। दोपहर के राजभोग में कढ़ी, दाल, कड़ी, गीली व सूखी सब्जी, नमकीन, मीठा, रायता, नमकीन, मीठे व सादा चावल, खोआ का लड्डू, दूधभात, खीर, मिस्सी-सादा फुलकियां, पराठा, पापड़, अचार, चटनी, मुरब्बा अर्पित किए जा रहे हैं।

    रात के भाेग ये है शामिल

    रात को शयनभोग में पूड़ी, कचौड़ी, बेड़ई, पकौड़ी, समोसा, दो प्रकार की रसीली एवं दो तरह की सूखी सब्जियां, मीठा दही, चटपटा रायता, पापड़, चटनी, सोंठ, अदोटा दूध और हलुआ, दूधभात दिव्य पदार्थों का भोग अर्पित किया जा रहा है। शीतकाल में इसी भोग में पंचमेवा व केसर की मात्रा में इजाफा कर दिया जाता है।