प्रेमानंद महाराज के आश्रम के बाहर बैठी मिली छात्रा, सच्चाई जान सब रह गए दंग; खूब हो रही तारीफ
ग्वालियर के हजीरा क्षेत्र की एक किशोरी सोमवार को परिजनों को बिना बताए वृंदावन आ गई। परिजनों को यहां आकर उसने फोन कर यह जानकारी दी। मंगलवार शाम किशोरी को संत प्रेमानंद के आश्रम के बाहर बैठा पाया। किशोरी का कहना था कि वह सोशल मीडिया पर संत प्रेमानंद महाराज के प्रवचन से प्रभावित होकर यहां उनके दर्शन को आई थी।
संवाद सूत्र, वृंदावन। सोशल मीडिया पर वृंदावन और संतों की बात सुन ग्वालियर की एक किशोरी अपने परिजनों को बिना बताए वृंदावन संत प्रेमानंद से मिलने उनके आश्रम पहुंच गई। समाजसेविका ने उसे पुलिस के सुपुर्द कर दिया। स्वजन उसे अपने साथ ले गए।
समाजसेविका डॉ. लक्ष्मी गौतम ने बताया ग्वालियर के हजीरा क्षेत्र की एक किशोरी सोमवार को परिजनों को बिना बताए वृंदावन आ गई। परिजनों को यहां आकर उसने फोन कर यह जानकारी दी। स्वजन ने उन्हें इसकी जानकारी दी। मंगलवार शाम किशोरी को संत प्रेमानंद के आश्रम के बाहर बैठा पाया।
किशोरी का कहना था कि वह सोशल मीडिया पर संत प्रेमानंद महाराज के प्रवचन से प्रभावित होकर यहां उनके दर्शन को आई थी। किशोरी कक्षा 10 की छात्रा है। पिता रिक्शा चलाते हैं। पुलिस ने किशोरी को उसके स्वजन को सौंप दिया।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने संत प्रेमानंद से पश्चाताप का उपाय पूछा
पुलिस विभाग में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने संत प्रेमानंद के दर्शन किए। उन्होंने संत से कहा, अब तक किए एनकाउंटर के पश्चाताप का उपाय पूछा। संत ने कहा थोड़ा समय निकालकर भगवान के चरणों में दें। प्रार्थना करें कि हमारी सेवाओं में जो चूक हुई तो क्षमा हो जाए। पाप मिले तो वह दूर हो जाए।
मैंने बहुत एनकाउंटर किए हैं...
मेरठ में तैनात वरिष्ठ उपनिरीक्षक एवं एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मुनेश सिंह इन दिनों मेरठ में तैनात हैं। बुधवार को वह संत प्रेमानंद के दर्शन करने उनके रमणरेती स्थित श्रीराधा केलिकुंज आश्रम पर पहुंचे। संत प्रेमानंद के दर्शन के दौरान वरिष्ठ उपनिरीक्षक ने कहा मैंने बहुत एनकाउंटर किए हैं, राष्ट्रपति से वीरता पदक मिला है।
'मेरे सीने में लगी थी, ईश्वर की कृपा से मैं बच गया'
पिछले साल 22 जनवरी को जब अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, तभी बदमाश से मुठभेड़ में मेरे सीने में गोली लगी। ईश्वर की कृपा रही कि मैं बच गया। अब मुझे अपने कार्य पर पश्चाताप हो रहा है। पद पर ऐसे ही रहूं या प्रभु की शरण में जाऊं? संत प्रेमानंद ने कहा मनुष्य जीवन का मूल कर्तव्य भगवत प्राप्ति है। सांसारिक धर्म निर्वाह के चक्कर में मूल कर्तव्य से वंचित हो जाएं तो ठीक नहीं। अगर आपका मन आपका साथ दे तो भगवत प्राप्ति के लिए समय निकालिए।
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